श्रीकृष्ण जन्माष्टमी : इष्टदेव भगवान राधाकृष्ण श्रद्धा की कुल परम्परा धगट परिवार-दमोह की
दमोह । कुल परंपराओं और श्रद्धा को लिए दमोह का कुलीन धगट परिवार विगत 150 वर्षों से सहकुटुम्ब श्री राधाकृष्ण भगवान का पूजन अर्चन पूजन अर्चन करता आ रहा है ।
दमोह के धगट परिवार में अटूट विश्वास है कि उनकी रुकी हुई वंश वृद्धि इन्हीं देव राधाकृष्ण कृपा से हुई ।
वर्ष 1825 के लगभग गुजरात से दमोह आये पंडित विष्णुदत्त जी धगट, निःसंतान थे । उन्होंने गुजरात ही के अपने कुटुम्बी पंडित देवकृष्ण जी को गोद लिया । पंडित देवकृष्ण जी का विवाह झाँसी रानी लक्ष्मीबाई की सहेली रहीं ध्यानी परिवार की यशोदा जीजी से हुआ । श्री देव राधाकृष्ण मंदिर, धगट चौराहा, दमोह के श्रद्धालु और प्रमुख कार्यकर्ता दिलीप भाई धगट और धगट बाबा बताते हैं कि उनके पूर्वज पंडित देवकृष्ण जी भी विवाहोपरांत अनेक वर्ष सन्तानहीन ही बने रहे । बाद में लोटन सांई नामक एक संत ने उनके घर वाराणसी से लाकर भगवान राधाकृष्ण की स्थापना की । इसके बाद ही पंडित देवकृष्ण धगट के परिवार में समृद्ध वंश वृद्धि हुई । दमोह में पंडित देवकृष्ण धगट के वंशज देश दुनिया में प्रतिष्ठित हुए ।
आस्था और विश्वास की यह परम्परा बरसों-बरस से अनवरत है । जन्माष्टमी 2020 को दमोह, के श्री राधाकृष्ण मंदिर ट्रस्ट के धगट चौराहा पर निर्मित भव्य निर्मित देव राधाकृष्ण मंदिर में कोरोना संक्रमण के चलते देश - विदेश से धगट परिवार के वंशज एकत्र नहीं हो सके । प्रत्येक वर्ष मंदिर में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक आयोजन भी इस वर्ष स्थगित रखे गये हैं । वर्तमान कोरोना काल में भक्ति भाव से सराबोर धगट परिवार ने प्रार्थनाओं में अपने इष्टदेव भगवान श्री राधाकृष्ण से भक्तजनों देश और प्राणीमात्र लिए आरोग्य के वरदान मांगे ।
विद्वान पंडित महेश पांडेय जी के द्वारा कराए गए प्रातः कालीन अभिषेक पूजन के यजमान राजीव भाई और श्रीमती धारा धगट दम्पत्ति हुए । श्रद्धा पूर्वक हुए गोपाल सहस्रनाम आयोजन में सुशिक्षित और जागरूक धगट परिवारजनों ने सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क प्रयोग अनिवार्य रखा । प्रातःकालीन अभिषेक पूजन,गोपाल सहस्त्र नाम ,रात्रिकालीन कृष्ण जन्मोत्सव और महाआरती के ऑनलाइन दर्शन लाभ की विशेष व्यवस्था रखी गई है ।
दमोह । कुल परंपराओं और श्रद्धा को लिए दमोह का कुलीन धगट परिवार विगत 150 वर्षों से सहकुटुम्ब श्री राधाकृष्ण भगवान का पूजन अर्चन पूजन अर्चन करता आ रहा है ।
दमोह के धगट परिवार में अटूट विश्वास है कि उनकी रुकी हुई वंश वृद्धि इन्हीं देव राधाकृष्ण कृपा से हुई ।
वर्ष 1825 के लगभग गुजरात से दमोह आये पंडित विष्णुदत्त जी धगट, निःसंतान थे । उन्होंने गुजरात ही के अपने कुटुम्बी पंडित देवकृष्ण जी को गोद लिया । पंडित देवकृष्ण जी का विवाह झाँसी रानी लक्ष्मीबाई की सहेली रहीं ध्यानी परिवार की यशोदा जीजी से हुआ । श्री देव राधाकृष्ण मंदिर, धगट चौराहा, दमोह के श्रद्धालु और प्रमुख कार्यकर्ता दिलीप भाई धगट और धगट बाबा बताते हैं कि उनके पूर्वज पंडित देवकृष्ण जी भी विवाहोपरांत अनेक वर्ष सन्तानहीन ही बने रहे । बाद में लोटन सांई नामक एक संत ने उनके घर वाराणसी से लाकर भगवान राधाकृष्ण की स्थापना की । इसके बाद ही पंडित देवकृष्ण धगट के परिवार में समृद्ध वंश वृद्धि हुई । दमोह में पंडित देवकृष्ण धगट के वंशज देश दुनिया में प्रतिष्ठित हुए ।
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आस्था और विश्वास की यह परम्परा बरसों-बरस से अनवरत है । जन्माष्टमी 2020 को दमोह, के श्री राधाकृष्ण मंदिर ट्रस्ट के धगट चौराहा पर निर्मित भव्य निर्मित देव राधाकृष्ण मंदिर में कोरोना संक्रमण के चलते देश - विदेश से धगट परिवार के वंशज एकत्र नहीं हो सके । प्रत्येक वर्ष मंदिर में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक आयोजन भी इस वर्ष स्थगित रखे गये हैं । वर्तमान कोरोना काल में भक्ति भाव से सराबोर धगट परिवार ने प्रार्थनाओं में अपने इष्टदेव भगवान श्री राधाकृष्ण से भक्तजनों देश और प्राणीमात्र लिए आरोग्य के वरदान मांगे ।
विद्वान पंडित महेश पांडेय जी के द्वारा कराए गए प्रातः कालीन अभिषेक पूजन के यजमान राजीव भाई और श्रीमती धारा धगट दम्पत्ति हुए । श्रद्धा पूर्वक हुए गोपाल सहस्रनाम आयोजन में सुशिक्षित और जागरूक धगट परिवारजनों ने सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क प्रयोग अनिवार्य रखा । प्रातःकालीन अभिषेक पूजन,गोपाल सहस्त्र नाम ,रात्रिकालीन कृष्ण जन्मोत्सव और महाआरती के ऑनलाइन दर्शन लाभ की विशेष व्यवस्था रखी गई है ।
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