गौर जयंती: तीनबती पर जलाए दीपक, डॉ. गौर के व्यक्तित्व पर अन्तराष्ट्रीय वेबीनार आयोजित
सागर। डॉ हरिसिंह गौर के 151 वे जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर तीनबत्ती स्थित डॉ गौर प्रतिमा पर दीपक जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। यह आयोजन पिछले कई दशकों से गौर जन्मोत्सव समिति के अध्यक्ष स्व राजू भाई गर्ग द्वारा किया जाता था। आज इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आयोजन हुआ। इस मौके पर स्व राजू भाई गर्ग के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई।
इस मौके पर विवि की कुलपति प्रो जनक दुलारी आदि ,कुलसचिव सन्तोष सहगोरा , प्रो आर के त्रिवेदी, गिरीश मोहन दुबे,प्रो आशीष वर्मा , डॉ प्रदीप तिवारी , सुदेश तिवारी , विनोद आर्य, प्रदीप गुप्ता, मुकेश जैन ढाना, रीतेश राज गर्ग, राहुल सिलाकारो, राम जी दुबे, राकेश शुक्ला, राकेश तिवारी , पप्पू तिवारी, सन्तोष तिवारी, वसीम खान, बहादुर यादव, श्रीकांत शुक्ला,ओम प्रकाश पंडा, निधि जैन इंजीनियर , आदि मौजूद रहे।
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पं. दीनदयाल उपाध्याय शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, सागर में महामानव डॉ. हरीसिंह गौर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर अन्तराष्ट्रीय वेबीनार आयोजित किया गया। वेबीनार के प्रारंभ में सिने अभिनेता गोविन्द नामदेव ने वीडियों के माध्यम से डॉ. गौर पर आयोजित इस कार्यक्रम के लिये शुभकामना संदेश दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर विधायक शैलेन्द्र ने कहा कि साधनों के साथ डॉ. गौर की संकल्प शक्ति से विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गई थी। डॉ. गौर की जीवनी सेवेन्थ लाइफ्स में बहुत कुछ लिखा है हमारी कमी है कि कम लोगों ने उसे पढ़ा है। भारत रत्न के लिये जनप्रतिनिधियों के साथ जनमानस प्रयास करेंगे। मुख्य वक्ता डॉ. सुरेन्द्र पाठक ने कहा कि दुनिया में शायद ही ऐसा कोई केन्द्र हो जहाँ सागर विश्वविद्यालय का नक्षत्र प्रकाशित न हो रहा हो ये सब डॉ. गौर के अनन्य प्रयास व दान से संभव हो पाया। अंग्रेजों को हम सर कहते थे और डॉ. और ने उनसे ही सर की उपाधि लेकर सर कहलवाया। डॉ. गौर ही थे जिन्होंने स्थापना के समय में ही हवाई पट्टी के लिए जमीन चिन्हांकित कर ली थी।
डॉ. जी.एस. रोहित प्राचार्य ने कहा कि हम सब को इसका मलाल है कि इतना बढ़ा त्याग कर विश्वविद्यालय की स्थापना के बावजूद भी वह डॉ. गौर भारतरत्न से बंचित है। आमजन व जनप्रतिनिधियों को इसके लिये पुरजोर प्रयास करना चाहिये। विशिष्ट वक्ता डॉ. सुरेन्द्र विहारी गोस्वामी ने कहा कि डॉ. गौर हरि ही थे जिन्होंने सागर के शैक्षणिक संकट को हरा तथा फिर सदा सिंह बने रहे। एको हम द्वितियो नास्ति सागर विश्वविद्यालय जैसा कोई दूसरा विश्वविद्यालय नहीं है। अमेरिका से शामिल हुये अभिनव श्रीवास्तव ने कहा कि हरीसिंह गौर की प्रतिभा को अंग्रेजों ने भी पहचाना लेकिन रंगभेद के कारण उन्हें वह स्थान नहीं दिया जिसके वह हकदार थे। केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के द्वारा आयोजित गणित छात्रवृत्ति का रिजल्ट उन्होंने इस लिये घोषित नहीं किया क्योंकि उसमें डॉ. हरीसिंह गौर प्रथम आये थे। अमेरिका से ही विवेकदेश पाण्डेय ने कहा कि दानशीलता को धर्म का स्वरूप बनाकर साकार करना हमें डॉ. गौर से सीखना चाहिए। डॉ. अश्विन दीक्षित बिलासपुर वि.वि. को चाहिये कि वह डॉ. गौर की जीवनी को अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर उनके ऋण का व्याज चुकाये। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अमर कुमार जैन ने कार्यक्रम का संचालन करते हुये कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय एवं महामानव डॉ. हरीसिंह गौर ने विश्वविद्यालय स्थापना के अतिरिक्त एक सम्बन्ध और भी था वह यह है कि डॉ. मदन मोहन जी का जन्म एवं डॉ. हरी सिंह जी का निर्वाण दिवस एक ही दिन 25 दिसम्बर को है। वेबीनार का आभार आयोजन सचिव डॉ. इमराना सिद्दीकी ने माना। वेबीनार में बनारस वि.वि. से डॉ. विवेकानंद जैन, फरीदावाद से एस.दुग्गल सहित देश विदेश से अनेक पूर्व छात्रों ने सहभागिता की। महाविद्यालय से डॉ. संदीप तिवारी, डॉ. प्राची बारोलिया, डॉ. उमाकांत स्वर्णकार, डॉ. अशोक पनया ने सहयोग किया ।
डॉ. जी.एस. रोहित प्राचार्य ने कहा कि हम सब को इसका मलाल है कि इतना बढ़ा त्याग कर विश्वविद्यालय की स्थापना के बावजूद भी वह डॉ. गौर भारतरत्न से बंचित है। आमजन व जनप्रतिनिधियों को इसके लिये पुरजोर प्रयास करना चाहिये। विशिष्ट वक्ता डॉ. सुरेन्द्र विहारी गोस्वामी ने कहा कि डॉ. गौर हरि ही थे जिन्होंने सागर के शैक्षणिक संकट को हरा तथा फिर सदा सिंह बने रहे। एको हम द्वितियो नास्ति सागर विश्वविद्यालय जैसा कोई दूसरा विश्वविद्यालय नहीं है। अमेरिका से शामिल हुये अभिनव श्रीवास्तव ने कहा कि हरीसिंह गौर की प्रतिभा को अंग्रेजों ने भी पहचाना लेकिन रंगभेद के कारण उन्हें वह स्थान नहीं दिया जिसके वह हकदार थे। केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के द्वारा आयोजित गणित छात्रवृत्ति का रिजल्ट उन्होंने इस लिये घोषित नहीं किया क्योंकि उसमें डॉ. हरीसिंह गौर प्रथम आये थे। अमेरिका से ही विवेकदेश पाण्डेय ने कहा कि दानशीलता को धर्म का स्वरूप बनाकर साकार करना हमें डॉ. गौर से सीखना चाहिए। डॉ. अश्विन दीक्षित बिलासपुर वि.वि. को चाहिये कि वह डॉ. गौर की जीवनी को अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर उनके ऋण का व्याज चुकाये। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अमर कुमार जैन ने कार्यक्रम का संचालन करते हुये कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय एवं महामानव डॉ. हरीसिंह गौर ने विश्वविद्यालय स्थापना के अतिरिक्त एक सम्बन्ध और भी था वह यह है कि डॉ. मदन मोहन जी का जन्म एवं डॉ. हरी सिंह जी का निर्वाण दिवस एक ही दिन 25 दिसम्बर को है। वेबीनार का आभार आयोजन सचिव डॉ. इमराना सिद्दीकी ने माना। वेबीनार में बनारस वि.वि. से डॉ. विवेकानंद जैन, फरीदावाद से एस.दुग्गल सहित देश विदेश से अनेक पूर्व छात्रों ने सहभागिता की। महाविद्यालय से डॉ. संदीप तिवारी, डॉ. प्राची बारोलिया, डॉ. उमाकांत स्वर्णकार, डॉ. अशोक पनया ने सहयोग किया ।
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डॉ गौर जयंती पर अनेक आयोजन, आकाशवाणी से कार्यक्रमों का प्रसारण -
गौर जयंती पर वाहन रैली 26 नबम्बर को
दानवीर, शिक्षाविद, कानून विद सागर विवि के संस्थापक कुलपति डॉ हरिसिंह गौर की 151 जन्मदिवस पर बड़ा बाजार छात्रसंघ द्वारा वाहन रैली निकाली जाएगी।
बड़ाबाजार छात्रसंघ के सरंक्षक लालू घोषी, नरेंद्र चौबे और अध्यक्ष अर्पित मिश्रा एयर उपाध्यक्ष अंशुल सोनी ने बताया कि पिछले 30 वर्षों से डॉ गौर की जयंती पर छात्रसंघ द्वारा आयोजन किया जाता है। यह परम्परा जारी रहेगी। रैली सुबह 9 : 30 बजे रामबाग मंदिर, बड़ा बाजार से शुरू होगी। रैली तीनबती स्थित गौर प्रतिमा को नमन करती हुई,विवि परिसर में गौर समाधि पर समाप्त होगी। यहां पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी। इस दोरोना कोविड 19 कि गाईड लाईनों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। इसके साथ ही मास्क भी वितरित किये जायेंगे
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