एक चौथाई बचे डॉ गौर विवि में स्थाई कर्मचारी ,एक दशक से नहीं हुई नई नियुक्तियां ★गत वर्ष होने वाली नियुक्तियां अंतिम समय में हुई निरस्त,दैवेभो कर्मियों के भरोसे चल रहा कार्य

एक चौथाई बचे  डॉ गौर विवि में स्थाई कर्मचारी ,एक दशक से नहीं हुई नई नियुक्तियां
★गत वर्ष होने वाली नियुक्तियां अंतिम समय में हुई निरस्त,दैवेभो कर्मियों के भरोसे चल रहा कार्य


सागर । डॉ हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय वर्तमान में कुलपति, रजिस्ट्रार से लेकर अन्य प्रमुख पदों पर प्रभारी के भरोसे चल रहा है तो विवि में कर्मचारियों की स्थिति और भी खराब हो चुकी है. पूर्व की अपेक्षा में अब विवि में एक चौथाई नियमित कर्मचारी ही बचे है. उनमें भी आने वाले वर्ष में करीब 20 प्रतिशत सेवानिवृत हो जायेगें. पूर्व में विवि प्रशासन द्वारा भर्ती के लिए शुरू की गई प्रोसेस कोर्ट व अन्य कारणों के चलते पूरी नहीं हो सकी.

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   डॉ हरीसिंह गौर विवि में एक समय जबकि मुख्य कार्यालय सहित विभिन्न विभागों में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की संख्या करीब 1300 के लगभग होती थी. आज की स्थिति में केंद्रीय विवि बनने के बाद विवि में कुल 490 स्थाई कर्मचारी शेष रह गए है.  मालूम हो कि पिछले दो दशक से विवि में कर्मचारियों की नियुक्तियां तो हुई ही नहीं यहाँ कार्यरत दैवेभो कर्मी भी नियमित नहीं हो सके है.
   हालत यह है कि जहाँ पहले विवि में एक हजार से अधिक नियमित कर्मी हुआ करते थे अब उसके एक चौथाई ही बचे है. लंबे समय से विवि में कर्मचारी नियुक्ति को लेकर मांग उठती रही है. जिसमें दैवेभोकर्मियों को भी नियमित करने की मांग शामिल रही. गत वर्ष तत्कालीन कुलपति प्रो. आरपी तिवारी द्वारा कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर कार्रवाई शुरू की गई. इसकी परीक्षा भी हो गई लेकिन ईसी में रिजल्ट खुलने के पूर्व ही यह विवादों में घिर गई. तो साथ ही इसे लेकर कुछ लोग हाईकोर्ट में भी चले गए, जिसके बाद यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी.
    बहरहाल बीते करीब एक दशक से विवि में नियमित कर्मचारियों की संख्या लगातार घटती जा रही है. हालत यह है कि इस वर्ष जहाँ करीब दो दर्जन से अधिक नियमित कर्मी रिटायर हो चुके है. तो 2021 में 36 कर्मी सेवानिवृत्त हो जायेगें. जानकारी के अनुसार वर्तमान में विवि में 243 कर्मचारी न्यूनतम वेतनमान यानि संविदा पर कार्यरत है जिनमें से कुछ तो 20 से अधिक वर्षों से दैवेभो के रूप में ही अपनी सेवाएं दे रहे है. बताया जाता है कि विवि को केंद्रीय दर्जा दिए जाने के बाद चतुर्थ श्रेणी वर्ग का पद समाप्त कर दिया गया है.
 इस मामले में विवि कर्मचारी संघ अध्यक्ष संदीप बाल्मिकी का कहना है कि प्रबंधन द्वारा कर्मचारी नियुक्ति के मामले में ठोस कार्रवाई न करने के कारण कई ऐसे कर्मचारी है जिन पर वर्कलोड काफी ज्यादा है, तो जो दैवेभो दो दशक से अधिक से अपनी सेवाएं दे रहे है, उन्हें नियमित किया जाना चाहिए. मामले में विवि रजिस्ट्रार से बात करने के लिए कॉल किया तो मोबाईल रिसीव नहीं हुआ.

यहां बता दे कि  विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती स्थापना वर्ष पर आयोजित कार्यक्रम में तत्कालीन व्हीसी शिवकुमार श्रीवास्तव ने दैवेभोकर्मियों को नियमित किए जाने की सौगात तो दी लेकिन बाद में यह मामला कोर्ट में जाने के बाद संबंधित कर्मी नियमित नहीं हो सके, जिनमें से अधिकांश अब दैवेभो के रूप में ही सेवानिवृत्त हो चुके है.

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