बिरसा मुंडा जी ने युवाओं को एक नई दिशा प्रदान की : विधायक शैलेंद्र जैन
★ बिरसा मुंडा क्रांतिकारी थे जिनकी पूजा करते थे :कलेक्टर श्री सिंह
सागर । बिरसा मुंडा वह क्रांतिकारी नेता थे, जिन्होंने युवाओं को एक नई दिशा प्रदान की उक्त विचार सागर विधायक शैलेंद्र जैन ने बिरसा मुंडा की जन्म जयंती समारोह में रविवार को स्थानीय पंडित मोतीलाल नेहरु उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्कूल के मैदान पर एक कार्यक्रम में व्यक्त किए।
विधायक श्री जैन ने कहा कि बिरसा मुंडा के जन्म जयंती पर स्मरण कर शंखनाद एवं एक दीप बिरसा मुंडा के नाम समर्पित करते हुए बिरसा मुंडा रीति-रिवाजों के अनुसार उनका नाम बृहस्पतिवार के हिसाब से बिरसा रखा गया था। बिरसा मुंडा का परिवार घुमक्कड़ जीवन व्यतीत करता था। बिरसा जी बचपन से अपने दोस्तों के साथ रेत में खेलते रहते थे। आठ-दस वर्ष के होने पर वह जंगल में भेड़ चराते वक्त समय व्यतीत करने के लिए बाँसुरी बजाया करते थे।
कलेक्टर श्री दीपक सिंह ने कहा कि वे सामुदायिक क्रांतिकारी नेता थे जिनकी लोग पूजा किया करती थे। कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि आदिवासी जनता बिरसा को भगवान बिरसा मुंडा के नाम से पूजती है। उन्होंने धर्म परिवर्तन का विरोध किया और अपने आदिवासी लोगों को हिन्दू धर्म के सिद्धांतो को समझाया था द्य उन्होंने गाय की पूजा करने और गौ-हत्या का विरोध करने की लोगो को सलाह दी। अब उन्होंने अंग्रेज सरकार के खिलाफ नारा दिया "रानी का शासन खत्म करो और हमारा साम्राज्य स्थापित करो " उनके इस नारे को आज भी भारत के आदिवासी इलाकों में याद किया जाता है अंग्रेजो ने आदिवासी कृषि प्रणाली में बदलाव किया जिससे आदिवासियों को काफी नुकसान होता था इसके लिए उन्होंने आंदोलन चलाया जिसके कारण वह कई बार जेल गए।
आदिवासी विकास विभाग के उपायुक्त एवं संयुक्त कलेक्टर श्री सीएल वर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि बिरसा मुंडा ने अपने पारम्परिक रीति-रिवाजों के लिए लड़ना शुरू किया द्य अब बिरसा मुंडा आदिवासियों के जमीन छीनने , लोगों को ईसाई बनाने और युवतियों को दलालों द्वारा उठा ले जाने वाले कुकृत्यों को अपनी आँखों से देखा था जिससे उनके मन में अंग्रेजो के अनाचार के प्रति क्रोध की ज्वाला भड़क उठी थी। इसी के कारण उन्होंने सभी को एकजुट किया एवं अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन चलाया।
श्री वर्मा ने बताया कि समाज को चार वर्ग में विभाजन किया गया था जिसमें बाह्मण,क्षत्रिय, वैश्य व शुद्र समाज थी जिनका रहन-सहन, खान-पान व पहनावा अलग-अलग था पर समाज में सभी को विशेष स्थान प्राप्त था पर अंग्रेजों ने गुलामी की जंजीरों से जकड़कर इनमें फूट डालने की कोशिश कर विभक्त किया पर समाज में एक न एक व्यक्ति इनमें से ही निकल कर समाज को एकजुट करने में सहभागी बनकर समाज को दिशा प्रदान करने में सक्षम होता है उन्हीं में से एक बिरसा मुंडा थे जिन्होंने अपनी समर्पण भावना से समाज को दिशा प्रदान की व जनजाति में भगवान का रूप लेकर शहीद हो गए। इस अवसर पर नगर निगम श्री आरपी अहिरवार, उपायुक्त डॉक्टर खरे, श्री मोहनिया, डीपी सी श्री एचपी कुर्मी, गिरीश मिश्रा, मनोज तिवारी, बीआरसी लोकमन चैधरी सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्राचार्य श्री अरविंद जैन ने किया।
★ बिरसा मुंडा क्रांतिकारी थे जिनकी पूजा करते थे :कलेक्टर श्री सिंह
सागर । बिरसा मुंडा वह क्रांतिकारी नेता थे, जिन्होंने युवाओं को एक नई दिशा प्रदान की उक्त विचार सागर विधायक शैलेंद्र जैन ने बिरसा मुंडा की जन्म जयंती समारोह में रविवार को स्थानीय पंडित मोतीलाल नेहरु उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्कूल के मैदान पर एक कार्यक्रम में व्यक्त किए।
विधायक श्री जैन ने कहा कि बिरसा मुंडा के जन्म जयंती पर स्मरण कर शंखनाद एवं एक दीप बिरसा मुंडा के नाम समर्पित करते हुए बिरसा मुंडा रीति-रिवाजों के अनुसार उनका नाम बृहस्पतिवार के हिसाब से बिरसा रखा गया था। बिरसा मुंडा का परिवार घुमक्कड़ जीवन व्यतीत करता था। बिरसा जी बचपन से अपने दोस्तों के साथ रेत में खेलते रहते थे। आठ-दस वर्ष के होने पर वह जंगल में भेड़ चराते वक्त समय व्यतीत करने के लिए बाँसुरी बजाया करते थे।
कलेक्टर श्री दीपक सिंह ने कहा कि वे सामुदायिक क्रांतिकारी नेता थे जिनकी लोग पूजा किया करती थे। कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि आदिवासी जनता बिरसा को भगवान बिरसा मुंडा के नाम से पूजती है। उन्होंने धर्म परिवर्तन का विरोध किया और अपने आदिवासी लोगों को हिन्दू धर्म के सिद्धांतो को समझाया था द्य उन्होंने गाय की पूजा करने और गौ-हत्या का विरोध करने की लोगो को सलाह दी। अब उन्होंने अंग्रेज सरकार के खिलाफ नारा दिया "रानी का शासन खत्म करो और हमारा साम्राज्य स्थापित करो " उनके इस नारे को आज भी भारत के आदिवासी इलाकों में याद किया जाता है अंग्रेजो ने आदिवासी कृषि प्रणाली में बदलाव किया जिससे आदिवासियों को काफी नुकसान होता था इसके लिए उन्होंने आंदोलन चलाया जिसके कारण वह कई बार जेल गए।
आदिवासी विकास विभाग के उपायुक्त एवं संयुक्त कलेक्टर श्री सीएल वर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि बिरसा मुंडा ने अपने पारम्परिक रीति-रिवाजों के लिए लड़ना शुरू किया द्य अब बिरसा मुंडा आदिवासियों के जमीन छीनने , लोगों को ईसाई बनाने और युवतियों को दलालों द्वारा उठा ले जाने वाले कुकृत्यों को अपनी आँखों से देखा था जिससे उनके मन में अंग्रेजो के अनाचार के प्रति क्रोध की ज्वाला भड़क उठी थी। इसी के कारण उन्होंने सभी को एकजुट किया एवं अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन चलाया।
श्री वर्मा ने बताया कि समाज को चार वर्ग में विभाजन किया गया था जिसमें बाह्मण,क्षत्रिय, वैश्य व शुद्र समाज थी जिनका रहन-सहन, खान-पान व पहनावा अलग-अलग था पर समाज में सभी को विशेष स्थान प्राप्त था पर अंग्रेजों ने गुलामी की जंजीरों से जकड़कर इनमें फूट डालने की कोशिश कर विभक्त किया पर समाज में एक न एक व्यक्ति इनमें से ही निकल कर समाज को एकजुट करने में सहभागी बनकर समाज को दिशा प्रदान करने में सक्षम होता है उन्हीं में से एक बिरसा मुंडा थे जिन्होंने अपनी समर्पण भावना से समाज को दिशा प्रदान की व जनजाति में भगवान का रूप लेकर शहीद हो गए। इस अवसर पर नगर निगम श्री आरपी अहिरवार, उपायुक्त डॉक्टर खरे, श्री मोहनिया, डीपी सी श्री एचपी कुर्मी, गिरीश मिश्रा, मनोज तिवारी, बीआरसी लोकमन चैधरी सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्राचार्य श्री अरविंद जैन ने किया।
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