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ये इलेक्शन इतना इमोशनल क्यों हुआ जा रहा है भाई @ ब्रजेश राजपूत/ सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट

ये इलेक्शन इतना इमोशनल क्यों हुआ जा रहा है भाई


@ ब्रजेश राजपूत/ सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट 

जैसा कि होता है हर थोडी देर में वाटसएप खंगालने की बीमारी है। कुछ नया आ तो नहीं गया। और इस बार जो वीडियो ग्वालियर से हमारे देव श्रीमाली ने डाला वो हंसा हंसा कर आंखों में पानी दे गया। इस वीडियो में मध्यप्रदेश के बिजली मंत्री प्रदुम्न सिंह तोमर कांग्रेसी कार्यकर्ता के घर  जाकर उनको अपनी कसमें खिलाकर खिलाकर मना रहे हैं कि मेरे साथ प्रचार पर चलिये और आप पोलिंग बूथ पर नहीं बैठेगें। मगर वो कार्यकर्ता जिनका नाम बाद में पता चला कि वो कंाग्रेस के सेक्टर अध्यक्ष रवींद्र सिहं तोमर हैं टस से मस नहीं होते तो हमारे मंत्री जी जो हर कहीं किसी के भी चरणों में  सिर रखकर दंडवत करने को तैयार रहते हैं सोफे से उतर कर सामने बैठे तोमर साहब के पैरों में सिर रखने को उतावले होते हैं और वो साब किसी तरह उनको पैरों में सिर रखने को रोकते हैं। एकदम दंगल जैसा दृश्य होता है कि दोनों पहलवान एक दूसरे के पैरों में अपना अपना सिर फंसाने को उतावले होते है। मालुम नहीं बाद में क्या हुआ मगर तकरीबन दो मिनिट का ये वीडियो बहुत कुछ कह रहा है। ये बता रहा है कि ये चुनाव कितने मुश्किल है। तकरीबन बीजेपी के प्रत्येक प्रत्याशी के लिये कुछ के वीडियो बाहर आ रहे हैं कुछ के नहीं आ पा रहे। मगर अटठाइस जगहों में से 25 जगहों पर पार्टी बदल कर चुनाव लड रहे मंत्री हों या पूर्व विधायक सभी को ऐसी ही परेशानी का सामना करना पड रहा है। जब उनको अपने साथ साथ चले दोस्तों मित्रों कार्यकर्ताओं को समझाना पड रहा है कि जैसे पहले साथ रहे अब फिर साथ रहो मेरा साथ दो। ओर इतने सारे अपनों को समझाने के बाद फिर आती है जनता को समझाने की बारी कि मुझे वोट क्यों दो। सच तो ये है कि वोट मांगने में अब आंसू आ रहे हैं।
कमलनाथ सरकार से लेकर शिवराज सरकार में रहे पूर्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का ऐसा ही वीडियो कुछ दिन पहले सामने आया था जब वो एक सार्वजनिक सभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने उनको विनम्रता की मूर्ति बताकर उनको अपना आदर्श बताते हैं और आंखों में आंसू भरकर कहते हैं कि जाने अंजाने में हुयी भूलों के लिये कार्यकर्ता और जनता उनको माफ करे। अब वो हमेशा अपनी जनता और कार्यकर्ता के सुख दुख में खडे रहेंगे। गोविंद सरीखे विशाल कदकाठी के कददावर व्यक्ति को इस तरह मंच पर रोता देख सामने बैठी जनता ने ना जाने क्या सोचा होगा मगर सच तो ये है कि इस वीडियो ने दूर बैठे लोगों को बता दिया कि ये चुनाव कितना कठिन है।
इस चुनाव में एक और रोना धोना राष्ट्रीय खबर बना वो था कांग्रेस ओर बीजेपी सरकार में मंत्री रहीं इमरती देवी का। डबरा से चौथीं बार चुनाव लड रहीं इमरती देवी के खिलाफ प्रचार को गये कमलनाथ ने उनको आइटम कह दिया और फिर क्या था ये शब्द जिसका हिंदी अनुवाद वस्तु, विषय, मद या नमूना होता है राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गया। बीजेपी इस शब्द को ले उडी और इसे कांग्रेस के लिये राष्ट्रीय शर्म का प्रतीक बना दिया। इमरती देवी ने भी रो रोकर इसे मुददा बना दिया। ये अलग बात है कि उनको आइटम शब्द पर ऐतराज था मगर कमलनाथ को बंगाली, कबाडी और जाने क्या क्या बोल रहीं थीं। रही सही कसर इमरती देवी के नेता महाराज साब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूरी कर दी जब एक सभा में हाथ जोडकर खडी इमरती को उन्होंने अचानक कंधे से लगा लिया और उनके अपमान को डबरा की जनता का अपमान बताया ऐसे में भौंचक्की सी इमरती देवी से कुछ ना बना तो कंधे से लगे लगे आंखों में आंसू भर लिये और साडी से पोंछने लगीं।

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ऐसा नहीं है कि आंसू से वोट लेने के तरीके का इस्तेमाल सिर्फ भाजपा में कांग्रेस से आये नेता ही नहीं कर रहे। अभी मेहगांव से चुनाव में उतरे कांग्रेस के युवा प्रत्याशी हेमंत का भापण सुन रहा था जिसमें वो अपने पिता सत्यदेव कटारे का जिक्र कर रहे थे और अपने सामने की जनता से से वोट के माध्यम से उनको श्रद्वांजलि देने की बात कर रहे थे और कंाग्रेस ने दावा किया कि इस सभा के दौरान हेमंत के पक्ष में प्रचार करने आये कमलनाथ भी भावुक हो उठे उनकी आंखों में भी पानी आ गया।
इंदौर से हाटलाइन चलाने वाले हमारे पत्रकार मित्र राजा शर्मा ने कुछ दिनों पहले बता दिया कि गृहों के ऐसे योग ऐसे बन रहे हैं कि ये चुनाव अब तथ्यों नहीं भावनात्मक मुददों पर आयेगा। और चुनाव भावनात्मक मुददों को उभारने के लिये आंसुओं पर आ गया। कहीं पश्चाताप के आंसू आ रहे हैं तो कहीं शोक और दुख के। हैरानी ये ही है कि खुशियों के आंसू कहीं नहीं आ रहे। वो दिन चुनावी राजनीति में कभी आयेगा कि जब नेता मंच से कहे कि देखो मैंने जनता के लिये ये सब किया और आप सबकी जिंदगी बदल गयी। यदि नेता की बातों में सच्चाई होगी ओर वाकई जिंदगी बदली होगी तो लोगों की आंखों से खुशी के आंसू निकलेगें, पश्चाताप और अविश्वास के नहीं।
साहिर लुधियानवी साहब को यहंा याद करते हुये,,,
वो सुबह कभी तो आयेगी, 
बीतेंगे कभी तो दिन आखिर ये भूख और बेकारी के,
टूटेंगे कभी तो बुत आखिर दौलत की इजारादारी के,
जब एक अनोखी दुनिया की बुनियाद उठाई जायेगी,
वो सुबह कभी तो आयेगी।


Brajesh Rajput, ABP News  Bhopal


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