रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गये पटवारी को 5 वर्ष की सजा,15 हजार रूपये का अर्थदण्ड भी

रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गये पटवारी को 5 वर्ष की सजा,15 हजार रूपये का अर्थदण्ड भी
टीकमगढ़।  विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम टीकमगढ़ ने पटवारी द्वाराया रिश्वत लेने के मामले में 5 साल की सजा और 15 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई है। इसकी पैरवी  आर .सी. चतुर्वेदी सहा. जिलाअभियोजन अधिकारी, टीकमगढ़ ने की।
अभियोजन के अनुसार विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, टीकमगढ़
द्वारा विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त संगठन सागर के एक मामले में आरोपी पटवारी नंदकिशोर सौर को रिश्वत मांगने के अपराध धारा 7 भ्रष्टाचार अधिनियम में 4 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000/- (पांच हजार रुपये)
रू. का अर्थदण्ड तथा रिश्वत लेने के अपराध धारा 1312) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में 5 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10000/-रू. (दस हजार रूपये) के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है।
सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री संदीप सरावगी ने बताया कि दिनांक 18.10.2015 को ग्राम सगरवारा तहसील लिधौरा जिला टीकमगढ़ निवासी आवेदक/फरियादी प्रतम पाल पिता लक्ष्मन पाल ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त सागर के समक्ष शिकायती आवेदन प्रस्तुत किया कि उसने अपनी पैतृक भूमि का बंटवारा करवाने हेतु सकिल स्यावनी तहसील लिधौरा जिला टीकमगढ़ में दिनांक 05.05.2015  को आवेदन दिया था जिस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। वह दो तीन बार बंटवारा करवाने के लिये पटवारी नंदकिशोर
सौर से मिला तो उसके द्वारा बंटवारा करवाने के एवज में 8000/-रूपये (आठ हजार रूपये) की मांग की जा रही है। वह रिश्वत नहीं देना चाहता है बल्कि उसे रिश्वत लेते हुये रंगेहाथों पकड़वाना चाहता है। उक्त शिकायत के सत्यापन हेतु लोकायुक्त पुलिस द्वारा उसे एक वॉयर रिकर्डर लेन-देन वात िरिकार्ड करने हेतु जारी किया गया। आवेदक द्वाराआरोपी पटवारी नंदकिशोर सौंर से संपर्क कर रिश्वत मांग संबंधी बातचीत रिकर्ड कर ली। बातचीत के दौरा आरोपी
पटवारी द्वारा 12,000/- (बारह हजार रूपये) की मांग की एवं रिश्वत राशि 6000/- (छ: हजार रूपये) लेने कोसहमत हो गया। वॉयस रिकार्डर से शिकायत की पुष्टि होने पर लोकयुक्त पुलिस द्वारा आरोपी को रंगे हाथों पकड़ने
हेतु एक ट्रेप दल का गठन किया गया। एवं प्रारंभिक कार्यवाहियों के उपरांत ट्रेपदल दिनांक 19.10.2015 कोशासकीय वाहनों से लोकायुक्त कार्यालय सागर से रवाना होकर टीकमगढ़ पहुंचा। आवेदक प्रीतम पाल ने आरोपीनंदकिशोर सौर से संपर्क किया तो उसने दिगौड़ा में मिलने के लिये कहा गया। दिगोड़ा में पहुंचकर ट्रेपदल द्वारा।अपनी पहचान छिपाते हुये आवेदक को आरोपी के पास रिश्वत देने हेतु भेजा। दिगोड़ा बस स्टेण्ड पर आरोपीनंदकिशोर सौर अपनी मोटर साईकिल से आकर रोड के किनारे रूक गया तब आवेदक आरोपी के पास गया तथाजैसे ही उसने रक्षित की राशि जेब से निकालकर आरोपी को दी और सिर पर हाथ फेरकर इशाकर किया तो ट्रेपदलने आरोपी नंदकिशोर सौर को चारों तरफ से घेर लिया। रिश्वत की राशि 6000/- उसकी पेंट की जेब से बरामद करसोडियम कानिट के घोल में हाथ धुलवाये गये तो घोल का रंग गुलाबी हो गया। प्रकरण में संपूर्ण अनुसंधान उपरांत
विभाग से अभियोजन स्वीकृति प्राप्त होने के उपरांत आरोपी के विरूद्ध विचारण हेतु अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुतकिया गया। माननीय न्यायालय द्वारा विचारण उपरांत आरोपी नंदकिशोर सौर, पटवारी को रिश्वत मांगने एवं रिश्वत लेने के मामले में दोषसिद्ध ठहराते हुये रिश्वत मांगने के अपराध धारा 7 भ्रष्टाचार अधिनियम में 4 वर्ष का सश्रम
कारावास एवं 5000/- (पांच हजार रूपये) रू.का अर्थदण्ड तथा रिश्वत लेने के अपराध धारा 13(2) भ्रष्टाचारनिवारण अधिनियम में 5 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10,000/- रू. (दस हजार रूपये) के अर्थदण्ड से दण्डित किया
गया है।
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