बढ़ते सड़क हादसे: बसों की फिटनेस चैक करने का नहीं है मैकैनिज्म, परिवहन विभाग की विसंगतियों को दूर करना होगा : नगरीय प्रशासन मन्त्री भूपेंद्र सिंह
सागर। प्रदेश में लगातार हो रहे गंभीर सडक़ हादसों को लेकर नगरीय प्रशासन एवं पूर्व परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि विभाग में काफी सुधार की गुजाइंश है। वैसे दुर्घटना के लिए कई चीजें जिम्मेवार होती है। जिनमें बसों की फिटनेस, ओवरलोडिंग , ट्रेंड ड्राईवरों का नही होना आदि शामिल है। वही बस मालिको की रुट पर मोनोपॉली भी सड़क हादसों को बढ़ाती है। इसके साथ ही परिवहन विभाग में स्टाफ की कमी भी है। जिसके कारण बसों की चेकिंग और अन्य व्यवस्थाओं पर नियंत्रण नही हो पाता है। प्रदेश में लोक परिवहन बढाने की जरूरत है। कई विसंगतियां परिवहन को लेकर है। जिसे दूर करने की दिशा में सरकार काम कर रही है ।
प्रदेश में बढते सड़क हादसे और लोक परिव्हन के मुद्दे पर पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा के दौरान श्री सिंह ने बताया कि यात्री बसों की फिटनेस चैक करने का मप्र में कोई मैकेनिज्म नहीं है। ऐसा कोई सेंटर नही जहाँ जाकर गाडिय़ों की पूरी फिटनेस जाँची परखी जा सकें। सिर्फ एक इंस्पेक्टर देखकर दस्तखत कर देता है। इसके अलावा छोटी गाड़िया जिन रूटों पर चलती है। वहा कई दफा बस मालिको की मोनो पाली रहती है। दस परमिट लेते है बसे उससे कम चलाते है। इस कारण ओवर लोडिंग बढ़ती है। जो दुर्घटनाओं का कारण बनती है।
हमने अपने कार्यकाल में परमिट को लेकर एक व्यवस्था शुरू की थी जिसमे सवस्घ्य प्रतिस्पर्धा का दौर शुरू हुआ था।
सागर। प्रदेश में लगातार हो रहे गंभीर सडक़ हादसों को लेकर नगरीय प्रशासन एवं पूर्व परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि विभाग में काफी सुधार की गुजाइंश है। वैसे दुर्घटना के लिए कई चीजें जिम्मेवार होती है। जिनमें बसों की फिटनेस, ओवरलोडिंग , ट्रेंड ड्राईवरों का नही होना आदि शामिल है। वही बस मालिको की रुट पर मोनोपॉली भी सड़क हादसों को बढ़ाती है। इसके साथ ही परिवहन विभाग में स्टाफ की कमी भी है। जिसके कारण बसों की चेकिंग और अन्य व्यवस्थाओं पर नियंत्रण नही हो पाता है। प्रदेश में लोक परिवहन बढाने की जरूरत है। कई विसंगतियां परिवहन को लेकर है। जिसे दूर करने की दिशा में सरकार काम कर रही है ।
प्रदेश में बढते सड़क हादसे और लोक परिव्हन के मुद्दे पर पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा के दौरान श्री सिंह ने बताया कि यात्री बसों की फिटनेस चैक करने का मप्र में कोई मैकेनिज्म नहीं है। ऐसा कोई सेंटर नही जहाँ जाकर गाडिय़ों की पूरी फिटनेस जाँची परखी जा सकें। सिर्फ एक इंस्पेक्टर देखकर दस्तखत कर देता है। इसके अलावा छोटी गाड़िया जिन रूटों पर चलती है। वहा कई दफा बस मालिको की मोनो पाली रहती है। दस परमिट लेते है बसे उससे कम चलाते है। इस कारण ओवर लोडिंग बढ़ती है। जो दुर्घटनाओं का कारण बनती है।
हमने अपने कार्यकाल में परमिट को लेकर एक व्यवस्था शुरू की थी जिसमे सवस्घ्य प्रतिस्पर्धा का दौर शुरू हुआ था।
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उन्होने हादसों के कारणों पर कहा कि दुर्घटना के कई कारण होते है।जिनमें गाडिय़ों की खस्ताहाल हालात, ओवरलोडिंग़, चालकों की फिटनेस के साथ ही सडक़ों के ब्लैक स्पॉट भी होते है.
उन्होने बताया कि उनके कार्यकाल में छोटी 35 सीटर गाडिय़ों को 75 किमी तक का परमिट देने का नियम बनाया था, यह छोटी ओवरलोड होकर काफी तेजी से भागती हैं जो दुर्घटना का कारण बनती हैं। बस परमिटो के आवंटन में कसावट लाने की जरूरत है । लोक परिवहन को ग्रामीण क्षेत्रो में बढाने के लिए हमने ग्रामीण क्षेत्रो में टेक्स में छूट दी थी। लोक परिवहन को प्रभावी बनाना ही सरकार का काम है।
उन्होने कहा कि प्रदेश में अपराध रोकने के लिए सिस्टम में कसावट लाना जरूरी है. थानों में अधिकारियों की पोस्टिंग उनके फील्ड रिकॉर्ड को देखकर होना चाहिए. पुलिस बल की कमी भी एक बड़ा कारण है
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उन्होने बताया कि उनके कार्यकाल में छोटी 35 सीटर गाडिय़ों को 75 किमी तक का परमिट देने का नियम बनाया था, यह छोटी ओवरलोड होकर काफी तेजी से भागती हैं जो दुर्घटना का कारण बनती हैं। बस परमिटो के आवंटन में कसावट लाने की जरूरत है । लोक परिवहन को ग्रामीण क्षेत्रो में बढाने के लिए हमने ग्रामीण क्षेत्रो में टेक्स में छूट दी थी। लोक परिवहन को प्रभावी बनाना ही सरकार का काम है।
उन्होने कहा कि प्रदेश में अपराध रोकने के लिए सिस्टम में कसावट लाना जरूरी है. थानों में अधिकारियों की पोस्टिंग उनके फील्ड रिकॉर्ड को देखकर होना चाहिए. पुलिस बल की कमी भी एक बड़ा कारण है
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