शहीद चंद्रशेखर आजाद के शहादत दिवस पर संगोष्ठी
सागर । अखिल भारतीय बुंदेलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद की सागर इकाई का पुनर्गठन बुंदेलखण्ड में क्रांतिकारी गतिविधियों की अलख जगाने वाले महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि मनाई गई। सुप्रसिद्ध कवि पद्मश्री कैलाश गड़बैया के मागदर्शन में
अखिल भारतीय बुंदेलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद की सागर इकाई के पुनर्गठन एवं सम्मानित कार्यकारिणी के 'परिचय एवं शपथ ग्रहण समारोह में सागर इकाई के अध्यक्ष प्रो. बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद की बुंदेलखण्ड से विशिष्ट सम्बंध रहा है ये काकोरी षड़यंत्र केस के बाद महान क्रांतिकारी रुद्र प्रताप के साथ झांसी में रहे। उसके बाद वे कुछ दिन खनियाधाना, दतिया और ललितपुर में भी रहे। आजाद ओरछा में सत्तार नदी के किनारे कुटिया बनाकर हरिशंकर ब्रह्मचारी के रूप में रहे और बुंदेलखण्ड के अधिकांश क्रांतिकारियों ने उनके सानिध्य में रहकर क्रांतिकारी गतिविधयों को अंजाम दिया।
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प्रसंगवश प्रो. श्रीवास्तव ने उल्लेख किया कि चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता आंदोलन के निमितार्थ बुंदेलखण्ड के महत्त्व को समझते थे। उनका मानना था कि सबसे बड़े क्रांतिकारी तो भगवान राम थे जो बुंदेलखण्ड में रहे। यहाँ अनादि काल से ही ऋषि-मुनियों ने कठोर साधना की है
इसलिए वे भी यहाँ तप करने ही आए हैं।
इस अवसर पर अन्य सदस्यगणों ने चंद्रशेखर आजाद के जीवन संघर्ष और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में परिषद की सागर इकाई के अध्यक्ष प्रो. बी.के. श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष हय प्रो.नागेश दुबे एवं प्रो. नवीन गिडियन, कोषाध्यक्षा राघव रामकरन, सांस्कृतिक सचिव शुभम श्रीवास्तव, सह-सचिव डॉ. के.के. राव एवं प्रभात कटारे तथा कार्यकारिणी के सदस्य श्री दामोदर अग्निहोत्री, श्री अवधेश दुबे, श्री लक्ष्मीनारायण यादव, श्री हर्ष खरे, श्री जयनारायण यादव, श्री बलिराम दुबे तथा सथिय अभिषेक ऋषि सहित अधिकाश बुदेली प्रेमी उपस्थित रहे।
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