अखिल भारतीय साहित्य परिषद के महाकोशल प्रांत सम्मेलन का आयोजन

अखिल भारतीय साहित्य परिषद के महाकोशल प्रांत सम्मेलन का आयोजन
सागर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के महाकौशल प्रांत का सम्मेलन सरस्वती शिशु मंदिर, सागर में आयोजित हुआ।संभाग की अध्यक्ष डॉ वंदना गुप्ता के संयोजन में महाकौशल प्रान्त का प्रतिनिधि सम्मेलन आयोजित किया गया। 
 साहित्य परिषद की सागर जिला इकाई अध्यक्ष प्रभात कटारे ने सभी जिला सदस्यों के साथ
मिलकर अतिथियों का स्वागत चंदन लगाकर किया। इस सत्र की मुख्य अतिथि भोपाल से डॉ श्रीमती साधना बलबटे राष्ट्रीय मंत्री साहित्य
परिषद पी अध्यक्षता संस्कृत के प्रकांड विद्वान व पाणिनि विश्वविद्यालय उज्जैन के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मिथिला प्रसाद त्रिपाठी जी ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में  निर्मल चंद निर्मल, ऋषभ समैया जलज,  डॉक्टर रामानुज गुप्ता समाजसेवी एवं साहित्य सेवी थे। इस सत्र में 2 पुस्तकों का विमोचन किया गया। पहली पुस्तक "जनजातीय क्षेत्रीय साहित्य संवर्धन यात्रा" जो किबालाघाट सदस्यों द्वारा आयोजित संवर्धन यात्रा का संकलन था। दूसरी पुस्तक "भावों के पारखी" काव्य संकलन का विमोचन किया गया।
प्रथम सत्र में "हमारी साहित्य परंपरा" विषय पर व्याख्यान था।  जिसमें मुख्य वक्ता प्रोफ़ेसर मिथिला प्रसाद त्रिपाठी जी थे।बीज वक्ता डॉ
साधना बलबटे व अध्यक्षता प्रोफेसर शशि कुमार सिंह सर हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय ने की। .
प्रोफेसर मिथिला प्रसाद त्रिपाठी जी ने बताया कि भारत का प्राचीनतम साहित्य ऋगवेद है और वह कहता है "साहित्य जनकल्याण के लिए होता है"। अथर्व वेद कहता है "तेन त्यक्तेन भुंजीथा"अर्थात "तुम अपने लिए नहीं दूसरों के लिए सोचों"। धर्म व परमार्थ भाव की
प्रधानता के साथ साहित्य का मूल सत्य ही होना चाहिए जो समाज को भय व भ्रम से मुक्त करें। जिसका उदाहरण रामायण, महाभारत गीता
आदि ग्रंथ है। 
अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर शशिकुमार ने कहा कि "साहित्यकार की लेखनी में समाज कल्याण का दायित्व बोध होना चाहिए"।संघर्षशील व्यक्तिका संघर्ष ही उन्हें समाज का नायक बनाता है और हमारी साहित्य परंपरा में इन्हीं नायकों पर आधारित कहानी व कथा लोक कल्याण व प्रेरणाकी दिशा समाज को दिखाती रही है।
द्वितीय सत्र में साहित्य परिषद महाकौशल प्रांत की संगठनात्मक चर्चा डॉ साधना बलबटे की अध्यक्षता में हुई। रीवा संभाग, जबलपुर
संभाग व सागर संभाग के सभी संभागीय व जिला पदाधिकारियों ने संगठन से संबंधित गतिविधियों की जानकारी प्र की। प्रान्त से आए सभीप्रतिनिधियों एवं अतिथियो को स्मृति चिन्ह,पुस्तकें एवं सम्मान पत्र प्रदान किया गया। तीनों संभाग से लगभग 100से अधिक पदाधिकारियों वसदस्यों ने सम्मेलन में भाग लिया।
तृतीय सत्र में विराट कवि सम्मेलन 
मुख्य अतिथि श्रीमती मधु दरें और अध्यक्षता  हर गोविंदविश्व  ने की। सारस्वत अतिथि के रूप में डा गजाधर सागर जी,डॉ श्याम मनोहर सिरोठिया , विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती सुनीलासराफ.श्रीमती संध्या दरे  उपस्थित थी। कवि सम्मेलन में कवि रामानंद पाठक जी ने "हेरा गए डीजे के आगे वह बुंदेली बाजे" रचना, श्रीपूरन चंद जी गुप्ता टीकमगढ़ ने" हो जनहित में जीवन",श्री राम गोपाल रैकवार टीकमगढ़ ने " आओ गुनगुनी धूप में बैठे" श्री डीपी शुक्ला
टीकमगढ़ ने दीपक संग जल गया बाती",श्री सीता राम राय ने "सत्य और धर्म पर चलना हमें मानस सिखाता है " डॉ श्याम मनोहर सिरोठिया
ने जिंदगी मेरे लिए बस जिन्दगी की ही तरह है", श्रीमती निरंजना जैन ने "निःशब्द की खोज में मै थक चुकी हूं"।श्री निर्मल चंद निर्मल जी ने -
कुछ ऐसी बात करो चलकर धरती की गोद हरी होवे ",उमाकांत अपरिचित रीवा ने" गर अमर होना है तुमको कुछ हुनर भी सीख लो". आकाश
शर्मा नयन सतना ने "माटी नहीं यह मातृभूमि है अब तो इसका वंदन हो", डॉ गजाधर सागर ने" लेकिन सच तो वह है जिसने सच से आंख
मिलाई हो", श्री मयंक अग्निहोत्री ने "उम्मीद का दीप इतिहास के महापुरुष", डॉ नम्रता फुसकेले ने" गुजरते वक्त से मैंने पूछना चाहा तुम ठहर
क्यों नहीं जाते",श्री शिखर चंद जैन शिखर ने "मैं कविता लिखना क्या जानू", श्री ऋषभ समैया जलज ने दीपों का साहस तो देखो रात अमावस
पूनम कर दी",श्री प्रभात कटारे सागर ने" पीर हमारी जाके कोई कह आवे सरकार को", श्रीमती सुनीला सराफ ने "माँ बेटे का दर्द समझती है।
"डॉ अनिल जैन जी ने" मुट्ठी भर छाया यहां आसमान भर धूप", पंडित हरगोविंद विश्व जी ने " सदियों से हम तो एक हते अबै एक हैं". तथा
अंत में डॉ वंदना गुप्ता ने समाज की "प्रगति का राज है नारी" रचना प्रस्तुत की।
समस्त सत्रों का सफलता पूर्वक संचालन संभागीय अध्यक्ष डॉ वंदना गुप्ता द्वारा किया गया ।इस अवसर पर दमोह जिले से आनंद जैन जिलाअध्यक्ष श्रीमती पुष्पा चिले, डॉ प्रेमलता नीलम ,श्री योगेंद्र तिवारी, श्री पीएस परिहार ,श्री दिनेश जैन राही, जबलपुर से श्री शरद अग्रवाल मध्यप्रदेश उपाध्यक्ष , श्री कौशल दुबे,सुरेंद्र सिंह पवार, श्रीराज सागरी जबलपुर संभागअध्यक्ष , श्री रमाशंकर खरे, श्री सीताराम राय, श्री पूर्ण चंद गुप्ता, श्री द्वारका प्रसाद शुक्ला, श्री विजय कुमार मेहरा, बालाघाट से श्प्रम प्रकाश त्रिपाठी, प्रोफेसर एलसी जैन श्रीमयंक अग्निहोत्री, श्रीआकाश शर्मा ,बालाघाट से अशोक कुमार सिहासने महाकोशल प्रांत अध्यक्ष, श्रीमती सुषमा यदुवंशी प्रांतीय महामंत्री, श्री किशोर छिपेश्वरसागर, मंडला से श्री नवीन जैन अकेला, श्री सुरेश रावत एड., श्रीनीलेश जैन झा.श्री श्याम बैरागी. डिंडोरी से श्री रवि राज बिलेया. रीवा से श्रीचंद्रकांत तिवारी, श्री प्रकाश चंद्र तिपाठी, श्रीउमाकांत गुप्ता, निवाड़ी से राम निवास तिवारी, श्री रामानंद पाठक, नैनपुर से डॉ राजेश कुमारठाकुर, श्री अंबिका प्रसाद यादव सागर संभाग कोषाध्यक्ष, श्री आशीष द्विवेदी.श्री प्रभात कटारे सागर जिला अध्यक्ष श्री ज्ञानी प्रसाद दुबे,श्रीश्यामसुंदर चौबे, श्री संजय सिंह, श्री आरएन खरे, श्री भानु जी जैन आदि अनेक लोग उपस्थित थे।

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