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भारत में अपराधशास्त्र विज्ञान को विकसित करने की जरूरत :प्रो. बी.एन.चट्टोराज

भारत में अपराधशास्त्र विज्ञान को विकसित करने की जरूरत :प्रो. बी.एन.चट्टोराज
सागर। डाॅ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विष्वविद्यालय सागर के समाजषास्त्र एवं समाजकार्य विभाग में डाॅयलाग विदइन सोसयोलाॅजी के अंतर्गत एन.आई.सी.एफ.एस दिल्ली से आये प्रो. चटटोराज ने अपना भारत में अपराधषास्त्र विषय के अंतर्गत विषेष व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि भारत में विभिन्न प्रकार के अपराध बहुत तेजी से बढ़ रहें है। यदि विष्व में देखा जाये तो प्रत्येक देष का अपना अपराधषास्त्र विषय की विषेषता है परंतु दुर्भाग्यवष भारत में भारतीय अपराधषास्त्र का विकास नहीं हो पा रहा है। अध्यक्षीय उदबोधन में विभागाध्यक्ष प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि  इस विषय की ओर विषेष रूप से ध्यान देने की आवष्यकता है। प्रो. राजपूत ने कहा कि अपराधषास्त्र/अपराध के समाजषास्त्र विषय पर जीवन्त षोध के द्वारा विषयवस्तु को समृद्ध किया जाने हेतु संबंधित प्रयास होने चाहिए। डाॅ. कालीनाथ झा ने इस विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पौराणिक समय से ही देष और दुनिया में विभिन्न अपराध व्याप्त रहे है, वर्तमान में इनमें रोक एवं सुधार की आवष्यकता है। धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. षिवषंकर जैना ने किया। कार्यक्रम में षिक्षक, एवं ज्योति भारद्वाज, आकृति कनोजिया, प्रियंका यादव, सुरभि गिरधर, दीपक रजक,रमेष साहू, अनंदी कुर्मी आदि षोधार्थी उपस्थित रहे।
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