सिंधिया परिवार के राजनीतिक निर्णयों का आंख मीचकर मानने वाला है राजस्व मन्त्री गोविन्द राजपूत का परिवार
सागर। राजनीति में सिंधिया परिवार को राजनीतिक रसूखदारो में आंका जाता है । जिसमे दांवपेंच की झलक दिखती है ।एमपी में सत्ता पलटने की कहानी के मुख्य जयोतिरादित्य सिंधिया अब भाजपा के प्रमुख नेताओं में शुमार हो गए।सिंधिया परिवार के तेवरों से खासतौर से बगावती कहानी एमपी में हमेशा धमाकेदार दिखी । सिंधिया परिवार के राजनेतिक निर्णयों का आंख मीचकर पालन करने वालो की एक तस्वीर एमपी के सागर में भी दिखती है । ये है बुंदलखण्ड अंचल के कद्दावर नेता गोविन्द राजपूत की । सिंधिया परिवार के राजनीतिक फैसलों को स्वीकारना और पार्टी को छोड़ना।
एक और समानता है कि दोनों परिवारों को काँग्रेस से सब कुछ मिला। सिंधिया घराने की दूसरी राजनीतिक पीढ़ी यानी स्व श्री मंत माधव राव सिंधिया के साथ जुड़े युवा नेता गोविन्द राजपूत का भी इतिहास बगावत के साथ जुड़ गया है । 1996 में जब स्व माधव राव सिंधिया ने कांग्रेस से नाता तोड़कर विकास काँग्रेस का गठन किया था। उस समय सबसे पहले गोविन्द राजपूत ने पार्टी छोड़कर सिंधिया का दामन पकड़ा था। उनकी पार्टी में वापसी हुई सो राजपूत भी साथ थे । इसके बाद युवक काँग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर सर्वाधिक 5 साल निकाले ।
पिता का साथ साथ देते देते ज्योतिरादित्य सिंधिया केम्प के अहम बने। अब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी उपेक्षा के चलते काँग्रेस से नाता तोड़ा का तो राजस्व मंत्री श्री राजपूत भी इस कदम में साथ हो लिए। यह सिलसिला राजपूत के परिवार में भी चला। पिछले दस साल से सागर के जिला अध्यक्ष पड़ पर काबिज हीरा सिंह ने और सुरखी विधानसभा क्षेत्र के युवक कांग्रेस के अध्यक्ष अरविंद राजपूत टिंकू राजा ने भी काँग्रेस का दामन त्याग दिया। हीरा सिंह परिवहन मन्त्री गोविन्द राजपूत के बड़े भाई और टिंकू राजा भतीजे है।
खूब मिला कांग्रेस से, खूब काम किया कांग्रेस के लिए
राजनीतिक समृद्धता राजपूत परिवार को खूब मिली। सिंन्धिया के दामन पकड़ते ही गोविन्द राजपूत को एमपी युवक कांग्रेस की कमान मिली।पाँच साल से अधिक प्रदेशाध्यक्ष बने रहना का रिकार्ड है। अध्यक्ष रहते सुरखी विधानसभा से टिकिट मिला। गोविन्द राजपूत को पांच दफा विधानसभा का टिकिट मिला। तीन दफा जीते। संगठन में कई पदों पर रहे और 2014 का सागर लोकसभा का टिकिट भी मिला। परन्तु हार गए। कमलनाथ सरकार में परिवहन और राजस्व जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय मिले। श्री राजपूत की पत्नी श्री मति सविता गोविन्द सिंह राहतगढ़ जनपद और सागर जिला पंचायत की अध्यक्ष रही।
जी जान से भी लगे रहे कोई दूसरा खड़ा नही हुआ 15 साल:हीरा सिंह राजपूत
जब कांग्रेस से इतना सब कुछ मिलातो फिर क्यो छोड़ी पार्टी ? यह सवाल तीनबत्ती न्यूज़. कॉम
पूछा तो जिलाध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत का कहना था कि पार्टी ने दिया इसमे दो मत नही है।होटल से लेकर जमीन जायदाद तक सब कुछ लेकर 15 साल काँग्रेस के लिए खड़ा रहा । उस समय कोई दूसरा आगे नही आया। सरकार बनी तो जिले के कार्यकर्ताओं के काम नही हो रहे । यदि अभी यह निर्णय नही लेते तो तान साल बाद हालत और खराब हो जाते।
जिला अध्यक्ष दो दशकों से राजपूत परिवार में
राजपूत परिवार हमेशा पावर में रह है। भले ही सरकार किसी दल की रहे। गोविन्द के दोनो बड़े भाई गुलाब सिंह राज पूत लंबे समय तक जिला अध्यक्ष रहे । कुछ अंतराल बाद इस पद पर हीरासिंह विराजे। पिछले दस साल से हीरा सिंह ही सम्भाल रहे है। अब इस्तीफा दिया।
इनके भतीजे अरविंद राजपूत भी युवक कांग्रेस के सुरखी के अध्यक्ष है । उन्होंने भी पार्टी का साथ छोड़ दिया।
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