सागर: पत्नि की हत्या के आरोपी पति की जमानत खारिज

सागर: पत्नि की हत्या के आरोपी पति की जमानत खारिज

सागर। न्यायालय- सुश्री संजना मालवीय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, रहली जिला सागर के न्यायालय ने आरोपी कमलेष आदिवासी निवासी ग्राम बादीपुरा जिला सागर का जमानत का आवेदन को निरस्त करने का आदेष दिया गया। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जमानत आवेदन पर राज्य शासन की ओर से सहा0 जिला अभियोजन अधिकारी आषीष त्रिपाठी, रहली ने शासन का पक्ष रखा।

घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि फरियादिया ने रिपोर्ट लेख कराई थी कि आज से करीब 06 माह पहले मैने अपनी लडकी की शादी ग्राम बांदीपुरा में रहने वाले कमलेष आदिवासी से की थी। करीब 01 माह पहले मेरी लडकी की डिलेवरी हुई थी, जो बच्चा कम दिन का होने से जन्म के 02 दिन बाद ही मर गया था। उसी बात पर से कमलेष मेरी बच्ची से मारपीट करता था और कई बार गला दबाकर दम घोटने की कोषिष की। दिनांक 01.08.2020 को दोपहर 12ः30 बजे मेरे मोबाइल पर लडकी का फोन आया कि मेरे पति को शक है कि जो मेरा बच्चा हुआ वो उसका नही है और कमलेष सुवह से गाली गलोज कर रहा है। मुझे यहां से ले जाओ नही तो कमलेष मुझे मार डालेेगा। फरियादिया ने अपनी लडकी से कहा कि आज शांम को आ रही हूॅ और राखी का त्यौहार भी है तो तुम मेरे साथ रह लेना ऐसा समझाा दिया। उसी शाम को कमलेष का फोन आया कि तुम्हारी लडकी मर गई है। फरियादिया ने कारण जानने के लिये पूछा तो आरोपी कमलेष ने फोन काट दिया। फरियादिया अपने पति के साथ घटना स्थल पर पहुची तो फरियादिया की लडकी मृत अवस्था में थी। उसके गले एवं अन्य जगह खरोच के निषान भी थे। उक्त घटना की रिपोर्ट पर से थाना रहली ने अपराध पंजीबद्ध किया और आरोपी कमलेष को धारा 302 भादवि में गिरिफतार किया। आरोपी के अधिवक्ता ने जमानत आवेदन न्यायालय में पेष किया। जहां अभियोजन ने जमानत आवेदन का विरोध करते हुए महत्वपूर्ण तर्क प्रस्तुत किये। माननीय न्यायालय द्वारा उभय पक्ष को सुना गया। न्यायालय द्वारा प्रकरण के तथ्य परिस्थितियों एवं अपराध की गंभीरता को देखते हुए व अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी कमलेष का प्रस्तुत जमानत हेतु धारा 437 दप्रसं का आवेदन निरस्त कर दिया गया।

बलात्संग के आरोपी की अग्रिम जमानत निरस्त
सागर। न्यायालय- श्रीमान राकेष कुमार ठाकुर अपर सत्र न्यायाधीष देवरी जिला सागर के न्यायालय ने आरोपी  जितेन्द्र पिता सुरेष कुर्मी उम्र करीब 30 साल का जमानत का आवेदन को निरस्त करने का आदेष दिया गया। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जमानत आवेदन पर राज्य शासन की ओर से वरिष्ठ सहा0 जिला अभियोजन अधिकारी कपिल पाण्डे, देवरी ने शासन का पक्ष रखा।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि घटना दिनांक 19.06.2020 को आरोपी जितेन्द्र के द्वारा पीडिता के साथ रात्रि के 12ः30 बजे पीडिता की सहमती के बिना उसके घर के पास बनी झोपडी में ले जाकर बलात्संग किया गया तथा जान से मारने की घमकी दी। पुलिस थाना महाराजपुर में आरोपी के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। आरोपी के अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत आवेदन न्यायालय में पेष किया। जहां अभियोजन ने जमानत आवेदन का विरोध करते हुए महत्वपूर्ण तर्क प्रस्तुत किये। माननीय न्यायालय द्वारा उभय पक्ष को सुना गया। न्यायालय द्वारा प्रकरण के तथ्य परिस्थितियों एवं अपराध की गंभीरता को देखते हुए व अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी जितेन्द्र का प्रस्तुत अग्रिम जमानत हेतु धारा 438 दप्रसं का आवेदन निरस्त कर दिया गया।

पत्नि को जलाने के आरोपी पति की जमानत खारिज  
सागर। न्यायालय- श्रीमती आरती ए शुक्ला तृतीय अपर सत्र न्यायाधीष खुरई जिला सागर के न्यायालय ने आरोपी प्रमोद कुषवाहा का जमानत का आवेदन को निरस्त करने का आदेष दिया गया। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जमानत आवेदन पर राज्य शासन की ओर से वरिष्ठ सहा0 जिला अभियोजन अधिकारी त्रिलोक राज शास्त्री एवं जिला लोक अभियोजक देवेन्द्र विष्वकर्मा ने शासन का पक्ष रखा।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि दिनांक 01.04.2020 को सुवह 05ः45 पर अस्पताल मालथौन में मृतिका की पूर्ण रूप से जली हुई अवस्था में लाये जाने पर उसका प्राथमिक उपचार किया गया और इलाज के दौरान उसकी मृत्यू हो गई। उक्त महिला का विवाह 02 वर्ष पूर्व हुआ था। दिनांक 14.04.2020 को उक्त घटना के संबंध में मर्ग पंजीबद्ध किया गया। मामले में साक्षीगणों के कथनों एवं की गई विवेचना के आधार पर थाना में अपराध पंजीबद्ध किया गया। उपरोक्त प्रकरण में मृतिका के माता-पिता के एवं साक्षीगणों के कथनों के आधार पर प्रमोद कुषवाहा को अभियुक्त बनाया। अभियुक्त के अधिवक्ता ने जमानत आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत किया। जहां अभियोजन ने जमानत आवेदन का विरोध किया। माननीय न्यायालय द्वारा उभय पक्ष को सुना गया। न्यायालय द्वारा प्रकरण के तथ्य परिस्थितियों एवं अपराध की गंभीरता को देखते हुए व अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी का प्रस्तुत जमानत हेतु धारा 439 दप्रसं का आवेदन निरस्त कर दिया गया।

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