एक भारत श्रेष्ठ भारत की अवधारणा विविधता में एकता है :कुलपति
#नागालैण्ड विवि के दल को आत्मीय
विदाई,अंतिम दिन नगा दल ने बुन्देली प्रस्तुति दी,तो बुन्देलखण्ड के दल ने नगा सँस्कृति में
सागर। भारत सरकार के केंद्रीय मॉनव संसाधन एवम विकास विभाग के एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के तहत नागालेंड विवि और डॉ हरीसिंह गौरव केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सागर ने सँस्कृति को साझा किया। एक से छह मॉर्च तक चले इस आयोजन में विवि सांस्क्रतिक मय दिखा। अंतिम दिन दोनो विवि के दलों ने एक दूसरे राज्यो की लोक कलाओं का शानदार प्रदर्शन किया। जिसमें एक भारत श्रेष्ठ भारत की सँस्कृति साकार होती नज़र आई।
समापन अवसर के मुख्य अथिति विवि के कुलपति प्रो आर पी तिवारी और विशेष अथिति पूर्व प्रो सुरेश आचार्य थे। कुलपति प्रो तिवारी ने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत का उद्देश्य विवि में देखने मिला। हमारा देश विभिन्न संस्कृति, रीति-रिवाज, परम्पराओं, भाषा, वस्त्र, आवास, आभूषण एवं प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा हुआ है। इतनी विविधताओं के होते हुए भी अनेकता में एकता प्रतिविम्बित है। इसका मुख्य कारण हमारी अपनी मूल संस्कृति है जिसे हम बसुदेव कुटुम्बकम के भाव से एक-दूसरे को स्वीकार करते हैं। देश के प्रधानमंत्री ने जो योजना लागू की यह बहुत ही सराहनीय एवं प्रेरणात्मक है।
इस मौके पर नागालेंड विवि की डॉ राधा रानी ने हिंदी में भाषण देते हुए कहा कि यहां आकर हमने लोककलाओं से लेकर खानपान तक को देखा। वास्तव में यह एक सुखद अनुभव है । बहुत कुछ सीखा भी।
कार्यक्रम के समन्वयक डॉ राकेश सोनी ने कहा कि सभी के सहयोग से यह आयोजन सफल हुआ है । सभी सँस्कृति की छाप छोड़कर जा रहे है । नागालेंड दल की हुसलू और आरी ने पूरे आयोजन का फीड बताते हुए सराहना की ।
इस मौके पर नगा दल ने बुन्देलखण्ड के लोकनृत्यों की और विवि ने नगा लोक नृत्यों की शानदार प्रस्तुतिया दी।
मानव विज्ञान विभाग में पहुचा दल
एक भारत श्रेष्ठ भारत के अन्तर्गत नागालैण्ड राज्य के छात्रों के भ्रमण दल ने अन्तिम दिवस में मानव विज्ञान विभाग में कुलपति राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी के साथ भ्रमण करने पहुँचे। जहाँ पर उक्त दल का विभागाध्यक्ष प्रो. कैलाश काशी नाथ शर्मा ने बुन्देली परम्पराओं से चन्दन, अक्षत, पुष्पगुच्छ तथा रक्षा सूत्र बाँधकर स्वागत किया।विभाग के गतिविधियों के प्रभारी डाॅ. सोनिया कौशल ने भ्रमण दल को विभाग में चलाये जा रहे पाठ्यक्रम की जानकारी दी। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने विभाग के प्रबोध संग्रहालय में बुन्देली परम्परा के अन्तर्गत भूमि पर बैठकर अध्ययन दल के साथ संवाद किया।
दल ने कुछ बुन्देली शब्द जैसे- कक्का, दद्दा, बऊ, भज्जा, दाऊ, हओ आदि बोलकर बताये। बुन्देली संगीत मंे बधाई, राई, गारी, दीवारी, फाग, ढिमरयाई, बरेदी के मुखड़ा एवं नृत्य के स्टेप भी सीखे हैं, जो कि वहाँ जाकर प्रचारित एवं प्रसारित करेंगे। डाॅ. राधारानी मायबम ने कुलपति से आग्रह करते हुए कहा कि इस प्रकार संस्कृति के आदान-प्रदान करने करने हेतु सिखाने वाले विषय-विशेषज्ञों को आमंत्रित किये जाने की वृहत् योजना विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से स्वीकृत कराने का आग्रह किया। कुलपति जी ने आश्वासन देते हुए कहा कि मैं शीघ्र ही इस ओर ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास करूँगा। बुन्देली परम्पराओं के अन्तर्गत विभागाध्यक्ष प्रो. कैलाश काशी नाथ शर्मा एवं शिक्षक विद्यार्थियों ने हल्दी, रोरी, अक्षत, चन्दन, श्रीफल, जूट निर्मित बैग भेंट करके विदाई की।
ये रहे मौजूद
इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रो. ए. एन. शर्मा, प्रो. राजेश गौतम, डाॅ. पंकज तिवारी, निर्देशक, ई.एम.आर.सी., डाॅ. बिजयासुन्दरी देवी, डाॅ. राधारानी मायबम, डाॅ. पीटर की, डाॅ. आशुश पाल, डाॅ. सोमनाथ चक्रवर्ती, राजेन्द्र सिंह, भरतेश जैन, संतोष जैन, सचिन सिपोल्या, निकिता दास, पद्मिनी सा, कौस्तुब देबशर्मा, अनुराग चैरसिया, अजय अहिरवार, बसन्त सेन, काव्या पाल, अशोक यादव, गंगाराम, भगवानदास रजक, अभिषेक पटेल, संतोष रैकवार सहित अनेक विद्यार्थीगण उपस्थित थे।
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