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भारतीय सभ्यता के सूत्रधार महान विभूति थे भगवान आदिनाथ-मुनि प्रमाण सागर

भारतीय सभ्यता के सूत्रधार महान विभूति थे भगवान आदिनाथ-मुनि प्रमाण सागर

#भाग्योदय में ऐतिहासिक आगवानी हुई मुनि संघ की
सागर।  युग के आदि में अषी,मसी और कृषि विद्या वाणिज्य यह जीवन  निर्माण की प्रमुख बातें हैं बीजों का निर्माण भी उनके द्वारा हुआ है। उन्होंने निर्वाह से लेकर निर्वाण तक का पाठ पढ़ाया है ऋग्वेद में 141 स्थानों पर भगवान ऋषभदेव का उल्लेख किया गया है। 
यह बात आचार्य गुरुदेव श्री 108 विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य शंका समाधान के प्रवर्तक गुडायतन के प्रणेता मुनिश्री प्रमाणसागर महाराज ने भाग्योदय तीर्थ में आज पहले दिन के प्रवचन के अवसर पर कहे। 
उन्होंने कहा कि भारत का नाम भी भगवान आदिनाथ के पुत्र भरत भगवान के नाम के कारण पड़ा है। भगवान ऋषभदेव का उल्लेख अनेकों ग्रंथों में है भागवत में भी उनके 10 वे अवतार का उल्लेख किया गया है। भगवान आदिनाथ का स्मरण करने के बराबर है 68 तीर्थों पर जाना उतना पुण्य मिलता है। उन्होंने कहा कि वे भारतीय संस्कृति का मूल आधार थे वैदिक धर्म के पूर्व सिंधु घाटी की सभ्यता के पूर्व भगवान ऋषभदेव आराध्य थे इसका उल्लेख लिखा हुआ है।  मुनि श्री ने कहा कि भाग्योदय में बनने वाला सर्वतो भद्र जिनालय जनहितकारी योजना है इससे सब का कल्याण होगा आज इस मंदिर की कार्यशाला देखने का अवसर प्राप्त हुआ मन गदगद हो गया भारत में 9 लाख घनफुट पत्थर से बनने वाला यह एकमात्र मंदिर है जो चतुर्मुखी होगा। भाग्य-उदय तो सागर का होना था। इसलिए गुरुदेव के सानिध्य में आज से 3 दशक पूर्व यहां पर भाग्योदय का शिलान्यास हुआ था आज यह सब अपने मूर्त रूप में आ गया है तो निश्चित रूप से यहां का उद्धार भी अपने आप हो रहा है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड की धरती बड़ी उर्वरा धरती है पहले यहां पर साधन अल्प थे जितना संपन्न आज है। उतनी ही उदारता से बुंदेलखंड के लोग दान देने में पीछे नहीं है। यह तो वह धरा है जहां सूखी रोटी खाकर भी लोग घी का दीपक जलाते हैं। बुंदेलखंड की अच्छी योजनाओं की शुरुआत यहां पर हुई है और लोगों ने दिल खोलकर दान दिया है। अपना सर्वस्व अर्पित करके बुंदेलखंड को देने की जो परंपरा यहां पर है उसके कारण से जो पहले लोग साधारण थे आज साधन संपन्न हो गए हैं। यह गुरुदेव के आशीर्वाद का एक कारण भी है भाग्योदय पर लोग पहले टीका टिप्पणी करते थे आज वही लोग भाग्योदय की प्रशंसा करने में पीछे नहीं है। गुरुदेव ने जो कृपा बरसाई है मंदिर के निर्माण के लिए आप सभी लोग उससे वंचित ना हो और सभी अपने धन का सदुपयोग इस मंदिर के निर्माण में अवश्य करें।
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