दलबदल में माहिर सुरखी के नेता !
★ लक्ष्मीनारायण यादव ने कई दफा, गोविंद राजपूत ने दो दफा बदले दल
★ उपचुनाव में दलबदल को लेकर घूम रही कई कहानियां
#सुरखी_उपचुनाव
@ विनोद आर्य
सागर।( तीनबत्ती न्यूज़ .कॉम ) । एमपी में इस दफा उपचुनाव में दलबदलू गद्दार, पलटूराम ,बिकाऊ जैसे जुमले गूंज रहे है। कमलनाथ सरकार दलबदल के चलते घराशायी हुई। अब उपचुनाव में लोकतंत्र को मजबूत करने की बाते दलबदलू कर रहे है। लेकिन सुरखी विधानसभा सीट का उपचुनाव के दोनों प्रत्याशी परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत और पारुल साहू एक दूसरे की पार्टी में शामिल हो गए। यहां फर्क इतना है कि चेहरे पुराने, पार्टी नई हैं । यहां दलबदल का मुद्दा बराबरी का नजर आता है। कोई खास असर नही बनाये है।
यदि सुरखी के राजनीतिक इतिहास को देखे तो यहां लम्बे समय से दलबदल होता रहा है। वर्तमान में पूर्व सांसद लक्ष्मी नारायण यादव, उनके बेटे सुधीर यादव, गोविंद राजपूत, राजेन्द्र सिंह मोकलपुर और पारुल साहू ऐसे ही चेहरे है । लेकिन इनके पार्टिया छोड़ने के पीछे अपने अपने तर्क और मुद्दे है। खास बात यह भी है कि इनकी लोकप्रियता भी बरकरार है।
लष्मीनारायण यादव और सुधीर यादव
सुरखी से सन 1977 में जनता पार्टी के टिकिट से विधायक बने लक्ष्मी नारायण यादव का 2014 में सांसद बनने तक का सफर कई दलों जैसे लोकदल, जनतादल एस , कांग्रेस से लेकर भाजपा आदि से गुजरकर तय हुआ । श्री यादव ने कई दल बदले और चुनाव भी खूब लड़े। राजनीतिक विरासत उनके बेटे सुधीर यादव ने सँभाली तो दलबदल उनका भी कई दफा हुआ। कांग्रेस के बाद उमाभारती की बनाई जनशक्ति पार्टी से बण्डा विधानसभा से चुनाव लड़े और हारे। भाजपा ज्वाईन करने के बाद सुरखी से 2018 में टिकिट मिला। इस चुनाव में कांग्रेस के गोविंद राजपूत ने 21 हजार से अधिक मतों से हराया। अब इन्ही परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके चुनाव प्रचार में लगे है।
स्व माधवराव - ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ दो दफा दल बदला, गोविंद राजपूत ने
एमपी की राजनीति में सिंधिया परिवार का रसूख है। कांग्रेस में स्व श्री मंत माधवराव सिंधिया- ज्योतिरादित्य सिंधिया की खूब चली। सन 1995 में जब माधवराव सिंधिया ने विकास कांग्रेस बनाई तो उस समय के युवा चेहरे गोविंद राजपूत ने उनका दामन थामा। सिंधिया से सीधा नाता जबसे जुड़ा वो अभी तक बरकरार है। कुछ समय बाद सिंधिया जी की वापसी कांग्रेस में हुई।गोविंद राजपूत भी वापिस आये और इसका राजनीतिक फल मिला। गोविंद राजपूत सन 1998 में सुरखी विधानसभा से प्रत्याशी बने और पहला चुनाव लड़ा। लेकिन भाजपा के भूपेंद्र सिंह ने उनको पराजित किया। सुरखी से
गोविंद राजपूत ने कांग्रेस के सहारे लगातार पांच चुनाव लड़े और और सन 2018 में कमलनाथ सरकार में पहली दफा मन्त्री बनने का सपना पूरा हुआ।
स्व माधवराव के लिए पार्टी छोड़ने वाले गोविंद ने एक बार उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा के चलते 22 विधायको के साथ पार्टी छोड़ी। सिंधिया सहित सभी भाजपा में शामिल हो गए। अब सुरखी उपचुनाव में गद्दार के सवाल पर गोविंद राजपूत कहते है कि कांग्रेस धोखेबाजों की पार्टी है। कांग्रेस ने विकास के मुद्दे पर जनता और किसानों के साथ विश्वासघात किया है। मेरे क्षेत्र के विकास की उपेक्षा कमलनाथ और कांग्रेस ने की। अब क्षेत्र की जनता कहती है कि अब सही पार्टी यानी भाजपा में आ गए हो। भाजपा विकास की बात करती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सिर्फ पांच महीने अरबो रुपया सुरखी के विकास के लिए दिया।
राजेन्द्र सिंह मोकलपुर
सागर कृषि उपज मंडी केपूर्व अध्यक्ष राजेंद्र सिंह मोकलपुर सुरखी के बड़े नेताओं में एक माने जाते है। सन 2008 में कांग्रेस पार्टी को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए। और विधानसभा चुनाव भी लड़ा। लेकिन मोकलपुर गोविंद रणपूत से चुनाव हार गए। उसके लम्बे समय तक दोनो में विरोध चला। वर्तमान में उनके कांग्रेस में वापसी को लेकर राजनीतिक सरगर्मी रही । लेकिन वे भाजपा में ही रहे। काफी मांन मनोव्वल के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की सभा मे मंच पर राजस्व मंत्री गोविंद राजपूत के साथ दिखे। फिलहाल दोनो के बीच तालमेल हो गया। इसे सुरखी उपचुनाव का टर्निंग पाईंट भी माना जा रहा है।
पूर्व विधायक पारुल साहू
सुरखी सीट की जनता इस चुनाव में दलबदल को सबसे करीब से देखेगी। सन 2013 में कांग्रेस के दिग्गज गोविन्द राजपूत को भाजपा के टिकिट पर हराने वाली पारुल साहू ने पिछले महीने पाला बदला और कांग्रेस में शामिल हो गई। कांग्रेस ने प्रत्याशी भी घोषित कर दिया । सन 2018 में भाजपा ने पारुल का टिकिट काटा था।
सुरखी में अब सन 2013 के चेहरे गोविंद पारुल फिर आमने सामने है। फर्क इतना यह है कि पार्टी नई है। पारुल साहू कहती है कि मैने सुरखी क्षेत्र की जनता की आवाज पर यह निर्णय लिया है। मेरी लड़ाई क्षेत्र में फैले भय और अंहकार के खिलाफ है। मेने किसी पार्टी की धोखे से सरकार नही गिराई।
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