भोपाल: किसानों के साथ धोखाधडी करने वाले कैशियर को न्‍यायालय ने 35 साल बाद सुनाई सजा


भोपाल : किसानों के साथ धोखाधडी करने वाले कैशियर को न्‍यायालय ने 35 साल बाद सुनाई सजा

★ आरोपी ने किसान विपणन संस्‍था में रहते हुए किया था 2,80,000 का घोटाला, आरोपी को हुआ 2 साल का कारावास एवं 2500 रूपये का जुर्माना

भोपाल ।  न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट प्रथम श्रेणी, बैरसिया श्रीमती दीप्ति ठाकुर के न्‍यायालय ने 35 वर्ष पुराने प्रकरण  में किसान विपणन सहकारी संस्‍था में सोयाबीन की खरीदी के संबंध में फर्जी दस्‍तावेज और बिल बनाकर 2,80,867 रूपये की  धोखाधडी करने वाले सहकारी संस्‍था के कर्मचारी रतनलाल जैन उम्र 75 वर्ष को धारा 409 में दो वर्ष की सजा एवं 1000 रूपये का जुर्माना, धारा 467 में 2 वर्ष की सजा एवं 1000 रू जुर्माना एवं धारा 420 में 1 वर्ष की सजा एवं 500 रूपये जुर्माने से दण्डित किया गया। प्रकरण में अन्‍य आरोपी श्री कृष्‍ण शास्‍त्री, एन.के. जैन, एवं ओमसिंह की मृत्‍यु विचारण के दौरान हो चुकी है। अन्‍य आरोपी शेरसिंह, जगदीश, राजकुमार और प्रेमसिंह को साक्ष्‍य के अभाव में दोषमुक्‍त किया गया है।   शासन की ओर से पैरवी अभियोजन अधिकारी श्री मिथिलेश चौबे द्वारा की गई।


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मामले की जानकारी देते हुए एडीपीओ. श्री मिथिलेश चौबे ने बताया कि  फरियादी गोविंदराम मोटवानी ने थाना बैरसिया में रिपोर्ट लेख कराई कि  वह सहकारिता विभाग में सहकारी निरीक्षक के पद पर पदस्‍थ है। तथा कार्यालय उपपंजीयक सहकारी संस्‍था जिला भोपाल के आदेश क्रमांक/विप/1661/86 दिनांक 28.06.86 के अनुसार किसान विपणन सहकारी संस्‍था मर्यादित बैरसिया के प्रभारी अधिकारी के पद पर नियुक्‍त किया गया है। संस्‍था के अंकेक्षक श्री वी.एल.तिवारी द्वारा प्रस्‍तुत अंकेक्षण आपेक्ष प्रतिवेदन वर्ष 85-86 तथा संस्‍था के अभिलेखों के मिलान करने एवं उनका प्रमाणको आदि से परीक्षण करने से संस्‍था के तत्‍कालीन अध्‍यक्ष श्री शेरसिंह एवं संचालक श्री कृष्‍ण शास्‍त्री  तथा कर्मचारीगण  एन.के. जैन(तत्‍कालीन प्रबंधक), राजकुमार शर्मा, प्रेमसिंह, ओमसिंह, रतनलाल जैन तथा जगदीश प्रसाद शर्मा  द्वारा राशि रूपये 2,80,876-18 पैसे का गबन करने के लिए दोषी पाए गए है। इनमें से राजकुमार शर्मा द्वारा अपना अपराध लिखित रूप से कबूल किया जाकर दिनांक 29.01.86 को एवं 31.01.86 को क्रमश: 15000 रूपये एवं 20735 रूपये, इस प्रकार कुल राशि 35,735 रूपये संस्‍था में जमा की जा चुकी है। उपरोक्‍त वर्णित व्‍यक्तियों द्वारा संस्‍था की गबन की गई राशि का स्‍वयंहित में दुरूपयोग किया गया है। इस प्रकार शासकीय नियमों के तहत पंजीकृत संस्‍था की राशि का गबन कर उसका दुरूपयोग करने के कारण उपरोक्‍त पदाधिकारी एवं कर्मचारीगण दोषी है। इनके द्वारा उक्‍त राशि का गबन करने के प्रयोजन हेतु कई अनुचित तरीके अपनाये गये है, जैसे कि वास्‍तविक खरीदी से अधिक खरीदी दर्शाकर, पंजी खरीदी की बाला-बाला पर्चियां (बिल) काटकर एक-दूसरे के सहयोग से भुगतान प्राप्‍त करना, एक ही क्रमांक की पर्ची के क्रमांक का बार-बार हवाला देकर वास्‍तविक भुगतान से अधिक भुगतान दर्शाकर राशि प्राप्‍त करना,  एक से अधिक फर्जी नामों से राशि का भुगतान दर्शाकर, पर्ची काटने के बाद उसमें पूर्व दर्शायी गई वस्‍तु की मात्रा एवं राशि में फेरबदल कर वास्‍तविक भुगतान योग्‍य राशि से अधिक भुगतान दर्शाकर एवं अपराध से संबंधित सबूतो को मिटाने एवं एक-दूसरे की आपराधिक गतिविधियों पर पर्दा डालने की कोशिश करना शामिल है। 
पुलिस द्वारा उक्‍त सूचना पर थाना बैरसिया के अपराध क्रमांक 229/86 अंतर्गत धारा 409, 420 एवं 467 भादवि के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया, और विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्‍यायालय में पेश किया गया। 


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