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मुनि श्री प्रमाण सागर ने चार्टर्ड अककॉउंटेंट को सिखाया जीवन का ऑडिट

मुनि श्री प्रमाण सागर ने चार्टर्ड अककॉउंटेंट को सिखाया जीवन का ऑडिट
भोपाल। प्रदेश के जाने माने चार्टर एकाउंटेंट्स ने जैन मुनि प्रमाण सागर जी से सुखमय जीवन का ऑडिट समझा। भागदौड़ के जीवन मे पीछे छूटते परिवार और बिगड़ते स्वाथ्य के प्रश्न पर मुनि श्री ने कहा कि जीवन की प्राथमिकताएं निर्धारित करें। अगर कारोवार जीवन का लक्ष्य है तो स्वथ्य और परिवार पीछे छूटेगा ही।अध्यात्म के लिए समय दें, दिन की शुरुवात आत्म चिंतन या ईश आराधना से करें और प्रोफेशन के साथ स्वयं व परिवार को समय दें और समाज का ऋण चुकाएं। परमार्थ और धर्मार्थ संस्थायों के ऑडिट पर फीस ले या न लें इस प्रश्न में उत्तर में मुनि श्री ने कहा कि परमार्थ के कार्य मे फ्री सर्विस देना भी एक पुण्य का काम है, इससे गलत किये कामों का कीच हिसाब वरावर हो जाता है।
 एक चार्टर अकाउंटेंट के प्रश्न कि जैन साधु इतना कठिन साधु जीवन क्यो जीते हैं मुनि श्री ने कहा कि कठिन साधु जीवन नहीं विलासता का जीवन है जहाँ नैसर्गिकता है वहाँ सहजता है। जहाँ बनावटीपन है वहीं कठिनता है। कठिन तब तक कठिन है जब तक की उसे स्वीकारा न जाये, कष्ट को स्वीकारा तो सब मस्त हैं। एक सी ए के प्रश्न कि करदाता द्वारा कर चोरी के बाद आयकर विभाग से बचने के लिए अपने कर सलाहकार से  गलत ऑडिट और गलत रिप्लाई के लिए कहा जाता है इस पर मुनि प्रमाण सागर ने कहा कि ऐसा करना राष्ट्र के अहित में तो है ही साथ ही वो वह सी ए स्वयं अपना औऱ और क्लाइंट का अहित करता है। प्रोफेशन में अनैतिक कार्य होता है और क्लाइंट को कर चोरी की आदत पड़ती है। इस विशेष शंका समाधान का आयोजन श्यामला हिल के टैगोर होस्टल के परिसर में चल रहे सिद्ध चक्र महामण्डल विधान के दौरान किया गया। चार्टर अकाउंटेंट अमित जैन और नरेश रजानी के साथ भोपाल के जाने- माने कर सलाहकारों ने इस जीवन के ऑडिट में मुनि श्री से शंकाओं का समाधान लिया।
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