आम आदमी की अधूरी कहानी रह गई.....राजू गर्ग को श्रद्धा सुमन अर्पित @डॉ जी एस चोबे,हड्डी रोग विशेषज्ञ

आम आदमी की अधूरी कहानी रह गई.....राजू गर्ग को श्रद्धा सुमन अर्पित

@डॉ जी एस चोबे,हड्डी रोग विशेषज्ञ

सागर। ६ फरवरी, रामसरोज होटल का पांगण
अवसर, जी देवेन्द्र जैन भवन ट्रेडिंग बालों के
बेटे की शादी। राजू गर्ग से परिवार सहित भेट हुई।एक ऐसे जीवंतता के   भाव से मिले की कोई  सोच भी नहीं सकता कि ऐसा कुछ भी घट जाएगा  मिलने के दौरान, वही हँसता चमकता हुआ चेहरा, पर कही न कही कुछ सोच रहे थे।
मैने पूछा राजू , ज्यादा दिखते  नही हो। बोले- मैं शाम को छह बजे से दो घण्टे तक  तीनबत्ती पर मिलता हूँ।
जहाँ चाह वहाँ राह को निकालने वाले  एक ऐसे आम आदमी की कहानी अधूरी ही रह गई।
जो सोचता था समाज के लिये,कुटुंब के लिए
दोस्तो के लिये।वह धर्म और आस्था में  विश्वास रखते थे। वह  सबको दुर्गा समिति तीनबत्ती  केमाध्यम से जोड़े रहते थे। 
५ जून 2004 में तीनबत्ती पर आस्था संस्था के तत्वाधान में पर्यावरण के चेतना जाग्रत करने हेतु उन्होंने "पर्यावरण चेतना पटल' स्थापित किया था।प्रत्येक दिन उस पटल पर-रख, नारा-
जीव  की रक्षा सुरक्षा से संबंधित होता था
इसको चम्पा किया जाता था।लगातार ३६५ दिनो तक बिना विघ्न वाधा के यह कार्यक्रम चला और 5 जून 2005 को  तत्तकालीन कलपति डी पी सिंह, , कलेक्टर शिव शेखर शुक्ला व सासद वीरेन्द्र कुमार की उपस्थिति में तीनबत्ती  पर ही जिले से आये हये शिक्षकों के बीच, यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। वैसे तो समाज जीवन मे  में उन्होंने कई कार्य किये पर पर्यावरण चेतना का बिगुल सागर  में  2005 में ही बजा दिया था।
राजू बच्चों में बच्चों की तरह बड़ो में बढ़ो की तरह रहकर सभी को सम्मान और आदर देते हुए  सामाजिक सरोकारों को निभाते थे।
सूनी हुई तीनबत्ती

सूनी हो गई है तीनबत्ती , हनुमान जी।
मंदिर के पास बाली चाय और पान की होटल की जगह। वो  चाय का आर्डर देने वाला राजू
आज नहीं है। वहाँ वो पर है तो सन्नाटा। वहां पर पहुचने वाली निगाहे सिर्फ आहो में तब्दील हो गई है।उनके मित्र कहते नही थक रहे की 
13 फरवरी का दिन था जिस दिन
गोविंद सरवैया  जी ने उनके  फेसबुक प्रोफाईल  के लिये Photo फोटो खिंचे थे ।उसी  दिन वह बिलासपुर निकल गये। ससुराल में रुके।14 फरवरी को अपनो के बीच हसी मजाक कर रहे  थे। बैठे बैठे एक ऐसी घड़ी आई कि  उन्होने अपना  शरीर के त्याग  दिया। ऐसा शख्श जो
 जो गरीब, उस्की  गरीबी को करीबसे जानता था। जो दोस्त दोस्ती  का मतलब समझता था।,
राजनीति में रहकर  राजनीति से कैसे दूर रहा जाए। यह कोई राजू से ही सीख सकता है।
तीनबती दुर्गा माँ का लाडला बेटा हम सबके बीच से, बिना कुछ कहे, बोले ,बिना विलाप चला गया।
मन की व्यथा , अशुद्ध वाक्य और व्याकरण में
त्रुटियों सहित
डॉ जी एस चोबे ,हड्डी रोग ,विशेषज्ञ सागर
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