शोध के लिये मौलिक सोच महत्वपूर्ण -कुलपति प्रो.आर.पी. तिवारी

शोध के लिये मौलिक सोच महत्वपूर्ण -कुलपति प्रो.आर.पी. तिवारी
सागर।डाॅ. हरीसिंह गौर विष्वविद्यालय सागर के मानव संसाधन विकास केन्द्र (एचआरडीसी) में शोध पर केन्द्रित लघुकालिक पाठ्यक्रम का षुभारंभ हुआ। उद्घाटन सत्र में विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने कहा कि षोध कार्य न केवल वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किया जाए वरन् भूतकालिक परंपराओं, संस्कृति आदि से भी उनकी तुलनात्मक उपयोगिता का अध्ययन किया जाए। समसामायिक समस्याओं के उपयुक्त हल हेतु परंपरागत कार्यषैली/जीवनषैली को ध्यान में रखते हुए भी यथासंभव हल निकाले जा सकते हैं। प्रो. तिवारी ने कहा कि षोध के लिये मौलिक सोच एवं अंतवैषियिक अनुषासन बेहद जरूरी है। केन्द्र के डायरेक्टर प्रो. टी.आर.बेडरे ने पाठ्यक्रम की रूप रेखा एवं संबंधित विषय वस्तु पर प्रकाष डाला। पाठ्यक्रम समन्वयक प्रो.दिवाकर सिंह राजपूत समाजषास्त्र एवं समाजकार्य विभागाध्यक्ष ने कहा कि षोध संवाद से षुरू होता है और अकादमिक उन्नयन के लिये अंतर्निहित निपुणताओं के माध्यम से प्रयास करना चाहिए। प्रो. राजपूत ने कहा कि स्थानीय स्तर के संसाधनों का वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित उपयोग के द्वारा चैष्विक स्तर की प्रतिस्पर्धाओं में सफलता प्राप्त की जा सकती है। कार्यक्रम का संचालन पाठ्यक्रम समन्वयक डाॅ. केषव टेकाम ने किया एवं डाॅ. विपुल भटट् ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में मध्यप्रदेष, महाराष्ट्र, उत्तराखण्ड, आदि प्रदेषों के विभिन्न षैक्षणिक संस्थानों के षिक्षको ने प्रतिभागिता की। षोध के नये आयामों पर केन्द्रित यह लघुकालिक पाठ्यक्रम 10 से 15 फरवरी 2020 तक संचालित होगा जिसमें विभिन्न विषय विषेषज्ञों के व्याख्यान होंगे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें