बिना माँ की 6 वर्षीय बालिका के दुष्‍कर्मी को 20 साल की सजा

बिना माँ की 6 वर्षीय बालिका के  दुष्‍कर्मी को  20 साल की सजा

सागर।विशेष न्यायाधीश ;पॉक्‍सो एक्‍ट, दमोह के न्यायाधीश ने आरोपी मनीष रैकवार  तनय मुन्‍ना लाल रैकवार उम्र 23 वर्ष, निवासी सिविल वार्ड नं. 04 दमोह को धारा 363 ताहि - 3 वर्ष व 700 रु जुर्मान, 366ए ताहि -7 वर्ष व 700 रु जुर्माना एवं 376 ए बी- 20 वर्ष का कारावास व 1000 जुर्माना से दंडित किया। प्रकरण में  पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी श्री बी.एम.शर्मा, दमोह ने की।
घटना का संक्षिप्‍त विवरण इस प्रकार है कि  एक 6 वर्षीय बालिका जिसकी माॅं का स्वर्गावास हो जाने के बाद अपनी बुआ के पास रह रही थी और बुआ ही उसका पालन पोषण कर रही थी दिनांक 24.02.2019 को पीडिता दोपहर 12 बजे आंगनवाडी गई थी जहाॅं से करीब 3 बजे डरी सहमी रोते हुए लौटी और अपनी बुआ को उसके घर के पास रहने वाले आरोपी मनीष रैकवार द्वारा 5 रुपये का लालच देकर बगीचे में ले जाकर गलत काम करना बताय ।तब पीडिता की बुआ ने आरोपी के घर जाकर आरोपी का पता किया, जो नहीं मिला दूसरे दिन आरोपी से उसकी बुआ ने मुहल्ले के कुछ लोगों के सामने पूछताछ की तो उसने बालिका के साथ दुष्कृत्य करने वाली बात स्वीकारी। उक्त घटना की रिपोर्ट थाना-कोतवाली में की थी। जिसमें विवेचना मात्र 16 दिन में पूर्ण कर माननीय न्यायालय के समक्ष चालान प्रस्तुत किया गया। 

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प्रकरण बहुत गंभीर प्रकृति का था, 6 वर्षीय पीडिता के अलावा कोई और आई विटनिस नहीं था पीडिता ने घटना की जानकारी अपनी बुआ को मौखिक रुप से दी थी जिसके पश्चात प्रकरण दर्ज किया जा कर विवेचना में लिया गया । न्यायालयीन अभियोजन साक्ष्य के दौरान विशेष लोक अभियोजक श्री बी.एम. शर्मा  को बालिका के कथन कराना एक चुनौती से कम नहीं था । पूर्व में बालिका बहुत घबराई हुई,डरी - सहमी हुई थी वह गरीब परिवार से आती है इसलिए उसकी सुरक्षा की कोई इंतजाम भी नहीं थे जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री बी.एम.शर्मा द्वारा मामले की गंभीरता को समझते हुए बच्ची को बहुत संात्वना पूर्वक न्यायालय के माहौल में उससे सहानुभूतिपूर्वक पूछताछ की गई उसे विश्वास दिलाया गया कि वह निर्भीक होकर अपनी बात न्यायालय के समक्ष रख सकती है और इन्ही प्रयासों के चलते पीडिता द्वारा घटना का दर्दना व्यौरा  माननीय न्यायालय के समक्ष रखा। अभियोजन द्वारा पीडिता सहित कुल 11 अभियोजन साक्षी माननीय न्यायालय के समक्ष परीक्षित कराए। अभियोजन द्वारा प्रस्तुत किये गए तर्को एवं आरोपी पक्ष के द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों का प्रभावी रुप से प्रत्युत्तर प्रस्तुत किया गया जिसके फलस्वरुप माननीय विशेष न्यायाधीश (पाॅक्सो एक्ट), दमोह द्वारा आरोपी को 363 ताहि में 3 वर्ष , 366ए ताहि में 7 वर्ष तथा 376ए बी भादवि  में 20 वर्ष के कठोर कारावास से दण्डित किया गया ।

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संचालक लोक अभियोजन  पुरषोत्तम शर्मा द्वारा कुछ विशेष प्रकरणों हेतु राज्य समन्वयक नियुक्त किये गये, जिसमें पाॅक्सो एक्ट एवं महिला अपराध भी शामिल हैं जो प्रत्येक जिले के प्रकरणों की सतत् निगरानी एवं समीक्षा  की जा रही है। तीन दिन पूर्व ही वीडियो काॅन्फ्रेसिंग के माध्यम से समस्त अभियोजन अधिकारियों की मीटिंग लेकर मामलों में रुचि दिखाते हुए दिशा निर्देश जारी किये हैं तथा उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों को प्रशस्ति पत्र एवं इनाम देने की घोषणा की । बता दे कि वर्ष-2019 में पाॅक्सो एक्ट के सजायवी का प्रतिशत 78% होकर दमोह जिला मध्यप्रदेश में अब्बल रहा जिसकी सराहना माननीय संचालक महोदय द्वारा वीडियो काॅन्फ्रेन्सिग में की थी। संचालक द्वारा पाॅक्सो एक्ट एवं महिला अपराध के प्रति संवेदनशील हैं एवं विशेष निगरानी रखी जा रही है। इसी के परिणाम स्वरुप सभी अधिकारीगण उनके निर्देशन में कार्य को उत्कृष्ट करने एवं अभियोजन मामलों को सफल बनाने हेतु प्रयासरत रहते हैं। यह मामला पाॅक्सो एक्ट का जघन्य एवं सनसनी एवं चिहिंत अपराध होने से  संचालक महोदय की सतत  निगरानी में रहा है और उनके मार्गदर्शन में अभियोजन संचालन उच्च श्रेणी का होने से आरोपी को दोषसिद्ध कराने में सफलता प्राप्त हुई। 

गौरतलब है कि पाॅक्सो एक्ट के मामलों  में राज्य स्तर पर  निगरानी  रखने के लिए सुश्री सीमा शर्मा, विशेष लोक अभियोजक, रतलाम (म.प्र.) को राज्य समन्वयक  नियुक्त किया गया है जिससे मामलों में सशक्त पैरवी की जा सके। 



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