विश्व आदिवासी दिवस: कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों की गहरी सांस्कृतिक धाराओं को संरक्षित किया था ,पहली बार 2020 को आदिवासी कला वर्ष घोषित :कमलनाथ
भोपाल। कमलनाथ ने आज विश्व आदिवासी दिवस पर टेली कान्फ्रैंस के जरिये आदिवासियों को संबोधित करते हुये कहा कि हमारे सामने एक चुनौती है कि किस तरह हम हमारे आदिवासी भाइयों को आगे लाएं उनके जीवन में परिवर्तन आये ।,हमारे बुजुर्ग आदिवासियों ने तो जंगल में रहते हुए लंगोटी में भी जीवन काट लिया लेकिन आज का जो नौजवान आदिवासी है उसके सामने एक नया आकाश है उसे सड़़क चाहिए उसे बिजली चाहिए उसे रोजगार के अवसर चाहिए उसे मुख्यधारा चाहिये ।
नाथ ने कहा कि मेरी सरकार ने कोशिश की हमारे आदिवासी समाज की जो गहरी से गहरी सांस्कृतिक धाराएं हैं उनको मैं संरक्षित करूं ।इसीलिए हमारी सरकार ने 9 अगस्त को शासकीय छुट्टी की घोषणा की और आस्ठान योजना को सामने लाए ।हमने पहली बार 2020 को आदिवासी कला वर्ष के रूप में घोषित किया तथा पहली बार गोंडी भाषा को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया। हम आदिवासी समाज के लिए काम करने वाले बुद्धिजीवियों के माध्यम से गोंडी भाषा के शब्दकोश को सामने लाए। हमने कोशिश की कि आदिवासी समाज के जिन लोगों ने स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका निभाई है उन महान नेताओं के भी स्मारक हों। हमने तय किया आदिवासी समाज के देव स्थानों का संरक्षण सरकार करे। हमने साहूकारी प्रथा को समाप्त किया और सरकार की तरफ से व्यवस्था की कि आकस्मिक ऋण की जरूरत जिन आदिवासियों को पड़ती है उन्हें 10 हजार तक का ऋण सरकार की ओर से प्राप्त हो ।
मै आपको बधाई देता हूं कि आज विश्व आदिवासी दिवस के साथ ही अगस्त क्रांति दिवस भी है ।जब हमारे क्रांतिकारियों ने देश को आजाद कराने के लिए अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारा दिया था ।
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आज हम कह सकते हैं कि किस तरह से इस आंदोलन ने देश के सभी समाजों को और पूरे भारत को एक माला में पिरो दिया था।जहां भगत सिंह,चंद्र शेखर आजाद और राजगुरु जैसे क्रांतिकारी थे वहीं टंट्या भील और बिरसा मुंडा जैसे हमारे आदिवासी भाई भी हंसते हंसते भारत माता के लिये कुर्वान हुये। एक तरफ महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरू बहादुर शास्त्री और मौलाना अबुल कलाम आजाद सरदार बल्लभ भाई पटेल जैसे महान नेता थे तो वही दूसरी तरफ जगजीवन राम जैसे नेता भी थे जो समाज के सबसे पिछड़े वर्ग की तरफ से जनता का नेतृत्व करने के लिए सामने आए थे।
कमलनाथ ने दिवंगत आदिवासी नेता मनमोहन शाह बट्टी को श्रृद्धांजलि अर्पित की और दुख व्यक्त किया कि सरकार ने अंतिम संस्कार के लिये उनके पार्थिव शरीर को गांव ले जाने की अनुमति नहीं दी।वे बड़े सामाजिक कार्यकर्ता थे,उनका अंतिम संस्कार आदिवासी विधिविधान से होता तो परिजनों और उनके अनुयायियों को सांत्वना होती।
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अब बहुत सारे सवालों के जबाव राम के ही पास हैं ......
*ग्राउंड रिपोर्ट / ब्रजेश राजपूत, एबीपी न्यूज़*
कार्यक्रम में विमर्ष की शुरूआत करते हुए विधायक हीरालाल अलावा ने वन अधिकार कानून के पट्टे न देने में शिवराज सरकार की आलोचना की और कहा कि पांचवीं अनुसूची के मानदंडों का खुला उल्लंघन हो रहा है ।अलावा ने आदिवासी भाषाओं और बोलियों के संरक्षण की मांग की।पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मारकाम ने माना कि पहली बार कमलनाथ सरकार ने आदिवासी समाज की संरचना को समझा और ताकत दी,जबकि भाजपा ने जनजाति के नाम पर आदिवासी समाज में फूट डालने की कोशिश की।टेली कान्फ्रेंस में फुंदर लाल सिंह मार्को, विजय राधवेंद्र सिंह, भूपेंद्र ,ओमकार सिंह मरकाम, नारायण सिंह पट्टा, डॉ अशोक मर्सकोले ,संजय ऊईके ,अरुण सिंह का कोरिया सुनील उईके ,कमलेश प्रताप शाह, ब्रह्मा भलावी, धर्म सिंह सिरसा, झूमा सोलंकी, बाला बच्चन ,चंद्रभागा किराड़े, कलावती भूरिया, कांतिलाल भूरिया, वीर सिंह भूरिया, बाल सिंह मीणा, प्रताप ग्रेवाल ,उमंग सिंगार ,सुरेंद्र सिंह बघेल, हीरा अलावा, पांची लाल मीणा, हर्ष विजय गहलोत आदि विधायक एवं नेता शामिल थे। ।कार्यक्रम को पूर्व विधान सभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने संचालित किया तथा कांग्रेस आईटी विभाग ने तकनीकि सहयोग दिय।
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