मुख्यमंत्री से मिले बीड़ी उधोगपति, मन्त्री भूपेंद्र सिंह और विधायक शेलेन्द्र जैन के साथ ★कोटपा एक्ट को बताया अव्यवहारिक ★उधर मन्त्री गोपाल भार्गव ने लिखा पत्र केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को

मुख्यमंत्री से मिले बीड़ी उधोगपति, मन्त्री भूपेंद्र सिंह और विधायक शेलेन्द्र जैन के साथ

★कोटपा एक्ट को बताया अव्यवहारिक

★उधर मन्त्री गोपाल भार्गव ने लिखा पत्र केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को



सागर। (तीनबत्ती न्यूज़  ) । कोटपा एक्ट के संसोधन के कारण बीड़ी कारोबार पर विपरीत असर पड़ने के कारण इसको रोकने को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से  नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह  के नेतृत्व में सागर विधायक  शेलेन्द्र जैन के साथ मध्य प्रदेश बीड़ी उधोग संघ की अध्यक्ष डॉ मीना पिम्पलापुरे और उद्योगपतियों ने मुलाकात की और एक ज्ञापन  दिया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस मसले पर सहमति जताते हुए जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से चर्चा करने की बात कही। दूसरी तरफ लोकनिर्माण मन्त्री गोपाल भार्गव ने  कोटपा एक्ट में प्रस्तावित नियमावली को लेकर अव्यवहारिकता के सम्बंध में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन को एक पत्र लिखा है। 
विधायक  शेलेन्द्र जैन ने बताया कि तम्बाकू एक्ट में किये जा रहे संसोधन अव्यवहारिक है ।जिन्का पालन करना बीड़ी श्रमिको सहित संस्थान को सम्भव नही है । इसलिए मुख्यमंत्री  से अनुरोध है कि आप भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री से बात कर इन संसोधनों को रोके।  ताकि डूब की कगार पर चल रहे बीड़ी उद्योगो को बचाया जा सके। विधायक जैन ने बताया कि बीड़ी उद्योगों से लाखों श्रमिकों की रोजी रोटी पर बन आएगी। जिस पर  मुख्यमंत्री महोदय ने सहमति जताते हुए शीघ्र ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से बात करने की बात कही। 
इस अवसर पर श्रीमती मीना पिम्पलापुरे, बुन्देल सिंह बुंदेला,  अनिरुद्ध पिम्पलापुरे,रवि  गगरानी, रामावतार पाण्डे अंकित पालीवाल, अमित पटेल, लोकेश चौरसिया, चंद्रमोहन केशरवानी, महेंद्र शाह, रवि गगरानी, अमित जैन, पलाश जैन, यशवंत सिंह बुंदेला उपस्थित थे।


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मध्यप्रदेश बीड़ी उधोग संघ की अध्य्क्ष डॉ मीना पिम्पलापुरे ने बताया कि कोटपा, अर्थात् सिगरेट एंड अदर टबैको प्रॉडक्ट्स ऐक्ट क़ानून, २००३ में हाल ही में संशोधन कर केंद्रीय स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ३१-दिसम्बर-२०२० को नयी नियमावली जारी की है। इस संशोधित नियमावली के नियम बीड़ी उद्योग के लिए पूर्णतः अव्यवहारिक हैं। इन अव्यवहारिक नियमों का वर्णन इस पत्र के साथ संलग्न है। बीड़ी की पैकिंग की प्रक्रिया को रिलाई कहते हैं जो पूर्णतः हाथों से की जाती है न की मशीन से। कोटपा संशोधन के नियमों को रिलाई की प्रक्रिया में शामिल करना असम्भव है। इसके अतिरिक्त, बीड़ी से सम्बंधित सभी विक्रेताओं और पनवाड़ियों को पंजीयन की जटिल प्रक्रिया का सामना करना बहुत कष्टप्रद होगा। नयी नियमावल के तहत नियमों के उलंघन के दण्ड बहुत कठोर हैं और इनसे भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिलेगा। यदि ये संशोधन इनके वर्तमान स्वरूप में लागू किए गए तो बीड़ी का अंत निश्चित है। यदि बीड़ी ही नहीं रही तो राज्य सरकारों से टेंडरों में खरीदे गए तेंदू-पत्ते का क्या उपयोग रह जाएगा? बीड़ी मूलतः श्रम-आधारित ग्रामीण-कुटीर अनऑर्गेनाइस्ड सेक्टर का उद्योग है जो २.६ करोड़ तम्बाकू किसानों, ८५ लाख बीड़ी श्रमिकों, ४० लाख से अधिक आदिवासी-तेंदू पत्ता-संग्राहक परिवारों और ७५ लाख पनवाड़ियों के रोज़गार का माध्यम है। कोरोना-काल में इन श्रमिकों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गयी है। यदि कोटपा कीसंशोधित नियमावली ज्यों-के-त्यों लागू हुई तो ये श्रमिक रातों-रात बेरोज़गार हो जाएँगे। इस उद्योग को न तोबिजली और न ही पानी की आवश्यकता पड़ती है। । आपसे हमारा विनम्र निवेदन है कि आप कृपया उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुआ केंद्रीय स्वास्थ एवंपरिवार कल्याण मंत्रालय से कहें कि या तो वे बीड़ी उद्योग को कोटपा कानून के सभी नियमों से मुक्त रखें या फिर बीड़ी उद्योग से सम्बंधित सभी संगठनों को अपना पक्ष रखने का भरपूर समय (कम-से-कम
३१-मार्च-२०२१ तक) और अवसर प्रदान करें ताकि नए कोटपा नियमों में, बीड़ी उद्योग की जटिलताएँ समझते हुए, संशोधन कर इन्हें व्यावहारिक बनाया जाए।

लोकनिर्माण मन्त्री  भार्गव ने लिखा पत्र

बीड़ी मजदूरों  और कारोबार की हमेशा आवाज उठाने वाले लोकनिर्माण मन्त्री गोपाल भार्गव ने कोटपा एक्ट से प्रभावित होने वाले इस कारोबार को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को एक पत्र  लिखा है। पत्र में बीड़ी उधोग संघ द्वारा बताए सुझावों को प्रेषित किया है।  

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