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शोध के लिए वैज्ञानिक दृृष्टिकोण महत्वपूर्ण: प्रो.दिवाकर राजपूत

शोध के लिए वैज्ञानिक दृृष्टिकोण  महत्वपूर्ण: प्रो.दिवाकर  राजपूत
सागर। डाॅ. हरीसिंह गौर विष्वविद्यालय सागर के मानव संसाधन विकास केन्द्र द्वारा आयोजित 56 वें उन्नमुखीकरण पाठ्यक्रम (ओरियंटेषन कोर्स) में प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत ने ''शोध के विभिन्न आयाम'' विषय पर व्याख्यान दिया।  प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि षोध कार्य के लिए वैज्ञानिक दृृष्टिकोण का होना आवष्यक है। षोधकर्ता तथ्यों के आधार पर परिणाम प्रस्तुत करता है, जो वैज्ञानिक पद्धति एवं प्रविधियों पर आधारित होता है। षोध के लिए यह भी आवष्यक है कि सैद्धाॅतिक एवं व्यवहारिक द्ृष्टि से लाभकारी हो। प्रो. राजपूत ने षोध के विभिन्न आयामों पर चर्चा करते हुए प्रतिभागियों की जिज्ञासा का समाधान किया एवं द्वितीय सत्र में टू वे कम्युनेकेषन के माध्यम से जीवंत चर्चा की । व्याख्यान के प्रारंभ में केन्द्र के डायरेक्टर डाॅ. टी.आर. बेडरे ने विषय विषेषज्ञ प्रो. राजपूत का स्वागत किया। पाठ््यक्रम के समन्वयक डाॅ. पंकज सिंह ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों ने आभार व्यक्त किया।

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