भ्रम पैदा करके विपक्ष ने हिंसा कराई,पड़ौसी देशों में प्रताड़ित हुए अल्पसंख्यकों की राहत के लिए है कानून:पूर्व गृहमन्त्री
सागर। नागरिकता संशोधन कानून का विरोध वे राजनैतिक दल कर रहे हैं, जो अलग-अलग कारणों से सरकार को घेरना चाहते हैं। इस कानून का विरोध तो एक बहाना है। यह कानून देश की किसी भी जाति, धर्म के खिलाफ नहीं है। बल्कि उन अल्पसंख्याकों को राहत प्रदान करता है, जो तीन पड़ौसी राष्ट्रों से प्रताड़ित होकर भारत आने के लिए मजबूर हुए। यह बात पूर्व गृहमंत्री एवं खुरई विधायक भूपेन्द्र सिंह ने पत्रकार वार्ता में कहीं।
पूर्व गृहमंत्री एवं विधायक भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि विपक्षी दलों द्वारा एक बहुत बड़ी भ्रांति फैलाई जा रही है कि नागरिकता संशोधन कानून देश के मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री श्री अमित शाह सार्वजनिक मंचों से स्पष्ट कर चुके है कि देश में किसी भी धर्म के नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है। केन्द्र सरकार सभी को सुरक्षा और समान अधिकार देने के लिए प्रतिवद्ध है। यह संशोधित कानून नागरिकता देने के लिए है, किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं। जो इस देश के मुसलमान हैं, उन्हे किसी भी तरह से चिंता करने की जरूरत नहीं है। पूर्व गृहमंत्री, विधायक भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में नागरिकता संशोधन कानून का जो भी विरोध हो रहा है, वह कुतर्कों के आधार पर हो रहा है। विपक्ष एक भी ऐसा तर्क नहीं दे पा रहा, जो सत्य हो। यह कानून भारत में रहने वाले किसी भी भारतीय से संबंध ही नहीं रखता। इसलिए इसमें विवाद का कोई विषय ही नहीं है। बाबजूद इसे विवादित करके देश को हिंसा की आग में झोंका गया। इससे देश का बहुत नुकसान हो रहा है। दलितों के नाम पर राजनीति करने वाले कांग्रेस सहित दूसरे विपक्षी दलों को सीएए पर घड़ियाली आंसू बहाने से पहले देश में सालों से शरणार्थी का जीवन जी रहे उन दलितों को देखना चाहिए, जिनके जीवन में सीएए नया उजाला लाया है।
पूर्व गृहमंत्री, विधायक भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि धर्म आधारित नागरिकता की शुरूआत भारत विभाजन के समय हुई। विभाजन के पहले भारत में कोई अल्पसंख्यक नहीं था। धर्म आधारित विभाजन के बावजूद भारत ने सबको नागरिकता दी। यहां कोई भेद नहीं रहा। लेकिन पाकिस्तान ने इस्लाम को राजधर्म बनाया। इसलिए पाकिस्तान में हिन्दू, पारसी, सिख आदि अल्पसंख्यक हो गए। विरोध करने वालो के पास इस बात का क्या जवाब है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या 23 प्रतिशत थी जो आज 3-7 प्रतिशत रह गई है। इसी प्रकार बांग्लादेश में 22 प्रतिशत थी जो आज 7-8 प्रतिशत हो गई है। पाकिस्तान ने हिन्दू, सिख, जैन के खिलाफ अत्याचार किए लेकिन कांग्रेस और उसके मित्र दल पाकिस्तान के खिलाफ नहीं बोलते बल्कि उन लोगों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, जो अपनी जान, धर्म तथा अपनी बहन-बेटियों के सम्मान के लिए भारत में शरण मांग रहे हैं।
धर्म के आधार पर हुए देश के बंटवारे को स्वीकार कर कांग्रेस ने जो ऐतिहासिक भूल की थी, उसका परिणाम भुगतने वाले तीन पड़ौसी राष्ट्रों के शरणार्थी अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा का उपाय केन्द्र की श्री मोदी सरकार ने कर दिया है। सरकार का यह कदम किसी खास धर्म के विरोध में उठाया कदम नहीं है। दिसम्बर 2019 में संशोधित नागरिकता कानून उक्त अल्पसंख्यक शरणार्थियों को वर्षों के उत्पीड़न से निजात दिलाने के उद्देश्य से लाया गया है। यह कानून उन शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के संबंध में है, जो 31 दिसम्बर 2014 या उससे पहले से भारत में रह रहे हैं। अभी नागरिक को भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिर्वाय था, जिसे घटाकर छह साल किया गया है। चूंकि इस संशोधन में 31 दिसम्बर, 2014 की तारीख के रूप में एक मियाद तय कर दी गई है, तो नए आव्रजकों को लेकर जताई जा रही चिंता पूरी तरह आधारहीन है। विधेयक उन पर लागू है जिन्हे ''धार्मिकता के आधार पर प्रताड़ित किए जाने के चलते भारत में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा है या बाध्य किया गया है।'' इसका उद्देश्य ऐसे लोगों को अवैध प्रवास पर होने वाली कानूनी कार्यवाही से बचाना है। जबकि वास्तविकता यह है कि नागरिकता संशोधन कानून हमारे सांस्कृतिक मूल्यों से प्रेरित और संविधान की मूल भावना से ओतप्रोत है।
पूर्व गृहमंत्री विधायक भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि विपक्षी दल शासित कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री नागरिकता कानून को अपने यहां लागू नहीं करने की बात कहकर देश के संविधान का माखौल उड़ा रहे है। जबकि वे जानते है कि संसद में बने कानून को लागू करना संविधान के अनुच्छेद 256 के तहत हर राज्य का दायित्व है। पत्रकार वर्ता में सांसद राजबहादुर सिंह, जिला अध्यक्ष प्रभुदयाल पटैल, अनुराग प्यासी, डाॅ. अनिल तिवारी, लक्ष्मणसिंह, सुखदेव मिश्र, राजेश सैनी, प्रदीप राजोरिया, नवीन भट्ट, गौरव सिरोठिया, उमेश हरदया, इन्दु चैधरी, अर्पित पाण्डेय आदि शामिल हुए।
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