बिना लाइसेंस विस्फोटक ले जाने वाले आरोपियो को 10-10 साल की सजा

बिना लाइसेंस विस्फोटक ले जाने वाले आरोपियो को 10-10 साल की सजा
सागर। माननीय अष्टम अपर सत्र न्यायाधीष श्री सुरेष कुमार सूर्यवंषी जिला सागर की अदालत ने आरोपी ताहर सिंह पिता उदयभान सिंह आयु 38 वर्ष एवं तुलसीराम पिता लच्छू अहिरवार उम्र 20 वर्ष दोनो निवासी ग्राम राजा विलहरा थाना सुरखी जिला सागर म.प्र. को  विस्फोटक अधिनियम 1908 की धारा 5 में दोषी पाते हुए 10-10 वर्ष का कारावास और 10000-10000 रू के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। प्रकरण में म. प्र. शासन की ओर से पैरवी विषेष लोक अभियोजक/वरिष्ट एडीपीओ श्याम नेमा, सागर द्वारा की गयी।

 

अभियोजन के मीडिया प्रभारी/एडीपीओ सौरभ डिम्हा ने बताया दिनांक 19.04.2018 को थाना प्रभारी जैसीनगर को कस्वा भ्रमण दौरान सूचना प्राप्त हुयी कि सुल्तानगंज की ओर से मोटर साइकिल एम.पी 15 एम एक्स 6697 हीरो होंडा से दो व्यक्ति सागर तरफ काले रंग का बैग लेकर आ रहे है जिसमें अवैध जेलेटिग में डिटानेटर एवं फ्यूज रखे है मुखविर की सूचना पर हमराह स्टाफ के साथ तिराहे पर वाहन चैकिंग कर मोटर साइकिल का इंतजार किया तो उपरोक्त नम्वर की मोटर साइकिल पर बीच में एक काले रंग का बैग रखे दो व्यक्ति निकले जिन्हे रोकने का प्रयास किया, ना रूकने पर शासकीय वाहन व वल की मदद से उक्त मोटर साइकिल का पीछा कर पकडा। मोटर साइकिल चलाने वालों से नाम पता पूछा उसने अपना नाम ताहिर बताया। दूसरे व्यक्ति जो बैग लिए था उसने अपना नाम तुलसीराम अहिरवार बताया उसके बैग की तलासी लेने पर बैग में 150 नग सुपर पावर, 90 इमोलेषन एक्सलोसिब 25.125 एम एम छडेमय तीन पैके में सुप्रीम ए.ई.डी. अल्ट्रा सेफ सोलर डिटोनेटर मय फ्यूज के प्राप्त होने पर उक्त विस्फोटक के संबंध में लाइसेंस मांगा गया। लाइसेंस ना होने पर जप्ती गिरिफतारी की कार्यवाही की गयी। थाना पर प्रकरण पंजीबद्ध किया गया विवेचना उपरांत धारा 4,5 विस्फोटक अधिनियम के अंतर्गत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। विचारण के दौरान अभियोजन ने अपना मामला युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित किया जिसके आधार पर माननीय अष्टम अपर सत्र न्यायाधीष श्री सुरेष कुमार सूर्यवंषी जिला सागर की अदालत ने अभियुक्त ताहर सिंह पिता उदयभान सिंह उम्र 38 वर्ष एवं तुलसीराम पिता लच्छू अहिरवार उम्र 20 वर्ष दोनो निवासी ग्राम राजा विलहरा थाना सुरखी जिला सागर म.प्र. को विस्फोटक अधिनियम 1908 की धारा 5 में दोषी पाते हुए 10-10 वर्ष का कारावास और 10000-10000 रू के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।

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