पद्माकर के स्मरण के साथ साहित्यकारों ने मनाई होली
सागर। सागर के साहित्यकारों ने अपनी परंपरागत होली महाकवि पद्माकर को गुलाल लगाकर प्रारंभ की। उल्लेखनीय है कि विगत 45-46 वर्षों से नगर के साहित्यकार चकराघाट स्थित पद्माकर की मूर्ति को स्नान करा कर सम्मान सहित गुलाल लगाते हैं। इसके बाद परस्पर होली खेलते हैं। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिंदी के विद्वान प्रोफेसर सुरेश आचार्य के सान्निध्य में कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। पद्माकर जी के संदर्भ में डॉ.आचार्य ने चर्चा करते हुए कहा कि पद्माकर जी का इस अवसर पर स्नान किया जाना अद्भुत है। इस अवसर पर कार्यक्रम संचालक वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत चौबे ने कहा कि बुंदेलखंड की परंपरा है उसके अतीत को अपने अतीत को संजोकर रखना।प्राचीन इतिहास के विद्वान डॉ. रजनीश जैन पद्माकर जी के अछूते छंदों को प्रस्तुत कर चमत्कृत कर दिया।श्यामलम् अध्यक्ष उमाकांत मिश्र ने इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक बताया। बुंदेलखंड साहित्य संस्कृति विकास मंच के अध्यक्ष डॉ. सीताराम श्रीवास्तव, होली उत्सव के सहसंयोजक पूरन सिंह राजपूत ने इस कार्यक्रम को विशेष मानते हुए नई पीढ़ी के लिए संदेश बताया। बुंदेलखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच के प्रदेश अध्यक्ष के.के.बख्शी,सरस्वती नाट्य मंच के राजेंद्र दुबे,प्रलेस के टी.आर. त्रिपाठी,लेखक संघ के वृंदावन राय,देवकीनंदन रावत, दिनेश साहू, शिव रतन यादव ने कविताओं की अपनी प्रस्तुति दी। बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में लोग उपस्थित थे जिनमें पद्माकर समिति के मधुसूदन सिलाकारी, विजय चौबे,संतोष सिलाकारी,रानू ठाकुर, अमित चौबे,शरद जैन गुड्डू,शिखरचंद शिखर, आशीष निशंक, ऋषभ जैन, राजेश नामदेव आदि प्रमुख थे।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें