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गुरूमंत्र के साथ हुई दीक्षा, 300 श्रद्वालुओं को दी दीक्षा श्री रावतपुरा सरकार ने

गुरूमंत्र के साथ हुई दीक्षा, 300 श्रद्वालुओं को दी दीक्षा श्री रावतपुरा सरकार ने
सागर। श्रीमद भागवत कथा के छठवे दिन संत श्री रावतपुरा सरकार ने गुरूमंत्र के साथ श्रद्वालुओं को दीक्षा दी। दीक्षा में लगभग 300 से अधिक श्रद्वालु षामिल हुये। रविवार को कथा के अंतिम दिन पूर्णाहूति व भंडारा का आयोजन किया जायेगा। 
षनिवार को सुबह 8.30 बजे गुरूदेव की प्रार्थना का आयोजन किया गया। षनिवार को संत श्री रावतपुरा सरकार ने कहा कि संसार की नाना वस्तुओं का मोह आत्मा को बेडियों में बांधता है। छोटी छोटी वस्तुओं में मनुष्य की मनोवृति संलग्न रहती है। जितना अधिक मोह उतना ही बंधन उतनी ही मानसिक अषांति। मनुष्य ने जितना दुख चिन्ता,भय अपने जीवन में आमंत्रण देकर बुलाया है सब उसकी अपनी कल्पना का फल है। मोह का मायाजाल व्यक्ति की अपनी मानसिक का परिणाम है। जिस प्रकार रस्सी को सर्प समझ कर व्यक्ति भागने लगता है। और बाद में वस्तुस्थिति समझकर अपनी ही मूर्खता पर हंसने लागते है ठीक वहीं स्थिति मनुष्य की होती है जो अकारण किसी वस्तु से मोह कर लेता है। और फिर बाद में पछताने लगता है। मोह का त्याग करें। हमें प्रयास करना चाहिये कि अधिक से अधिक लोगों कार्य आ सकें उनके सहयोगी बनें। सुबह 10 बजे दीक्षा का आयोजन किया गया। मंदिर परिसर में लगभग 300 से अधिक श्रद्वालुओं को संत श्री रावतपुरा सरकार ने दीक्षा दी। उन्होंने दीक्षा का महत्व बताते कहा कि साधकों के लिये गुरू दीक्षा एक अनिवार्य कर्म है दीक्षा प्राप्ति जीवन की आधारषिला है। इससे मनुष्य को दिव्यता तथा चैतन्यता प्राप्त होती है। दीक्षा आत्मसंस्कार करती है। श्रद्वालुओं को वेदमंत्रों के साथ दीक्षा दी गई। दीक्षा में लगभग 300 से अधिक श्रद्वालुओं षामिल रहे। 
पूर्णाहूति,भंडारा प्रसादी  रविवार को
षनिवार को श्रीमद भागवत कथा छठवे दिन वेद आचार्य अंकित पचैरी ने गोवर्धन लीला का वर्णन किया।कंस का उद्वार कर भगवान के विवाह का दिव्य महोत्सव का वर्णन किया। रविवार को श्रीमद भागवत कथा में पूर्णाहूति और भंडारा किया जायेगां  

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