दिव्यांगजनों को भी आमजनों की तरह अधिकार प्राप्त हों : कमिश्नर आनंद शर्मा

दिव्यांगजनों को भी आमजनों की तरह अधिकार प्राप्त हों : कमिश्नर आनंद शर्मा

#दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 पर संभाग स्तरीय कार्यषाला संपन्न
सागर । दिव्यांगजनों के अधिकारों के संरक्षण के लिए कार्यषाला मील का पत्थर साबित होगी। दिव्यांगजनों को भी आमजन की तरह अधिकार प्राप्त हों सके ऐसा हम सब का प्रयास होना चाहिए। उक्त विचार कमिष्नर आनंद कुमार शर्मा ने सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग द्वारा स्थानीय बीएमसी सागर के सभाकक्ष में मध्यप्रदेश दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 पर आयोजित संभाग स्तरीय कार्यषाला में व्यक्त किए। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती दिव्या अषोक सिंह, जिला कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती रेखा चौधरी, निःषक्तजन कल्याण आयुक्त श्री संदीप रजक, सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण म.प्र. के संचालक श्री कृष्णगोपाल तिवारी, कलेक्टर श्रीमती प्रीति मैथिल नायक, जिला पंचायत सीईओ श्री सीएस शुक्ला, बीएमसी डीन श्री जीएस पटैल सहित संभाग के 6 जिलों के विभिन्न विभागों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के अधिकारी, कर्मचारी एवं पदाधिकारी उपस्थित थे।  
कमिष्नर श्री आनंद कुमार शर्मा ने कहा कि दिव्यांगजनों के अधिकारों के संरक्षण के लिए मध्यप्रदेष सरकार भरसक प्रयास कर रही है। आवष्यकता है हम सबको उनके संरक्षण में मदद करने की। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन के अधिकार के संरक्षण के लिए अधिनियम-2016 पारित करके शासन ने प्रदेष में निःषक्तजनों के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है। इस अधिनियम का पालन न करने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जुर्माना के साथ सजा का प्रावधान सुनिष्चित किया गया है। 
सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण म.प्र. के संचालक श्री कृष्णगोपाल तिवारी ने कहा कि दिव्यांगजन, आमजन की तरह ही है और इनको वह समस्त अधिकार प्राप्त है जो आमजन को है। श्री तिवारी ने कहा कि दिव्यांगजन देष-दुनिया में अपनी छवि अलग प्रकार से बना रहे है और आज उंचे-उंचे पदों एवं खेलों में अपना नाम रोषन कर रहे है। प्रत्येक व्याख्यान के बाद संचालक श्री तिवारी ने प्रतिभागियों के प्रष्नों के उत्तर दिए और उनकी शंकाआें का समाधान किया।
निःषक्तजन आयुक्त संदीप रजक ने कार्यषाला में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 और विकलांगों को दिए गए विभिन्न प्रकार के अधिकारों के संरक्षण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अधिनियम अंतर्गत निःषक्तजनों के अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रावधान किए गए है। जिससे कि वे आम व्यक्ति की तरह अधिकार संपन्न होकर अपना जीवन जी सकें। अधिनियम में 17 अध्याय और 102 धाराएं है। उन्होंने समता और अभिवेद, सामुदायिक जीवन, क्रूरता और अमानवीय व्यवहार, हिंसा और शोषण, संरक्षण और सुरक्षा, गृह और कुटुम्ब, प्रजनन का अधिकार, न्याय तक पहुंच, मतदान तक पहुंच, विधिक हैसियत आदि विषयों पर प्रकाष डाला। उन्होंने 21 प्रकार की दिव्यांगता के बारे में बताया।          
कार्यषाला में असिस्टेंट प्रोफेसर सीआरसी भोपाल डा. गणेष अरूण जोषी ने दिव्यांगता प्रमाण पत्र, यूआईडी कार्ड की उपयोगिता एवं उन्हें जारी किए जाने की प्रक्रिया। दृष्टि एवं श्रवण दिव्यांगताओं का आकलन एवं प्रमाणीकरण पर प्रकाष डाला। सहायक प्रोफेसर पीएमआर डिपार्टमेंट सिम्स छिंदवाड़ा डा. संदीप धोले ने लोकोमोटर दिव्यांगता के आकलन पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने आकलन करते समय ध्यान दिए जाने वाले बिन्दुओं के बारे में समझाया। कार्यक्रम का संचालन अरविन्द जैन ने किया।              

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