हरा धनिया नहीं धनी है, पर स्वाद वही है, किसानों को हो रहा है दुहरा फायदा
शामली। सब्जियों का जायका बढ़ाना हो या चटपटी चटनी के चटखारे लेने हों, हरा धनिया की बात ही निराली है। इसकी खुशबू भूख बढ़ा देती है और खाने का स्वाद दोगुना कर देती है। स्वास्थ्य के लिए तो यह हर दृष्टि से फायदेमंद है ही। अन्य फसलों की तरह हरा धनिया भी एक खास मौसम व सीमित समय के लिए ही मिल पाता है। लेकिन जलालाबाद के किसानों ने हूबहू धनिया जैसी फसल पैदा करनी शुरू की है। इसकी खुशबू व स्वाद बिल्कुल धनिया जैसा है और नाम भी मिलता-जुलता। ग्रामीण इसे धनी कहते हैं। खास बात यह कि धनी बारहमासी है।
पूरे साल मिलेगा धनिया का स्वाद
प्रदेश में सब्जी उत्पादन में जलालाबाद का अलग स्थान है। किसान प्याज, लहसुन के साथ धनी की पैदावार भी बड़ी मात्रा में कर रहे हैं। धनी सहफसली खेती में भी दोहरा मुनाफा दे रही है। कम लागत, अधिक मूल्य व नकदी फसल होने के कारण यह किसानों को आर्थिक रूप से भी लाभ पहुंचा रही है। धनिया सर्दी के मौसम में बोया जाता है और मार्च तक इसकी पैदावार किसान लेते हैं। सालभर लोग धनिया का लुत्फ उठा सकें इसके लिए किसानों ने धनी की बुवाई शुरू की। क्षेत्र में किसान चौधरी आरिफ, इंतजार अहमद, राजीव कश्यप, चौधरी शकील आदि ने इसकी बुवाई की तो इसमें कम लागत के साथ अधिक उत्पादन का परिणाम सामने आया। मार्च में गन्ना बुवाई के साथ किसानों ने सहफसली खेती के रूप में धनी की बुवाई की। गन्ना की निराई के साथ इसकी कटाई की तो प्रति बीघा दस हजार रुपये की पैदावार हुई। इसकी नमी से गन्ना फसल को भी लाभ मिला। तभी से गन्ना किसान चौधरी बिजेन्द्र सिंह, सलेकचंद सैनी, काशी सैनी, अजय सैनी ने भी धनी की बुवाई शुरू की। जिन किसानों ने सीधे खेत में धनी को रोपित किया है उनको 20 हजार रुपये प्रति बीघा की बचत हो रही है।
प्रति बीघा लागत पांच हजार रुपये
करीब पांच हजार रुपये प्रति बीघा लागत आती है। किसान चौधरी आरिफ अहमद, फरीद चौधरी ने बताया कि उन्होंने धनी की बुवाई कर रखी है। दो माह में कई बार कटाई हो जाती है। जिन किसानों को दूसरी फसल बोनी होती है वे एक ही दिन में कटाई करा धनी की गुच्छियां बनाकर सब्जी मंडी में बेच आते हैं।
50 रुपये किलो थोक में बिक रही है धनी
सब्जी मंडी में धनी का भाव 50 रुपये प्रति किलो चल रहा है। एक बीघा में पांच कुंतल पैदावार से 25 हजार रुपये की धनी बिक रही है। धनी के लिए यह मौसम अनुकूल है। गर्मी के मौसम में सब्जी मंडी तक जाने में यह मुरझा जाती है। सर्दी के मौसम में कई दिन तक हरी रहती है। जलालाबाद क्षेत्र की मिट्टी धनी फसल के लिए अनुकूल साबित हुई है। फसल में रोग नहीं है। उत्पादन भी अच्छा है।
इन्होंने बताया
यह एक नई प्रजाति विकसित की गई होगी। निजी कंपनियां या खुद किसान इस तरह का प्रयोग करते रहते हैं जिससे कम लागत में अच्छा मुनाफा लिया जा सके। विभाग जल्द ही इस फसल का निरीक्षण करेगा। इस फसल के बारे में जानकारी जुटाएगा।
- विकास मलिक, कृषि सहायक अधिकारी
साभार। के के वत्स, जागरण
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