सागर: नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास की सजा

सागर: नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास की सजा

सागर। जघन्य एवं सनसनीखेज मामले में माननीय विशेष न्यायाधीश/नवम् अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती नीलू संजीव श्रृंगीऋषि, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, सागर ने नावालिग से दुष्कृत्य करने वाले आरोपी मुकेश साहू पिता रतिराम साहू उम्र 23 वर्ष निवासी थाना गोपालगंज जिला सागर को धारा 376(ए)(बी) भादवि में दोषी पातेे हुए सश्रम आजीवन कारावास एवं 2000 रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया। प्रकरण में राज्य शासन की ओर से पैरवी उप-संचालक (अभियोजन) अनिल  कटारे  द्वारा की गयी।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि पीडिता (नाबालिग) जिसकी उम्र 10 साल है दिनांक 11.01.2019 को अपनी माॅ के साथ थाना गोपालगंज में लेखीय आवेदन प्रस्तुत किया कि दिनांक 10.01.2019 को नाबालिग की माॅ एवं दादी बाजार गयी थी, भाई एवं बहिन बाहर खेल रहे थे।  दोपहर करीब 03 बजे पीडिता अपनी बडी मम्मी के घर से टी.वी. देकर आ रही थी। तभी आरोपी मुकेष आया और उसे अपने घर चलने के लिए कहा। नाबालिग, आरोपी के साथ उसके घर चली गयी। आरोपी ने (नाबालिग) पीडिता को कमरे में बंद करके उसके साथ गलत काम करने लगा और घमकी दी कि अगर चिल्लाई तो जान से खत्म कर दूंगा। पीडिता चिल्लाने लगी तो उसके परिवार के अन्य सदस्य वहां आ गये तो आरोपी ने नाबालिग को छोड दिया। उक्त घटना के बारे में पीडिता ने अपनी माॅ को बताया। लेखीय आवेदन के आधार पर थाना गोपालगंज में प्रकरण अंतर्गत धारा 376(ए)(बी), 376(2)(एच), 506 भाग 2 भादवि एवं 5(एम), 5(एन), 6 पाॅक्सो एक्ट 2012 पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र आरोपी के विरूद्ध माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। 

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अभियोजन द्वारा मामले में 13 अभियोजन साक्षियों को न्यायालय में परीक्षित कराया गया एवं मामले से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेजों को प्रमाणित कराया गया। उप-संचालक अनिल कटारे द्वारा मामले में लिखित बहस भी प्रस्तुत की गयी।  न्यायालय के समक्ष साक्ष्यों को सूक्ष्मता से प्रस्तुत किया गया। मामले में आयी साक्ष्य के आधार पर एवं अभियोजन के तर्को से सहमत होकर माननीय विशेष न्यायाधीश/नवम् अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती नीलू संजीव श्रृंगीऋषि, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, सागर की अदालत ने आरोपी मुकेश साहू धारा 376(ए)(बी) भादवि में दोषी पातेे हुए सश्रम आजीवन कारावास एवं 2000 रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया।


 



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