अजब एम पी का गजब उपचुनाव...
ब्रजेश राजपूत/ सुबह सवेरे में ग्राउंड रिपोर्ट
दृश्य एक
भोपाल में अरेरा कालोनी में दीनदयाल भवन यानिकी बीजेपी का दफतर। दूर से ही देखने वाले को आकर्पित करते हुये। वजह है कि दफतर की बाहर की बाउंडी से लेकर अंदर की दीवालों तक पार्टी के चार बडे नेताओं के फोटो वाले रंगीन फलेक्स चमचमा रहे हैं। चार के अलावा किसी पांचवे नेता का चेहरा इन पोस्टरों में आप तलाशते रह जाओगे मगर मिलेगा नहीं। मगर हम पत्रकारों को खबर मिल जाती है। चमचमाते होर्डिग्स मंें नेता गण हैं देश के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी, बीजेपी के राप्टीय अध्यक्ष जेपी नडडा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा। जिस पंाचवे नेता को हमारी नजरें तलाशती हैं वो ज्योतिरादित्य सिंधिया इन विशालकाय होर्डिग्स से नदारद हैं। कल तक पुरानी पार्टी के पोस्टर बाय और चमकदार नेता सिंधिया का यहंा ना होना उनको अखरे या नहीं मगर उनके समर्थकों का दिल दुखाता जरूर है। हमारे महाराज साब भी यहंा होते तो अच्छा लगता ये गोविंद यादव हैं जो मुंगावली विधानसभा के रहने वाले हैं और अपने इलाके के बीजेपी नेतो के साथ यहां आये हैं। गोविंद ये देख कर प्रसन्न हैं कि इन्हीं होर्डिस के बीच जगह बनाकर लगायी गयी राजमाता विजयाराजे सिंधिया में उनकी जिंदगी को बहुत अच्छे से सुंदर चित्रों के साथ दिखाया गया है मगर अंदर भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की झलक भी नहीं है। गोविंद ये बात भी भरे मन से बताते हैं। बीजेपी ये होर्डिग्स प्रदेश में हो रहे उपचुनावों की तैयारी के मकसद से लगाये गये हैं मगर जब ये बात हम बीजेपी के उर्जावान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से पूछते हैं तो उनको जबाव होता है कि हमारी पार्टी में पोस्टर बैनर पर किसको लेना है किसको नहीं ये सब योजना और नियमों के मुताबिक तय होता है, किसी नेता का चेहरा वहंा नहीं होना उनका अनादर करना नहीं होता। सिंधिया जी पार्टी के बडे नेता हैं सांसद है हमारे सम्मानीय हैं। वो पार्टी के प्रचार में लगातार सक्रिय हैं। ठीक यही सवाल कुछ दिनों पहले भी उठा था जब इसी दफतर से पार्टी के प्रचार वीडियो रथ विधानसभाओं में भेजे गये थे तब ऐसा ही जबाव प्रभात झा ने भी दिया था। खैर इन पोस्टरों से पार्टी का दफतर जगमगा रहा है और हर थोडी देर में किसी नेता की आवक जावक बता रही है कि उपचुनाव चल रहे हैं और पार्टी दम खम से मैदान में है।
दृश्य दो
भोपाल की लिंक रोड एक पर मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी का दफतर इंदिरा भवन। इस भवन के उपर लगा फलेेक्स जिसमें प्रदेश कांग्रेस कमेटी लिखा हुआ था वो बुरी तरह फट चुका है। दफतर के बाहर लगी कांग्रेस नेताओं की जन्मदिन की शुभकामनाएं देने वाले पोस्टरों को छोड दिया जाये तो सडक से गुजरने पर अहसास नहीं होता कि ये कांग्रेस का दफतर है। दफतर के अंदर प्रवक्ताओं के कमरों को छोड दें तो बाकी के कमरे खुलते ही कम हैं। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ अपनी अति व्यस्तताओं के कारण यहां आते भी कम हैं और जरूरी आयोजन वो सिविल लाइंस के अपने निवास पर ही कर लेते हैं तो दफतर की रौनक तकरीबन खत्म ही है। इस बेरौनक के दफतर के बावजूद कांग्रेस उपचुनाव दमदारी से लड रही है। ऐसा जमीन से आने वाली खबरों में दिख रहा है। वैसे भी इतने चुनावों को करीब से देखने के बाद हम मान चुके हैं कि कांग्रेस माहौल पर सवार होकर चुनाव लडती है तो बीजेपी जमीन पर जमावट करके अपनी बिसात बिछाती है और कडे से कडा चुनाव पहले मुकाबले में लाती है और फिर उसे जीत जाती है।
प्रदेश में पहली बार इतने सारे उपचुनाव हो रहे हैं। आमतौर पर विधायकों की मृत्यु या असामयिक निधन पर होने वाले चुनाव इस बार विधायकों के अचानक बनावटी कारणों के चलते दिये इस्तीफों के कारण हो रहे हैं। कंाग्रेस के टिकट पर चुनाव लडने वाले पच्चीस पूर्व विधायक अब बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड रहे हैं। इस अजब गजब चुनाव में जनता क्या सोच रही है और किसके साथ जायेगी। ये अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है। जनता वोट देने निकलेगी या नहीं ये भी सोचा जा रहा है क्योंकि इन चुनावों को लेकर आम वोटर में कोई उत्साह नहीं है। उत्साह तो बस चुनाव लड रहे नेता और प्रचार में उतरे कार्यकर्ताओं में ही है जिसके अलग अलग कारण हैं उन कारणों पर चर्चा फिर कभी। दिलचस्प बात ये है कि चुनाव कुछ भी नहीं छोडता। कितनी सारी बातें आम जनता को चुनाव के दौरान पता चल जाती हैं। जैसे मंत्री इमरती देवी ने कहा कि कमलनाथ तो अपने विधायकों को बांधे रखने के लिये पांच लाख रूप्ये हर महीने देते थे। जीतू पटवारी कहते हैं कि मंत्री हरदीप डंग अपने माफिया साथियों को पुलिस से छुडवाने के लिये मंदसौर के एसपी जो मेरा रिश्ते में भाई लगता है उसको फोन लगाने को कहते थे। इन सारी बातों की सत्यता पर संदेह कर सकते हैं मगर राजनीति इन दिनों ऐसी ही हो गयी है इसलिये इन सारी बातों पर सिरे से अविश्वास नहीं किया जा सकता। इन चुनावों का एक चर्चित बयान तो पोहरी से कांग्रेस छोड बीजेपी से चुनाव लड रहे मंत्री सुरेश धाकड ने भी दिया कि हां मैं बिका था मगर अपने क्षेत्र के विकास और महाराज साब के लिये। उनके विरोधी उनके बिकने की बात को ही ले उडे और फैला दिया कि देखो हम कहते थे कि ये सब बिके विधायक हैं।
खैर आने वाले दिनों में ऐसी बहुत सारी छिपी हुयी सच्चाई चुनावों के प्रचार के दौरान सामने आयेंगी जिन पर आप आंख बंद कर भरोसा तो नहीे कर सकते मगर वो ये तो बता ही देगी कि राजनीति किस दिशा और दशा को प्राप्त हो रही है।
फिर भोपाल में बीजेपी के दफतर की दीवारों को देख
हमारे प्रिय गजलकार दुश्यंत कुमार जी याद आ गये ,,,
आज दीवारों पर लिखे सैकडों नारे ना देख।
घर अंधेरा देख आसमान के तारे ना देख।
( यहंा सडकों की जगह दीवारों कर दिया है माफी के साथ )
Brajesh Rajput, Bhopal,
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