।। श्री लक्ष्मी दीपावली पूजन मुहूर्त और विधि।।
14 नवंबर 2020
ध्यानम् - यस्य स्मरेणमात्रेण
₹जन्मसंसार बन्धनात्। विमुच्यते नमस्तस्मै विष्णवे प्रभविष्णवे।। (शास्त्रोक्त विधि से षोडशोपचार महालक्ष्मी पूजन विधि)
पूजन के लिए किसी चौकी पर शुद्ध पीला या लाल वस्त्र बिछाकर गणेश जी के दाहिने भाग में माता महालक्ष्मी जी को स्थापित करना चाहिए साथ ही पुस्तक एवं लेखनी का भी पूजन करना चाहिए दीवारों पर ॐ श्री गणेशाय नम:, स्वास्तिक चिन्ह,शुभ लाभ आदि मांगलिक एवं कल्याणकारी शब्द सिंदूर से लिखने चाहिए और अपने घर की देहरी का भी ॐ देहली विनायकाय नमः। इस मंत्र से पूजन करना चाहिए।।।
इसके बाद पूजन सामग्री को यथा स्थान रख लें सर्वप्रथम पूर्व मुख या उत्तर मुख कर आचमन करें कुशा की पवित्री धारण करें या सोने की अंगूठी धारण करें, प्राणायाम करें अपने ऊपर तथा पूजन सामग्री पर निम्न मंत्र पढ़कर जल छिडकें-
ओम मंगलं भगवान् विष्णुः मंगलं गरुड़ध्वजः मंगलं पुंडरीकाक्षः मंगलाय तनोहरिः।।
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतो$पिवा यः स्मरेत् पुंडरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।।
इसके बाद संकल्प करें क्योंकि बिना संकल्प के पूजन पूर्ण नहीं होता।।
तीन बार विष्णवे नमः विष्णवे नमः विष्णवे नमः ऐसा बोलकर दाहिने हाथ में अक्षत जल, पुष्प, दूर्वा,दक्षिणा, सुपारी, पान, लेकर पूजन के दिन तिथि वार नक्षत्र अपना नाम गोत्र सपरिवार सहित बोलकर गणेश एवं गोरी जी के समीप हम यह महालक्ष्मी जी का पूजन कर रहे हैं ऐसी प्रतिज्ञा करें।
महालक्ष्मी जी हमारे घर में स्थिर होकर विराजमान हों एवं हमारे सभी मनोरथ पूर्ण हों ऐसा मन में संकल्प करके वह संकल्प की सामग्री भगवान के समक्ष समर्पित करें। इसके बाद निम्न मंत्रों के द्वारा विधिवत पूजन करें।
प्रतिष्ठा-
ॐ अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाः क्षरन्तु च।अस्यै देवत्वमर्चायै मामहेति च कश्चन।
इस मंत्र से सभी देवी देवताओं की प्रतिष्ठा करें
इसके बाद ध्यान-
या सा पद्मासनस्था विपुल कटि तटी पद्मपत्त्रायताक्षी गम्भीरावर्तनाभिः तनभरनमिता शुभ्रवस्त्रोत्तरीया या लक्ष्मीर्दिव्य रूपैःमणिगणखचितैः स्नापिता हेमकुम्भैः। सा नित्यं पद्महस्ता मम वसतु गृहे सर्वमाग्ल्ययुक्ता ।।
इसके बाद
ओम महालक्ष्मै नमः आवाहनं समर्पयामि। ओम महालक्ष्मै नमः आसनं समर्पयामि।ओम महालक्ष्मै नमःपाद्यं समर्पयामि।। ओम महालक्ष्मै नमः आसनं समर्पयामि ।ओम महालक्ष्मै नमः स्नानामं समर्पयामि।ओम महालक्ष्मै नमः दुग्धं समर्पयामि। दधिम् समर्पयामि घृतं समर्पयामी। शर्करां समर्पयामी। मधुं समर्पयामि। ओम महालक्ष्मै नमः शुद्ध जलं समर्पयामि। वस्त्रम् समर्पयामि।आभूषणं समर्पयामि। गंधं,चंदनं,सिंदूरं, कुंकुमं, अक्षतं, पुष्पं,मालां,दूर्वां, धूपं, दीपं, नैवेद्यं, ऋतु- फलं तांबूलं, दक्षिणां समर्पयामि।
प्रार्थनां समर्पयामि- शास्त्राणां व्यवहाराणां विद्यानामाप्नुयाद्यतः अतस्वां पूजयिष्यामि।मम हस्ते स्थिरा भव।।
इसी क्रम से आगे कलश का पूजन षोडश मातृका का पूजन सप्तघृतमातृका का पूजन एवं सभी प्रकार की पूजन इन्हीं मंत्रों के द्वारा किया जा सकते हैं केवल जिस देवता की पूजा हो रही हो उस देवता का नाम लेकर हमें पूजन करनी चाहिए ।_
इस वर्ष की दीपावली के विशेष मुहूर्त-
लाभ- दोपहर 2:00 बजे से 3:30 बजे तक । अमृत 3:30 से शाम 5:00 बजे तक । लाभ- शाम 6:30 बजे से रात्रि 8:00 बजे तक । शुभ रात्रि में 9:30 बजे से 11:00 बजे तक।। अमृत 11:00 बजे से 12:30 बजे तक। स्थिर लग्न मुहूर्त- वृष लग्न शाम 5:35 से 7:33 तक सिंह लग्न- रात्रि 12:05 से 2:15 तक ।
आचार्य पंडित शक्ति मिश्र ,
बिहारी जी मंदिर के पीछे मोहन नगर वार्ड सागर(म.प्र.)
मोबा०9752 1483 82
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