बुंदेलखंड से प्रकाशित हुए पहले पंचांग में है कई सटीक जानकारी, जो अन्य पंचांगों से है भिन्न
सागर। बुन्देलखण्ड अंचल में इसी क्षेत्र के जानकारों द्वारा बनाये गए पंचांग अब चर्चा में है। इसकी कई खूबियां है। स्थानीय कालगणना के हिसाब से यह उपयोगी बनता जा रहा है। पिछले दिनों एक कार्यक्रमा मे इसका लोकार्पण किया गया। पचांग की अवधारणा लेकर पुरोहित पुजारी संघ के अध्यक्ष पंडित शिवप्रसाद तिवारी से इसके प्रमुख बिंदुओं पर बातचीत हुई। उन्होंने कई जानकारियां मुहैया कराई।
पंचांग निर्माण की आवश्यकता
विद्वानों के अनुभव में और देखने मे आ रहा था कि प्रचलित पंचांगों में बहुत भ्रांतियां है ,कई पंचांगों में वर्ष के प्रमुख त्योहार दो दो दिन लिखे जा रहे।ज्योतिषीय आंकलन भी सटीक नही निकल रहे आखिर ऐसा क्यों हुआ इसको लेकर जब विद्वानों के बीच मंथन हुआ तो पता चला की 400-500 साल के अंतराल में ब्रह्मांड का विस्तार होता है और ग्रह नक्षत्र भी अपना स्थान बदलते है इसलिये ज्योतिष गणित में भी बदलाव होता है और समय समय पर गणित बदला भी गया है।पहले ब्रह्म सिद्धांत,सूर्य सिद्धांत,आदि कई गणित आये फिर ग्रह लाघव गणित पर 19वीं 20वीं सदी के पंचांग बने और सटीक रहे वर्तमान में ये ग्रह लाघव गणित भी स्थूल हो गया और ज्योतिष महारथियों ने नए गणित "केतकीय दृश्य पद्धति" को सटीक बताया तो आज ये गणित सटीक है बनारस,कटनी,कलकत्ता आदि स्थानों से प्रचलित सभी पंचांग आज के दृश्य गणित पर ही बन रहे है पर दूर स्थानों के पंचांग में और स्थानीय सूर्योदय में काफी अंतर रहता है इसलिये बुंदेलखंड जबलपुर से प्रकाशित पंचांग लोकविजय और भुवन विजय पर आश्रित रहा किन्तु ये पंचांग आज भी स्थूल गणित ग्रहलाघव पद्धति पर ही बनाये जा रहे है इसलिये सटीक जानकारी देने में सटीक नही हैं।
बुंदेलखंड के पंचांग निर्माण उद्देश्य की परिणति
जब जब किसी त्योहार को लेकर भ्रम या संसय उत्पन्न होता तो हमारा संगठन संत पुजारी संघ विद्वानों की बैठक करके उसका सटीक निर्णय देता रहा है।किसी विशेष त्योहार को लेकर प्रशासन के आग्रह पर हम लोगों की एक बैठक पहलवान बब्बा मंदिर में चल रही थी तो हमारे संघ के वरिष्ठ विद्वान पं.राजेन्द्र पांडेय सानोधा वालों ने सुझाव दिया कि बार बार तिथि त्योहार का निर्णय करने हम कब तक ऐसे बैठक करते रहेंगे बुंदेलखंड विद्वत जनों का गढ़ है स्थानीय और आधुनिक गणित पद्धति पर सटीक पंचांग बनाया जाये, जैसे ही ये सुझाव हमारी बैठक में आया हमारे बुंदेलखंड के ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष पं.भरत तिवारी ने एक पंचांग निर्माण समिति गठित कर दी और आर्थिक खर्च वहन करने का अस्वासन भी दिया समिति में आगे प्रक्रिया प्रारंभ हुई लगभग 6-7माह के विद्वानों के परिश्रम से पंचांग का प्रारूप तय हो गया।
,इसमें पं.राजकुमार शास्त्री पथरिया दमोह वालो का विशेष ज्योतिषीय सहयोग रहा इसके साथ ही डॉ. पं.प्रमोद शास्त्री,डॉ पं.प्रमोद द्विवेदी,पं.पुरषोत्तम गौतम,पं.रामचरण शास्त्री,पं.रघु शास्त्री,पं.रामगोविंद शास्त्री,बुंदेलखंड के धर्माधिकारी पं.बृजेश जी महाराज,पं.केशव महाराज,पं.विपिनबिहारी महाराज आदि के साथ ही सागर के अनेक विद्वानों का छतरपुर, दमोह,पन्ना के ज्योतिष विद्वानों का ज्योतिष ज्ञान का सहयोग प्राप्त हुआ है।प्रकाशन के लिये लगभग एक सेकड़ा से ज्यादा विप्र देवताओ ने अपनी यथा शक्ति आर्थिक सहयोग किया है,उन सहयोग करने वाले सभी विप्र बंधुओं के नाम की सूची भी हमने इस पंचांग के अंतिम पृष्ठ पर दी हुई है।
सरल और सुलभ है हमारा पंचांग
-दैनिक क्रियायों के लिये आजकल लोग चौघड़िया मुहूर्त पूंछते है इसके लिये पंडितों को अंदर पंचांग में खोजने की आवश्यकता नही पहला पेज पलटिये इसमें ही हमने रात दिन का चौघड़िया मुहूर्त और शुभ कार्यों के लिये वर्जित राहुकाल का चार्ट स्पस्ट घंटा मिनिट में लिखा हुआ है,इसी पेज पर प्रमुख त्योहारों की निर्णय सूची भी दी है व्रत पर्व देखने अंदर पंचांग में जाने की आवश्यकता नही है।
आगे पेज नं.1 पर संवत्सर का फल,वर्षा जानने के लिये आर्द्रा प्रवेश चक्र,हवन मुहूर्त जानने के लिये शिववास,अग्निवास चक्र दिए गए हैं।
पेज नं.2पर मकर संक्रांति का फल,वर्ष भर में पड़ने वाले ग्रहण के विवरण और पंचक जानने जो अन्य पंचांग में अंदर मासिक पेज पर खोजना पड़ता है वो हमने अपने इस पंचांग में इसी पेज पर अलग से वर्ष भर की सूची लगाई है और समय घटिपल के स्थान पर घंटा-मिनिट में मय तारीख से दिया हुआ है।
पेज नं.3पर वर्ष का राशिफल,शनि का राशि भ्रमण ढैया साढ़ेसाती आदि की जानकारी है।
पेज 4-5 पर कुण्डली मिलान6पर ग्रहों के जाप संबंधी जानकारी पेज 7से 11तक विवाह मुहूर्त तारीख,समय,लग्न,चंद्रमा आदि की जानकारी के साथ विस्तृत जानकारी के साथ दिए गए है इतना विस्तार अन्य किसी पंचांग में नहीं हैं।आगे सूर्यक्रान्ति सारणी है।
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वेबसाईट
पेज 12-13 पर ज्योतिष गणित संबंधी जानकारी है।पेज 14पर गृहप्रवेश मुहूर्त,देवप्रतिष्ठा मुहूर्त की सूची अलग से दी गई है जो अन्य किसी पंचांग में नही हैं।
पेज 15 से 38 तक चैत्र शुक्ल से चैत्र कृष्णपक्ष तक वर्ष भर का मासिक पंचांग हैं।अन्य पंचांग में तिथिवार,नक्षत्र, योग करण आदि का समय सिर्फ घटिपल में दिया जाता है हमने इसमें घटिपल के साथ पंडितों की सुगमता के लिये सभी का समय घंटा मिनिट में भी दिया है।
पेज 39-40 पर कौन सा त्योहार कब और क्यो मनाया जाता है इसका पौराणिक ज्योतिषीय विश्लेषण दिया है।
पेज 41पर वाहन क्रय विक्रय के मुहूर्त की अलग से सूची दी हैं जो अन्य किसी पंचांग में नही हैं।इसी पेज पर पंचक में कौन से पांच कार्य वर्जित है उसका विवरण और ग्रहों का राशि परिवर्तन तारीख समय के साथ दिया है।पेज 42 से 48तक ज्योतिष विद्वानों के उपयोग की जानकारी है।कवर पृष्ठ के अंतिम भाग पर यज्ञादि में प्रयुक्त चक्र और पंचांग के मार्गदर्शक लोगों की आर्थिक सहयोगियों की सूची है।दोनों तरफ के कवर पृष्ठ सहित हमारा पंचांग 52 पेज का है इतना बड़ा कोई भी अन्य पंचांग नहीं हैं।प्रथम वर्ष होने से हमने इसको सभी पंडितों तक निशुल्क पहुंचाया है अगले वर्ष से बाजार विक्रय भी करेंगे।
लोकार्पित हुआ पंचांग
सागर में पिछले दिनों
मन्त्री गोपाल भार्गब, माखन लाल विवि के पूर्व कुलपति दीपक तिवारी, जिलाध्यक्ष गौरव सिरोठिया, अजय दुबे, अनिल तिवारी , भरत तिवारी सहित विद्वानो ने एक गरिमामय कार्यक्रम में इसको लोकार्पित किया।
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