हनी ट्रेप । नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव को लिखा पत्र ,रिटायर्ड IFS अधिकारी आज़ाद सिंह डबास ने, यदि हनीट्रैप के वीडियो है तो जांच एजेंसी को सौंपे
भोपाल । हनीट्रैप मामले में एमपी में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव को रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी और काँग्रेस से जुड़े आजाद सिंह डबास ने पत्र लिखा है पत्र में डबास ने गोपाल भार्गव के उस बयान के आधार पर सामने आया जिसमे गोपाल भार्गव ने दावा किया था कि उन्हें ऐसे 8 अधिकारियों के वीडियो की जानकारी है जो हनीट्रैप में शामिल हैं। इनपर कार्यवाही होना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा था कि कि उनके एक मित्र के पास ये वीडियो उन्होंने देखे थे ।इसके जरिए गोपाल भार्गव ने अधिकारियों पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि अधिकारी अवैध रूप से पैसा कमाते है और महिलाओं पर खर्च करते है। अधिकारी किसी एक पार्टी की सेवा नही करे।
डबास ने गोपाल भार्गव के नाम अपनी चिट्ठी में इसी को लेकर उनसे पांच सवाल पूछे हैं. डबास ने मांग की है कि अगर उनके पास इस संबंध में कोई वीडियो या जानकारी है तो उसे जांच एजेंसियों को सौंपना चाहिये।
ये रहे पांच सवाल
मैं इस प्रकरण में आपसे निम्नानुसार 5 सवाल करना चाहता हूँ:-
1. आपके द्वारा हनीट्रैप में लिप्त अधिकारियों को देवपुरूष बताते हुए उन्हें जनता की गाढ़ी कमाई का लुटेरा कहा गया
है। आपने ट्रैप में फंसे एक अधिकारी को अपने विडियों के बदले 1 करोड़ रुपये देने की बात कही है। आपने ऐसे
8 देवपुरूषों के विडियो अपने एक परिचित के पास बताये हैं। आपने इन विडियो को अभी तक हनीट्रैप मामले की
जांच कर रही एसआईटी को क्यो नही सौंपा? आपके द्वारा विडियो नही सौंपने का जो कारण बताया गया है, वह
मात्र एक बहाने के अलावा कुछ नही है। अगर आप वास्तव में इस मामले की जांच चाहते हैं तो इन विडियोज को
आप तत्काल एसआईटी को सौंपे। आप इन्हें कब तक सौंपेगे?
2 विगत दिनों एसआईटी ने इस मामले की एक चार्जशीट न्यायालय में प्रस्तुत की है जिसमें एसआईटी द्वारा 1करोड़ रुपये देने वाले अधिकारी का नाम नही बताया है। संभवतः यह एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं जो किसानोंसे संबंधित एक महकमे से बरसों तक जुड़े रहे हैं। आप ने अभी तक इस अधिकारी का नाम जाहिर करवाने केलिए कोई कार्रवाई नहीं की है। आप इस संबंध में कोई कार्रवाई करेंगे अथवा नहीं? अगर करेंगे तो कब तक?
3. राज्य सरकार ने अभी तक इस मामले में गठित एसआइटी के 3 मुखिया बदले हैं। आपने अभी तक इस संबंध में भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। आपने सरकार से इसका कारण भी नही पूछा है। क्या आप इस संबंध में कोईकार्रवाई करेंगे? अगर हाँ तो कब तक?
4। आपने ईडी, आईबी और सीबीआई जैसी संस्थाओं से इस मामले की जांच नहीं कराने के बात कही है। आपनेइसका जो कारण दर्शाया है. वह निराधार है। ये तीनों संस्थाएं केन्द्र सरकार के अधीन हैं। केन्द्र में आपकी हीपार्टी की सरकार है। अगर आप इस मामले की जांच के प्रति वास्तव में गंभीर होते तो अभी तक इन संस्थाओं
से कभी की जांच प्रारंभ करा सकते थे? क्या आप इस मामले की केन्द्रीय संस्थाओं से जांच करायेंगे? अगर हाँतो कब तक?
5। आपने हनीट्रैप मामले में एसआईटी द्वारा अभी तक जप्त सभी साक्ष्य एवं दस्तावेजों को आयकर विभाग के हवाले
कराने के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की है। आयकर की इंवेस्टीगेशन द्वारा इस मामले में रसूखदारों की संलिप्तता,
लाखों-करोड़ों के लेन-देन, कांट्रेक्ट, कालेधन और बेनामी संपत्ति की जांच की जा सकती है। क्या आप इस संबंधमें कोई कार्रवाई करेंगे? अगर हाँ तो कब तक?
आपसे अनुरोध है कि कृपया मेरे उपरोक्त सवालों का एक सप्ताह के अंदर जवाब देने का कष्ट करें। अगरआपके द्वारा मेरे सवालों का जवाब नहीं दिया जाता है तो यह माना ही नही जावेगा अपितु यह सिद्ध हो जावेगा कि आपइस मामले की जांच में कोई रुचि नहीं रखते हैं।
ये लिखा था गोपाल भार्गव ने अपनी फेसबुक पेज पर 25 जनवरी को
ब्यावरा राजगढ़ की घटना को लेकर आजकल प्रदेश के कुछ आईएएस अफसरों के मन में , कथन में और लेखन में भारी अकुलाहट है। पिछड़ा वर्ग के एक पूर्व मंत्री श्री बद्रीलाल यादव द्वारा कहे गए कथन या भाषण से "एलीट वर्ग" घायल है। इस वर्ग को देवताओं ने भारतवर्ष की जनता के लिए विशेष प्रसाद के रूप में दिया है, इसलिए वह ऐसे कवच कुंडल धारण किए हैं जिन पर डॉक्टर भीमराव जी अंबेडकर द्वारा लिखित संविधान और आईपीसी, सीआरपीसी के विधानों का कोई असर नहीं होता । उनकी नजर में सभी राजनीतिक व्यक्ति डाकू है और वह स्वयं में "देव पुरुष" हैं । रेत खदानों,शराब दुकानों, परिवहन नाकों जैसे अनेक ईश्वर प्रदत्त कमाई के जरियों से इसी राज्य में इसी वर्ग के दंपत्ति के पास अरबों रुपयों की संपत्ति बरामद हुई थी। वह तो एक छोटा सा उदाहरण मात्र है, लेकिन नेता तो डाकू है और आप "देवपुरुष" हैं। जिस अधिकारी के पास गोली चलवाने, टीयर गैस छुड़वाने, वाटर कैनन चलवाने, लाठीचार्ज करवाने का अधिकार हो, भारत की सीआरपीसी जिसकी दास हो वह अधिकारी भीड़ में घुसकर थप्पड़बाजी करें। 61 साल के बुजुर्ग एएसआई और अपने अधीनस्थ छोटे से पटवारी को तमाचे लगाए या किसी पूर्व विधायक का सिर फोड़े यह कहाँ तक उचित है ? मैंने अपने 40 वर्षं के राजनीतिक जीवन में देखा है कि सरकार किसी की भी रही हो यही अधिकारी मुख्यमंत्री और रसूखदार मंत्रियों के यहां उनके दरवाजे और दरबार में मनचाही पदस्थापना पाने के लिए दरबारी बनकर बैठे रहते हैं। यही "देवपुरुष" *जनता की गाढ़ी कमाई को लूट कर अप्सराओं के साथ *मधुपान* करते हैं और फिर *ट्रैप* में फंसते हैं तब जाकर एक वीडियो के बदले एक करोड़ रुपए तक देते हैं। यह पैसा कहाँ से आता है ? ऐसे लगभग ऐसे 8 देवपुरुषों के वीडियो मेरे एक परिचित के पास हैं। मैं चाहता तो सब खुलासा करता लेकिन मैं यह नहीं चाहता कि यह गंदगी फैले और मेरा मध्यप्रदेश पूरे देश और दुनियां में कुकर्मी प्रदेश के रूप में जाना जाए। इस कारण मैं अभी तक चुप रहा। लेकिन ब्यावरा की घटना एवं 'देवपुरुषों' के अवांछित वक्तव्यों से अब पानी सिर से ऊपर निकल चुका है। मैं यह भी नहीं चाहता था कि ईडी, आईडी और सीबीआई जैसी संस्थाएं राज्य में आकर कार्यवाही करें और मेरे ही राज्य की फजीहत हो लेकिन जो 'देवपुत्र' गटकने की अति कर रहे हैं, उनके बारे में मुझे पार्टी की मंशा अनुसार तय करना है । विशेषकर उन देव पुत्रों के बारे में जिनको अंग्रेजी भाषा में "घुटना टेक" होने का हुक्म दिया जाता है तो वह रेंगने लगते हैं, फिर कहाँ जाता है उनका स्वाभिमान ? अरे जो असली स्वाभिमानी तो वो हैं जो वीआरएस लेकर प्रदेश छोड़ रहे हैं, जनाब फिर आप लोग किस इंतजार में हैं ? हे देव पुरुषों आपके पास तो गोली चलवाने, लाठी चलवाने से लेकर असीमित अधिकार हैं, सीआरपीसी आपकी दास है । परंतु जिस जनता के पास सिर्फ लोकतांत्रिक तरीके से सभा करके और जुलूस निकालकर अपनी बात कहने का अधिकार है, उस जनता के इन्हीं थोड़े से अधिकारों से आपको घोर आपत्ति और नफरत क्यों है? आखिर जनता क्या करें ? हे देवपुरुषो याद रखिये आपका यही व्यवहार और उससे निर्मित परिस्थितियां ही भारत में नक्सलवाद को जन्म देती हैं । मेरी आप सभी देवपुरुषों को एक सलाह है कि आप कमलनाथ जी और उनकी सरकार की शान में 1-1 चालीसा लिखें। जिस देवपुरुष का चालीसा प्रदेश के बुद्धिजीवियों और साहित्यकारों को पसंद आएगा मैं उस देवपुरुष का अपनी ओर से नागरिक अभिनंदन करूंगा ।
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