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बुन्देली सँस्कृति से परिचत कराने शादी का मंचन ,अभिभूत हुआ नागालैंड का दल ,दूल्हा बाराती घराती,फेरे,पंगत,गारी, विदाई .........

बुन्देली सँस्कृति से परिचत कराने शादी का मंचन ,अभिभूत हुआ नागालैंड का दल ,दूल्हा बाराती घराती,फेरे,पंगत,गारी, विदाई 
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#एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत डॉ हरिसिंह गौर विवि सागर और नागालेंड विवि का साझा आयोजन
# विवि परिसर में दिखी शादी की बुन्देली परम्पराए और रीतिरिवाज,जमकर लिया आनन्द 

सागर।केंद्रीय  मानव संसाधन और  विकास मंत्रालय , भारत सरकार के आयोजन "एक भारत श्रेष्ठ भारत" के तहत नागालैंड विवि  का 40 सदस्यीय दल डॉ हरीसिंह गौर केंद्रीय  विवि सागर में  अध्ययन और सँस्कृति को सांझा करने  आया हुआ है । दल यहां एमपी बुन्देलखण्ड की सँस्कृति,परम्पराए और ऐतिहासिक धरोहरों का अध्ययन कर रहा है । वही नागालेंड भी अपनी  सँस्कृति को साझा कर रहा है । इसी परिप्रेक्ष्य में  बुन्देलखण्ड अंचल की सँस्कृति ,रीति रिवाज खानपान,शादीविवाह  से परिचित कराने  बुन्देली विवाहोत्सव का आयोजन किया गया । जिसमे  दूल्हा ,घोड़ा बराती,घराती,फेरे,नेंग दस्तूर विदाई पंगत और खानापीना,बाजे गाजे  सब कुछ  बुन्देलीमय  हुआ। इसके  लिए विवि परिवार अधिकारी से लेकर कर्मचारी और छात्रछात्राये सभी  एक विवाह समारोह के आयोजन में लगे रहे। इन सबके लिए कुलपति प्रो आर पी तिवारी ने बेहतर आयोजन के लिए निःर्देश भी। उधर क
सँस्कृति से अवगत कराने यह तरीका देख नागालेंड का दल अभिभूत हो गया। यही नही रीतिरिवाजों में खूब हिस्सेदारी भी निभाई। पहनावा भी ठेठ बुन्देली था। एक मॉर्च से छह मॉर्च तक यह दल रहेगा। विश्व प्रसिद्ध धरोहर खजुराहो जाकर भी दल ने इनका अध्ययन किया। 
मानो घर मे शादी है........
किसी विवि में सम्भवतया यह पहला मौका होगा जब शादी जैसे आयोजन को करके अपनी सँस्कृति का प्रदर्शन किया गया हो। जैसे कि अंचलों में होती है। यह तस्वीर डॉ गौर  केंद्रीय विवि सागर में दिखी। जो आज शादी के रंग में दिखा। गजब की तैयारी । जमकर उत्साह। शादी के पंडाल से लेकर मंडप तक बनाया गया। इसमे विवि के परफार्मिंग आर्ट्स विभाग की भूमिका के साथ कई विभागों का सहयोग।
एक भारत श्रेष्ठ भारत के होर्डिंग पोस्टरों से सजा परिसर , वही शादी का मंडप। बुन्देली गीतों को गाने और बजाने वाली एक  पूरी टीम । इस विभाग के आनंद अग्रवाल और श्रुति श्रीवास्तव दूल्हा और दुल्हन की भूमिका में। वही नागालेंड का दल बुन्देली लिवास में शामिल हुआ।
विवि परिसर में शंकर जी के मंदिर से बरात उठी। यहां घोड़ी पर दूल्हे राजा आनन्द और एक छोटा लड़का भी । जैसा शादियों में होता है । हाथ मे  बिजना यानी पंखा भी । नाचते गाते बराती। बरातियों में नागालेंड का दल भी। जिसमे छात्र छात्राओं से लेकर उनके शिक्षक भी शामिल। EBSB के कोआर्ड्नेटर सोमनाथ चक्रवर्त्ती, डॉ राधा रानी और पीटर की सहित।द्वारचार, बरातियों का स्वागत पंगत,फेरे और विदाई, जीवंत अभिनय दिखा आयोजन में 

शादी की जीवंत प्रस्तुति इससे बढ़कर नही हो सकती। शादी हो रही है लेकिन वास्तव में नही। जैसे ही बरात आई तो लड़की के पिता बने सांस्क्रतिक परिषद के  समन्वयक डॉ राकेश सोनी ने परपंरागत स्वागत किया। बराती बने नागालेंड वासीयो का तिलक /माला  से स्वागत भी हुआ। दूल्हे को घोड़ी पर से उतारने का नेंग का धर्म निभाया  विवि के इंजीनियर आनंद तिवारी ने। सभी परम्पराओं को निभाने में मशगूल थे विवि के शिक्षक कर्मचारी और छात्रछात्राये साथ मे शहर वासी। वैवाहिक महोत्सव में नाचते गाते हुए लोगअदभुत दृश्य था। साथ मे पटाखे की गूंज भी।
अपनी सहेलियों के साथ दुल्हन बनकर आई श्रुति को लोगो ने अपने हाथ के पंजो के ऊपर से लेकर आये। इस दौरान फूलों की  वर्षा भी हुई। मोबाइल पर सेल्फी और फोटोग्राफी भी जमकर हुई। परम्पराओं का यह सिलसिला थमा नही । पंडित ने फेरे करवाये। तो जूता चुराई का नेंग भी हुआ। वरवधू पक्ष से नेंग भी कराए गए। पांव पखरई भी हुई।  बहुत ही भावुक मय क्षण वह भी आया जब राकेश सोनी ने कन्यादान कर विदा किया। मौके पर प्रभारी कुलपति जे ड़ी आही, रजिस्ट्रार संतोष सैगोरा सहायक कुलसचिव सतीश कुमार ,पत्रकारिता विभाग प्रमुख के डॉ  ललित मोहन,EMRC के पंकज तिवारी सभी का मार्गदर्शन भी यहां चलता रहा।

पंगत में  बरा,कढ़ी पूरी...,विदाई में गिलास और 11-11 रुपये

बुन्देली परम्पराओं  की श्रंखला में उस समय अधिक गहराई में दिखी  जब  विभाग में दरी विछायी गई और जमीन में पंगत  हुई। खाने  में कढ़ी, बरा, पूरी ,मिठाई आदि। आत्मीय और स्वाद के साथ  शादी की पंगत हुई। जिस तरह बरात की विदा होती है । वैसा ही दृश्य दिखा नम आंखे। फिर बरातियों को कुछ शगुन के साथ विदा करते है ।सो लड़की पक्ष ने बरातियों को एक एक गिलास और साथ मे 11 -11 रुपये दिए और प्रणाम किया।
सँस्कृति और विरासत को समझना उद्देश्य: डॉ राकेश सोनी

एक भारत श्रेष्ठ  भारत के समन्वयक डॉ राकेश सोनी ने  तीनबत्ती न्यूज़. कॉम   को बताया  
कि इसका उद्देश्य है कि दल हमारी परम्पराओं को समझे और  भौगोलिक और भाषायी सीमाओं के वाबजूद। छह दिनी प्रवास पर आए दल को एमपी और बुन्देलखण्ड के रीति रिवाजों से परिचित कराने के लिए शादी से बेहतर कोई दृश्य नही हो सकता है । जिसमे सभी का समावेश है। खानपान हो या पहनावा और गाना बजाना । वाद्य यंत्र भी।  
शुक्रिया विवि .....यहां आकर अच्छा लगा

नागालेंड विवि के दल को एक बेहतर सँस्कृति को देखने समझने का अवसर मिला तो हिंदी में अपनी ही शेली में एक छात्रा ने कहा यहां आकर अच्छा लगा। पहले दिन से ही स्वागत हुआ।इतनी दूर आकर  यहां अपनापन देखने मिला। दो तीन दफा में अटकते हुए बोली शुक्रिया शुक्रगुजार हूं...

विंनोद आर्य /www.teenbattinews.com
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