गिरिजा दहार: बुन्देलखण्ड का अद्भुत जलकुंड जहा सिर्फ डूबती है पवित्र बेलपत्र
#भगवान शंकर के धाम में एक ऐसा चमत्कारी कुंड जहाँ शिव की शक्ति से वेल पत्र अपने आप खिंचे चले आते है
सागर। पानी के ऊपर हर तरह के पत्तो को तैरते हुए देखा है पर एक कुंड ऐसा भी है ।जहाँ वेल पत्र डूब जाते है।पत्तो की पहचान करने वाले इस कुंड में ऐसी क्या खास बात है जो बाकी सभी कुंडों से इसको अलग करती है।और क्यों इसमें एक खास तरह का ही पत्ता डूबता है बाकी तमाम तरह के पत्ते सतह पर ही तैरते रहते है।शिव को प्रिय वेलपत्र डूबने के पीछे क्या शिवमहिमा है या कोई वैज्ञानिक कारण।आईये हम देखते है कि आखिर इसके पीछे क्या राज छुपा है आखिर क्यों ये चमत्कार यहाँ होता है।
एमपी के बुन्देलखण्ड अंचल के सम्भागीय मुख्यालय सागर लाखा बंजारा झील और डॉ हरिसिंह गौर के नाम से पहचाना जाता है। सागर से चालीस किलोमीटर दूर राहतगढ़ विदिशा मार्ग पर और राहतगढ़ से 8 किलोमीटर दूर घने जंगल के बीच मे मिलता है गिरजादहार।
गिरिजा दहार जहा तैर नही पाती बेलपत्री
राहतगढ़ के पास से निकली बीना नदी के बीचो बीच एक कुंड मिलता है वो कुंड जो शिव के प्रिय बेल पत्र को तैरने नही देता और बाकी सामान्य पत्तो को डूबने नही देता।गिरजादहार के बारे में कहा जाता है और लोगो की ऐसी मान्यता भी है कि इस कुंड में भगवान शिव बिराजमान है मतलब कई वर्षों पहले यहाँ शिव लिंग था ।लेकिन आपदा विपदा के कारण ये स्थान पानी से डूब गया । इसी वजह से बेलपत्र यहाँ शिवजी को अर्पित किए जाते है और इसी वजह से नदी के खास स्थान पर बेलपत्र डालने पर डूब जाते है और यही एक बात जो बाकी कुंड से गिरजादहार को अलग करती है।बताया ये भी जाता है कि माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने साधना की थी। जिसके बाद भगवान शिव ने यहाँ माता पार्वती को दर्शन दिए और यह स्थान सिद्ध हो गया। यही कारण है कि जो भी बिल्व पत्र चढ़ाए जाते हैं वह कुंड की गहराई में बने मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित हो जाता है। एक और बड़ी विशेषता है कि बीना नदी पश्चिम की ओर बह रही है लेकिन नदी किनारे लगे हुए वृक्ष की शाखाएं विपरीत दिशा पूरब की ओर है लोग बताते हैं कि कितनी पानी आए लेकिन इस कुंड का परिक्रमा लगाकर ही वह जल आगे जाता है इसीलिए यह शाखाएं जिस ओर से पानी आता है उस ओर ही मुड़ी हुई है। यहाँ पास ही में बने शिव पार्वती मंदिर के गिरजादहार के कुंड की शक्ति उस शिवलिंग में छुपी है जो कि 300 फ़ीट नीचे जमीन में बना हुआ है वह शक्ति बेलपत्र को तो स्वीकार कर लेती है लेकिन बाकी पत्तियों को पानी के नीचे नही जाने देती।दूर दूर से कई लोग यहाँ इस सिद्ध स्थान पर आते है और पुण्य लाभ कमाते है।
बताते है कि यहां एक संत पुरुष भी आराधना किया करते थे। अक्सर इस कुंड में घण्टो अंदर लीन होकर शिवभक्ति किया करते थे । पर्यटन जैसा केंद्र यह बनगया है।
महाशिवरात्रि पर उमड़ेगी भीड़ श्रद्धालुयों की
महाशिवरात्रि पर यहां मेला भरता है। आसपास के क्षेत्रो और दूरदराज से श्रद्धालु यहां आते है। यह एक पर्यटन धार्मिक स्थल बन गया है । इस बीना नदी पर कुंड के पास ही डेम का काम लगा हुआ है। इस कुंड के चारो तरफ बेलपत्री डालने वालो कि कमी सामान्य दिनों में भी खूब रहती है। यहां बेलपत्री का पेड़ लगा हुआ है।
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