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अपराधों के निवारण हेतु साक्ष्यों से अपराध की घटना तय होना चाहिये न कि घटना से साक्ष्य :आईपीएस वी के एस कौमुदी

अपराधों के निवारण हेतु साक्ष्यों से अपराध की घटना तय होना चाहिये न कि घटना से साक्ष्य  :आईपीएस वी के एस कौमुदी

सागर। भारतीय अपराधशास्त्र समाज के 42 राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के अवसर पर  वही एसके कौमुदी (आई.पो. एस.) डायरेक्टर जनरल, पुलिस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट, गृह मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली ने कहाहै 
कि अपराधशास्त्र का ज्ञान वर्तमान की अपराधिक घटनाओं के नियत्रण एवं निवारण हेतु नितात आवश्यक है। वर्तमान पुलिस बल को विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ अपराध विज्ञान का सैद्धान्तिक एवं व्यवाहारिक ज्ञान होना आवश्यक है। आधुनिक समय में अपराधी अपराधों के नवीन तरीके जैसे-साइबर काइम अर्थिक अपराध जाली मुद्रा तस्करी अनैतिक व्यापार मादक द्रव्य व्यापार जैसे- अपराधों को अपना रहे है जिससे अपराधों की दरों में लगातार वृद्धि हो रही है। जो पुलिस बल के लिए चुनौतीपूर्ण है।
उ होने  बताया की अपराध के निवारण हेतु साक्ष्यों से अपराध घटना का स्वरूप तय होना चाहियें न कि घटना से साक्ष्य तात्पर्य पुलिस बल को साक्ष्यो के आधार पर घटना का स्वरूप तय कर मामले के निस्तारणहेतु सबंधित न्यायलय में प्रस्तुत करना चाहिये। भारतीय अपराधशास्त्र समाज मद्रास को भविष्य में लगातार अनुदान देने हेतु अपनी वचन बद्धता प्रस्तुत की।
कल्याण के लिए अपराध शास्त्र का ज्ञान :कुलपति 
डॉ हरीसिंग गौर विश्वविद्यालय के कुलपति  प्रो. आर पी. तिवारी ने  कहा कि अपराधशास्त्र का ज्ञान सावभामिक कल्याण के लिए है इस विषय का ज्ञान विभिन्न विषयो का संगम है और यह व्यवाहारिक विज्ञान होने के कारण दैनिक व्यवहार में होने वाली घटनाओं का ज्ञान एवं विशलेषण कराता है। कुलपति  ने कहा कि मैं भूगर्भ एवं पुरापाषण का अध्येता हूँ परन्तु अपराध विज्ञान अपराधिक घटनाओं के साथ-साथ विधि अधिनियमो एवं समाजिक मूल्यों एवं आदर्शों का ज्ञान भी कराता है। इस विषय में शासकीय एवं अशासकीय सेवाओं में जाने के अवसरो में लगातार वृद्धि हो रही है। आवश्यकता है कि विद्यार्थी समर्पित भाव से वस्तुनिष्ठ विषयगत अध्ययन करें एवं अपने लक्ष्यो का प्राप्त करें।
ट्रान्जेशनल क्रिमिनोलॉजी का समय :अरविंद तिवारी
इण्यिन सोसायटी ऑफ क्रिमिनोलॉजी, मद्रास अध्यक्ष प्रो. अरविन्द तिवारी डीन स्कूल
ऑफ ला, राइड्स एण्ड गर्वेनेन्स, टाटा इस्टीट्यूट ऑफ सोसल साइंज गुम्बई ने इस अवसर
पर विगत 50 वर्षों से संचालित हो रहे भारतीय अपराधशास्त्र समाज, मद्रास का परिचय एवं
गतिविधियों से अवगत कराया एवं बताया कि वर्तमान समय में "ट्रान्जेशनल क्रिमिनोलॉजी का
समय आ गया है इससे आशय है कि वर्तमान अपराधिक न्याय व्यवस्था, अपराधशास्त्र के
ज्ञान को व्यवाहरिक रूप में अपनाकर अपराधों का निवारण एवं नियत्रण करें।
अवार्डों की घोषणा
उदघाटन सत्र में आई एस.सी. के चैयरमेन प्रो. पी माधवा सोमा सुन्दरम, मनोमेनियम
सुन्दरनार युनिवर्सिटि त्रिनोलवेली तमिलनाडू ने अपराधशास्त्र के क्षेत्र में दिये जाने वाले अवार्ड
की घोषणा की ।जिसमे उड़िसा विवि  के वाइस चान्सलर प्रो. के.डी. राव को अपराधशास्त्र
का सर्वश्रेष्ठ पुरूस्कार कुमाराप्पा रैकलेस अवार्ड प्रदान किया गया। आई.एस.सी. फेलोशिप
अवार्ड की घोषणा सयुक्त रूप से की गई जिसमें प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत, अध्यक्षसमाजशास्त्र एवं समाज कार्य विभाग सागर विश्वविद्यालय, डॉ. नन्दनी रानी चिन्मा यूनिवर्सिटी 
वेलागबी कर्नाटक एण्ड डॉ.एम.डी. एलेन सेलवाकुमार मद्रास यूनिवर्सिटि, डॉ. स्वीकार लाम पुलिस युनिवर्सिटि जोधपुर को प्रदान किया गया।
उदघाटन सत्र में उपस्थित प्रो. आर.पी.मिश्रा, डीन स्कूल ऑफ एप्लाइड साइसेंस रागर
विश्वविद्यालय द्वारा पुरूस्कार एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किये गये एवं कार्यक्रम में उपस्थित
मंचासीन अतिथियों का शाल श्रीफल एवं गोर प्रतिमा भेट कर सम्मानित किया गया। कर्नल
राकेश मोहन जोशी, कुलराचिव सागर विश्वविद्यालय द्वारा उदघाटन सत्र में उपस्थित
देश-विदेश से पधारे हुए विषय विशेषज्ञों का अभार ज्ञापित किया गया।
सामान्य सत्र में विषय विशेषज्ञ के  व्याख्यान 
उदघाटन सत्र के पश्चात् सामान्य  सत्र के दौरान अमेरिका से पधारे हुए प्रो. एन.प्रभा. उन्नीधान, कोलाराडो स्टेट यूनिवर्सिटी अमेरिका द्वारा अर्तराष्ट्रीय अपराधशास्त्र जनरल मेंशोध पत्रो का प्रकाशन कैसे किया जाये इस विषय पर अपना विषय विशेषज्ञ व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने  बताया कि विद्यार्थियों को विषय ज्ञान तकनीकी ज्ञान एवं शोध विधियों काउपयोग करते हुए अपने मौलिक शोध को प्रकाशन हेतु प्रेषित करना चाहिये। 
इस सत्र में चैयरमेन प्रो. बलराज चौहान वाइस चान्सलर धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटि जबलपुर एव कोचेयर डॉ. विवेक मेहता, अपराधशास्त्र एवं न्यायिक विज्ञान विभाग, डॉ. हरीसिंह गौरविश्वविद्यालय सागर ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम के द्वितीय तकनीकी सत्र में शोध पत्रों का प्रस्तती करण किया गया जिसमें
अपराध विज्ञान उत्पीड़न विज्ञान साइबर अपराध महिलाओं के विरुद्ध अपराध विदेशी पर्यटको के विरूद्ध अपराध बाल अपराध एवं अपराधिक न्याय व्यवस्था से संबंधित विषयों पर केन्द्रित शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण किया गया।
प्रो. ममता पटेल विभागाध्यक्षा अपराधशारत्र एवं न्यायिक विज्ञान विभाग सागर विश्वविद्यालय एवं इस सम्मेलन की आयोजक एवं आयोजन सचिव ने बताया कि उद्घाटन सत्र के दौरान मुख्य रूप से प्रो. एच.एस.गहेश्वरी प्रो. जी. एरा. बाजपेई नेशनल लॉ युनिवर्सिटी नई दिल्ली, प्रो. नागराज मदुरई प्रो. आर. एन. मंगोली, प्रो. मंसूरी धारवाड़ कर्नाटक, आई.एस.सी. सचिव डॉ. उमर मद्रास, डॉ. नन्दकिशोर भगत नागपुर युनिवर्सिटी सागर विश्वविद्यालय  से प्रो. ए.एन.शर्मा डीन एकेडमिक  अफेयर, प्रो. देवाशीष बोस, प्रो. नागेश दुबे, डॉ. विवेक मेहता, डॉ. दीपक गुप्ता. डॉ. मुकेश चौरसिया एवं विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षक,छात्र-छात्रायें एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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