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श्री गुलाबबाबा चरण पादुका पालकी नगर शोभायात्रा ,इस वर्ष 4 दिसम्बर को नहीं निकलेगी

श्री गुलाबबाबा चरण पादुका पालकी नगर शोभायात्रा ,इस वर्ष 4 दिसम्बर को नहीं निकलेगी 

 

सागर। ''संत कृपा कछु दुर्लभ नाहीं'' रामायण में लिखा उक्त दोहा आज भक्तों का अपने संत के प्रति श्रृद्वा एवं विश्वास के लिए चरितार्थ होता है। सागर शहर के हृदय स्थल पंतनगर में बुंदेलखण्ड का अतिभव्य एवं विशाल मंदिर प्रांगण इस बात का द्योतक है । पूरे देश के श्री गुलाबबाबा भक्तों को सागर में स्थापित श्री गुलाबबाबा मंदिर मुख्य केन्द्र बिन्दु है, और पूरे सालभर भक्तों को श्री गुलाबबाबा मंदिर के वार्षिक उत्सव का इंतजार रहता है, परन्तु भारत सरकार की कोरोना गाइड लाइन, स्थानीय प्रशासन को सहयोग करने श्री गुलाबबाबा मंदिर ट्रस्ट सागर एवं भक्त मण्डलों ने इस वर्ष के वार्षिक उत्सव को सांकेतिक रूप में मंदिर प्रांगण के अंदर सीमित भक्तों के साथ करने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि इस वर्ष मंदिर का 13वाॅ वार्षिक उत्सव है एवं हर वर्ष की तरह 29 नवम्बर से 5 दिसम्बर तक मनाया जा रहा है।

किरण पारासरे (मामाजी) ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में बताया कि भक्तों की श्रद्धा-विश्वास को बनाये  रखने एवं मंदिर की परम्परा भंग न हो इसलिए 4 दिसम्बर को निकलने वाली ''श्री गुलाबबाबा चरण पादुका पालकी नगर शोभायात्रा'' इस वर्ष नगर भ्रमण पर नहीं निकलेगी । मंदिर प्रांगण के अंदर सीमित भक्तों के साथ पालकी पूजन कार्यक्रम होगा, साथ ही 5 दिसम्बर को समापन उत्सव के तहत होने वाला विशाल भंडारा (प्रसादी) भी नहीं होगा । सिर्फ मंदिर प्रांगण में उपस्थित भक्तों को प्रसादी मिलेगी ।

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श्री गुलाबबाबा मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष डाॅ. भरत आनंद वाखले ने बताया कि हर वर्ष 29 नवम्बर को दमोह के नरसिंगढ़ ग्राम में स्थित श्री रामबाग मंदिर से श्री गुलाबबाबा चरण पादुका पालकी यात्रा सड़क मार्ग से पैदल-पैदल आती थी उसे इस वर्ष मंदिर के भक्त अपने फोर-व्हीलर वाहन से लेकर आये एवं सादगी के साथ मंदिर परिसर के अंदर बने विशाल गुलाब संतसंग भवन में गुलाब पीठ पर पूर्ण वैदिक विधि विधान से स्थापित किया, तथा प्रतिदिन प्रातः एवं संध्या आरती -पूजन-भोग कार्यो के साथ संध्या में भजन कार्यक्रम किये जा रहे है।

सचिव श्याम सोनी ने बताया कि भक्तों की आस्था-विश्वास एवं दर्शन परम्परा के निर्वाहन हेतु मंदिर ट्रस्ट फेसबुक के माध्यम से संपूर्ण आयोजनों को देशभर के भक्तों तक पहुँचा रहा है। मंदिर व्यवस्थापक सतीश विश्वकर्मा अपने स्वयंसेवक साथियों के साथ जो भी समिति भक्त मंदिर दर्शनों हेतु आ रहे है उनकी सोशल डिस्टेसिंग, सेनेटाइजर की व्यवस्था संभाले हुये है।   

 

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