प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा, प्रशासन को
सागर। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन सागर ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी को सौंपा ।ज्ञापन में मुख्य रूप से निशुल्क एवं बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सत्र 2016-17 तथा 2017-18 के कुछ विद्यालयों को तकनीकी कारणों से अब तक भुगतान ना होने के कारण मैनुअल भुगतान की प्रक्रिया अपनाने के लिए निवेदन किया है l
आरटीई के अंतर्गत अध्ययनरत विद्यार्थियों की फीस प्रतिपूर्ति सत्र 2018-19 एवं 2019-20 की प्रतिपूर्ति पूरे प्रदेश के विद्यालयों में अति शीघ्र कराने के लिए भी निवेदन किया है l
कोरोनावायरस संक्रमण के कारण उपजी परिस्थितियों में विद्यालय संचालकों के समक्ष आर्थिक समस्याओं का पहाड़ खड़ा हो गया है l विद्यालय प्रारंभ ना हो पाने की दशा में, कार्यरत स्टाफ तथा शिक्षकों को वेतन देना भी दूभर हो गया है l प्राइमरी तथा मिडिल कक्षा तक संचालित होने वाले विद्यालयों के समक्ष तो आर्थिक समस्याएं सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी है l
एक तरफ अभिभावक विद्यालय का शुल्क देने में असमर्थ है, तो दूसरी ओर शासन चार चार साल से निशुल्क एवं बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत पड़ने वाले विद्यार्थियों की फीस प्रतिपूर्ति की राशि भी विद्यालयों को भुगतान नहीं कर रहा है l
ऐसी परिस्थितियों में विद्यालय संचालकों के सामने यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है l इस समस्या के निदान के लिए प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने शासन के समक्ष सुझाव प्रेषित किया है, कि निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की लॉकडाउन के समय की फीस यदि शासन भर दे तो उससे एक ओर अभिभावकों को राहत मिलेगी, वहीं दूसरी ओर निजी विद्यालय संचालक भी आर्थिक समस्याओं से निजात पा सकेंगे l
सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले प्रत्येक छात्र के ऊपर शासन लगभग 20000/- से ₹25000/- प्रतिवर्ष खर्च करता है l यदि निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के प्रति भी शासन संवेदनशीलता दिखाएं तो, इसमें जन सामान्य की भलाई, तथा निजी स्कूल संचालकों को भी राहत मिल सकेगी lआगे आने वाले समय में जब विद्यालय खुलेंगे तो विद्यालयों के ऊपर थर्मल स्कैनर, सैनिटाइजर, अतिरिक्त वाहन व्यय, का भी अतिरिक्त भार पड़ेगा l इस हेतु भी निजी विद्यालय संगठन ने शासन के समक्ष अपनी मांग रखी है, कि शासन इन सब वस्तुओं की आपूर्ति निजी विद्यालयों को कराने की कृपा करें l
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निजी विद्यालय हमेशा से शिक्षा के क्षेत्र में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर शिक्षण के राष्ट्रीय उद्देश्य को पूर्ण करने में सर्वथा सहायक रहे हैं अतः इस आपातकाल में सरकार को निजी विद्यालयों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उनके कर्मचारियों तथा शिक्षकों के वेतन भुगतान की व्यवस्था का उपाय सोचना ही होगा l प्रत्येक बच्चे इस राष्ट्र की धरोहर है और उसकी शिक्षा का अधिकार, सरकार का दायित्व है l इस दायित्व को पूर्ण करने में निजी विद्यालय संगठन शासन से मांग करता है, की निजी विद्यालयों की आर्थिक दशा को देखते हुए उन्हें आर्थिक पैकेज दिया जाना चाहिए l
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