आजीविका मिशन की पहल पर मिल्क रूट में चल रहा है दूध संग्रहण कार्य
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सागर । कोविड-19 के कहर से झुझते जिले में अनिवार्य और आवश्यक वस्तुओं की कमी न हो इसके लिए आजीविका मिशन ने भी अपनी पहल जारी रखी है । मास्क निर्माण पीपीई किट निर्माण , बैंक सखी के माध्यम से जरूरतमंदों के खातों से राशि की निकासी के अलावा दीवार लेखन के माध्यम से ग्रामीणों को जागरूक करने का कार्य हो अथवा दूध जैसे आवश्यक उपभोक्ता पदार्थ की उपलब्धता का मामला हो मिशन बखूबी अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहा है।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत इच्छित गढ़पाले की पहल पर मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन जिला इकाई सागर के द्वारा देवरी, कसली आदि विकासखण्डों में दुग्ध संग्रहण का कार्य राष्ट्रीय आपदा के बीच निवाद रूप से संचालित हो रहा है । केसली विकासखण्ड के 2800 दुग्ध उत्पादक मिल्क रूट पर होने वाले आज भी दुग्ध विपणन का कार्य कर रहे हैं । दूध की कमी से बिलखता कोई भी बच्चा भूखा न रहे इस उददेश्य से दुग्ध संग्रहण का कार्य आजीविका मिशन के परिसंघों के द्वारा तत्परता से किया जा रहा है।
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केसली के 70 गांवों में दूध का संग्रह
केसली विकासखण्ड के 70 से अधिक ग्रामों में दुग्ध संग्रहण का कार्य हो रहा है । घर - घर दुग्ध उत्पादको की कमी न होने पाये इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए परिसंघ ने कमर कस रखी है। श्री गढ़पाले ने बताया कि केसली से 500 से अधिक परिवारों को उनके दरवाजे पर घर घर जाकर परिसंघ के द्वारा दूध पहुचाया जा रहा है । ज्ञातव्य है कि राष्ट्रीय आपदा के इस संकट के समय में भी आजीविका मिशन के स्व सहायता समूह की महिलाओं ने लोगों को उनकी विपत्ति के समय में अपने हाथ बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है । इसी तरह देवरी, जैसीनगर, रहली आदि विकासखण्डों में भी दुग्ध संग्रहण और उसकी सप्लाई चैन को मेनटेन किया गया है ।
ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े दुग्ध उत्पादक किसानांे की रोजी रोटी का एकमात्र जरिया एक का उत्पादन कर उसका विपणन है । दूध की बिक्री से होने वाली आमदनी से ही उनके घर के चूले जलते है । उक्त उत्पादकों के बच्चे पेट भर भोजन कर सके उनके पशुओं का समुचित आहार और समुक्ति देखभाल हो सके। इस बात का ध्यान रखते हुए दुग्ध उत्पादकों को भी मिल्क रूट पर दौड़ने वाले वाहनों के माध्यम से हो सके। इस बात का ध्यान रखते हुए दुग्ध उत्पादको को भी मिल्क रूट पर दौडने वाले वाहनों के माध्यम प्रतिदिन दुध सग्रहण किया जा रहा है । अकेले केसली में ही रोज का 8000 से अधिक दूध एकत्रित कर विपणन के लिए समुचित बाजारों में पहुंचाया जा रहा है ।
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20 से 25 हजार लीटर दूध हो रहा इकठ्ठा
कलेक्टर श्रीमति प्रीति मैथिल नायक के मार्गदर्शन में संचालित यें समूचा अभियान इस बात के मददेनजर है कि आम नागरिकों को उनकी जरूरतों का सामान समुचित दामों में समुचित समय पर निवाद रूप से प्राप्ता सके । केसली में स्थापित बीएमसी के आलावा देवरी की बीएमसी अपने कार्य को तत्परता से संपादित करता हो। विकासखण्ड केसली के जमुनिया चिखली, खजुरिया थावरी, भिलैया देहचुआ, भौडारा , पटनाखुर्द जनकपुर, महका आदि ऐसे 70 ग्रामों से दुग्ध संग्रहण किया जा रहा है । ग्राम सोनपर के भमिहीन दर जो इस परिसंघ से जुड़ने के पहले अपनी रोजीरोटी कमाने के लिए खेतीहर मजदूरी का काम करते से बाद में ये आजीविका की सहायता से पशुपालन के कार्य से जुड़े अब उनके घर नियमित रूप से रोज उत्पादन होने वाले दूध के विपणन से ही चलते हैं इस गांव के राजेश बड़ेलाल, गोविंद, जीवन, रघुराज, रमेश आदि ने बताया कि लाकडाउन के चलते उनके प्रतिदिन उत्पादित होने वाले दूध को परिसंघ खरीदना बंद कर देता है तो उनके लिए रोजीरोटी का संकट खड़ा हो जायेगा । क्योंकि उनके पास स्वयं की खेतीहर जमीन नही विपणन से प्राप्त होने वाली राशि से ही अपने परिवार की गुजर बसर करते है। लाकडाउन के चलने के बावजूद भी परिसंघ के द्वारा नियमित रूप से हितसंग्रहण का कार्य जारी है जिसके कारण वे खुशहाल जीवन व्यतीत कर इसी प्रकार विकासखण्ड देवरी के पनारी , समनापुर खमरिया गोटेगाय रीछई बारह सिलारी मोकामा समेत अनक ग्रामों से दुग्ध संग्रहण का कार्य चल रहा है । आपदा के समय भी प्रत्येक परिवार की प्रतिदिन पी का की । आवश्यकता है इसकी साथ ही ये किसान जिनकी आजीविका दूध से प्राप्त होने वाली आमदनी र उनका भी इस समूचे कार्य में ध्यान रखा गया है । इसके साथ ही मक्ता महिला दुग्ध उत्पादक कंपनी भी आज ग्रामीण क्षेत्र में वरदान साबित हो रही है। उक्त कंपनी 200 ग्रामों से लाये गये 22 से 25 हजार लीटर दूध प्रतिदिन ठंडा किया जाता है। इस महामारी से संस्था के 34 कर्मचारी लगभग 200 गांव के 7000 किसानों अथवा महिला सदस्यों से सीधे संपर्क स्थापित किए हुए है।
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