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जन्म जयंती पर किया पंडित ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी का स्मरण

जन्म जयंती पर किया पंडित ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी का स्मरण
सागर। सागर के देश में ख्याति प्राप्त राजनेता,कवि,पत्रकार,साहित्यकार और सांसद एवं विधायक के रूप में लोकप्रिय रहे स्व.पं.ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी की 113 वीं जन्म जयंती पर पंडित ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी इंस्टीट्यूट सिविल लाइंस मेंआयोजित एक गरिमामय कार्यक्रम में उनका स्मरण किया गया। इस अवसर पर उनके प्रपौत्र आशीष ज्योतिषी ने स्व. ज्योतिषी के जीवन पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालते हुए कहा कि ज्योतिषी जी का साहित्य और जीवन सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक समरसता के लिए समर्पित रहा है।कवि वृंदावन राय सरल ने उनकी मूर्ति स्थापित करने तथा सागर विश्वविद्यालय में उनके नाम पर पीठ स्थापित करने का प्रस्ताव रखा जिस पर उपस्थित सभी प्रबुद्धजनों ने करतल‌ ध्वनि से अपनी सहमति व्यक्त की।कवि पी. आर.मलैया ने उन्हें एक सरल ह्रदय के विराट व्यक्तित्व के रूप में व्यक्त किया। समालोचक टीकाराम त्रिपाठी ने कहा कि ज्योतिषी जी के अवदान को साहित्य, राजनीति और पत्रकारिता की बाद की पीढ़ी ने सही ढंग से समझा नहीं है। वे अद्भुत और विलक्षण इंसान थे। विशिष्ट अतिथि डॉ.गजाधर सागर ने ज्योतिषी जी से जुड़े संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि वे नवलेखकों सहित वरिष्ठ साहित्यकारों को भी साहित्यिक पुस्तकें प्रदान करते थे।वे अत्यंत ओजस्वी वक्ता थे जिसका प्रभाव उनके साहित्य पर स्पष्ट‌ दिखता है। अध्यक्षीय उद्बोधन में के.के. सिलाकारी ने कहा कि ज्योतिषी जी सांप्रदायिक एकता और हिंदू - मुस्लिम सद्भाव की मिसाल थे। उन्होंने अपने काव्य के माध्यम से राष्ट्रीय जीवन में पनपने वाले सांप्रदायिकता रूपी विकार को उन्मूलित करने का‌ महत्त्वपूर्ण कार्य किया था। संचालन डॉ.ऋषभ भारद्वाज ने किया।आभार कवि डॉ.नलिन जैन ने माना।
इस अवसर‌ पर जे.पी.पाण्डेय,डॉ.चंचला दवे, दीपा भट्ट,बी.डी.रायकवार,उमा कान्त मिश्र,आर.के. तिवारी,‌कुंदन पाराशर, मुकेश तिवारी,पुष्पेंद्र दुबे,जगदीश लारिया,डॉ.राम रतन पांडे,डॉ.सर्वेश्वर उपाध्याय,डॉ. भुवनेश्वर तिवारी, एड. राधाकृष्ण व्यास, विजय तिवारी, पुष्पदंत हितकर,महेश दत्त त्रिपाठी,मुकेश निराला,प्रदीप दुबे, एम. शरीफ,प्रभात कटारे,आनंद मिश्र, राघव रामकरन, अभिषेक जैन,मिंटे महाराज, पप्पू प्रजापति,सत्यम अग्निहोत्री एवं    ज्योतिषी जी के परिजन सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।
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