अजब संयोग: सुरखी सीट से हारने - जीतने वाले आधादर्जन प्रत्याशी, एक ही पार्टी भाजपा में , गोविन्द राजपूत के भाजपा में शामिल होने से बदली तस्वीर
@विंनोद आर्य
सागर ।राजनीति में अजब संयोग देखने मिलते है । कभी आपने सुना कि पिछले करीब पाँच दशकों से और दस चुनावो में एक दूसरे के खिलाफ लड़ने वाले और हारने जीतने वालेदिग्गज नेता धीरे धीरे एक ही पार्टी में आ जाये। लेकिन ऐसी तस्वीर एम पी के सागर जिले की सुरखी विधानसभा सीट पर नजर आ रही है। जिसमे पिछले दस विधानसभा चुनावों में एक दूसरे से हारने जीतने वाले नेता भाजपा में आ गए। यह संयोग बना सिंधिया समर्थक और कमल नाथ सरकार के राजस्व मन्त्री गोविन्द राजपूत के भाजपा में शामिल होने से। अब तो शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल में भी शामिल हो गए। सुरखी सीट से कांग्रेस से दो और भाजपा से पाँच उम्मीदवार बने है
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सिंन्धिया समर्थक राजपूत सन 1998 से पाँच विधानसभा चुनाव सुरखी सीट से कांग्रेस के टिकिट पर लड़े और तीन दफा जीते। दलबदल के बाद अब भाजपा से राजनीतिक जमीन तलाशेंगे और बनाएंगे। वर्तमान में सुरखी सीट के प्रत्याशी भाजपा ,कांग्रेस और जनता पार्टी के टिकिट पर चुनाव लड़े जीते दलबदल के चलते भाजपा में ही आ गए। रही सही कसर राजपूत के आने से पूरी हुई।
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@चेतन्य सोनी
कभी घोर विरोधी रहे है सभी गोविन्द राजपूत के
लक्ष्मी नारायण यादव : सन 1977 में लष्मीनारायन यादव जनता पार्टी से चुनाव जीते और मंत्री बने। फिर लोकदल से हारे। इसके बाद जनता दल एस में रहे। 1990 में जनता दल से जीते भी । फिर काँग्रेस में आये।राजपूत से कांग्रेस में नही पटी सो भाजपा में यादव परिवार आ गया। इसके बाद भाजपा में आये 75 वर्षीय लक्ष्मी नारायण यादव सागर से सांसद भी बने। उन्होंने सन 2014 में कांग्रेस से लड़े गोविन्द राजपूत को पटखनी भी दी।
भूपेंद्र सिंह के बनाई थी भाजपा की सीट
सुरखी से तीन दफा चुनाव लड़े और भाजपा का खाता खोलने वाले पूर्व गृहमन्त्री भूपेंद्र सिंह मूल भाजपाई है । उन्होंने सन 1993 में दिग्गज नेता विठ्ठल भाई पटेल को पराजित किया था।इसके बाद भूपेंद्र सिंह ने पहली दफा लड़े गोविन्द राजपूत को 1998 में हराया। सन 2003 में भपेंद्र सिंह उमा लहर में गोविन्द राजपूत से हारे। इसके भूपेंद्र सिंह पार्टी हाईकमान के निःर्देश पर खुरई से चुनाव लड़ने चले गए। लेकिन सुरखी की भाजपा की विरासत आज भी पूर्व गृहमन्त्री भूपेंद्र सिंह के साथ हैं।
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पिछले तीन चुनाव में बदले भाजपा ने उम्मीदवार
काँग्रेस की जमीन बनाने में आगे बढ़े गोविन्द राजपूत का सन 2008 में काँग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंडी अध्यक्ष राजेंद्र सिंह मोकलपुर ने सुरखी से भाजपा के टिकिट पर भाग्य आजमाया ।लेकिन मोकलपुर चुनाव हार गए। इसके बाद 2013 में काँग्रेस से भाजपा में आये पूर्व विधायक संतोष साहू की बेटी पारुल साहू को सुरखी से भाजपा ने लड़ाया। उन्होंने गोविन्द सिंह राजपूत को काफी कम मतों के अंतर से हराया। पारुल को पिछले चुनाव में टिकिट नही मिला। भाजपा ने सांसद लष्मीनारायन यादव के बेटे सुधीर यादव को प्रयाशी बनाया । सुधीर यादव काँग्रेस प्रत्याशी गोविन्द राजपूत से लंबे मतों के अंतर से हारे। कमलनाथ सरकार में 15 महीने राजस्व और परिवहन मंत्री बने राजपूत ने अपने वफादारी सिंधिया के लिए दिखाई और मंत्री पद का बलिदान किया और पार्टी भी छोड़ी। अब राजपूत भाजपा है और मन्त्री भी बन गए है। नए चुनावी समीकरणों में समर में उतरने से पहले इनको मनाना /साधना जरूरी होगा। हालांकि भाजपा के लोगो मे कसक है । सभी का टारगेट राजपूत रहे है । अब क्या होगा यह आने वाला समय बताएगा।
सागर सम्भाग में भाजपाई अचरज में
कोरोना आपदा से जूझ रही शिवराज सरकार के छोटे से मंत्रिमंडल के गठन में सागर सम्भाग से सिर्फ गोविन्द राजपूत को मन्तरि बनाये जाने से भाजपा के दिग्गजों को झटका लगा है। समर्थकों में निराशा बनी है। एमपी के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और शिवराज के करीबी माने जाने वाले भूपेंद्र सिंह को और समर्थकों को उम्मीद थी कि मंत्री मंडल का आकार कितना ही छोटा हो इनके बगैर गठन नही होगा। लैकिन ऐसा नही हुआ। इस अंचल के भाजपाईयो और राजनीतिको को अचरज हुआ है। एमपी के सबसे वरिष्ठ विधायक भार्गव की उपेक्षा की उम्मीद नही थी। हालांकि अगले विस्तार में ये शामिल होंगे । फिलहाल समर्थक सदमे में है।
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