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जलवायु परिवर्तन का असर स्थानीय स्तर पर भी,इस पर मंथन की जरूरत,भारतीय भौगोलिक सम्मेलन में चर्चा

जलवायु परिवर्तन का असर स्थानीय स्तर पर भी,इस पर मंथन की जरूरत,भारतीय भौगोलिक सम्मेलन में चर्चा
सागर। डाॅ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.) के सामान्य एवं व्यवहारिक भूगोल विभाग के द्वारा भारतीय भौगोलिक संघ (नागी) का 41 वाँ भारतीय भौगोलिक सम्मेलन के  समन्वयक, प्रो. आर.पी.मिश्र, अधिष्ठाता,व्यवाहरिक अध्ययन शाला ने बताया कि द्वितीय दिवस में 18 तकनीकी सत्रों को विभिन्न अध्ययायों में विभाजित कर एक 180 शोध पत्र प्रतिभागियों के सम्मिलित किए गए तथा इन शोध पत्रों का वाचन किया गया। जिनमें प्रमुख विषय हैं - ग्रामीण एवं शहरी: गतिशील और परिवर्तन, ग्रामीण परिस्थितिकी समाज और राजनैतिक आर्थिक, कृषि संबंधी कठिनाइयों एवं राजनैतिक आर्थिक, भारतीय कृषिः प्रारूप एवं चुनौतियां, भारतीय कृषि चुनौतियां, सम्भावना, भूस्थनिक तकनीकी में भौगोलिक अध्ययन, जनसंख्या में लिंग अनुपात एवं विकास, जलवायु परिवर्तन एवं स्वास्थ्य संबंधी एवं प्रभाव का भौगोलिक अध्ययन शामिल हैं। उन्होंने बताया कि जलावायु परिवर्तन/प्रभाव एवं सामंजस्य पर गहन मंथन हुआ। जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव स्थानीय स्तर पर भी दिखाई देने लगा है। इसके कारणों, प्रभावों एवं उपायों पर गहन चर्चा करते हुए समाज में इस संबंध में जागरूकता हेतु योजनाबद्ध ढंग से कार्य करने की रणनीति तैयार करने पर मंथन हुआ। उन्होंने कहा कि इन शोध पत्रों के माधयम से निकलने वाले निष्कर्ष विश्वविद्यालय के छात्रों, शोधार्थियों को ज्ञान के क्षेत्र में पे्ररित करेंगे। तथा समाज में एक नई दिशा देने में बहुउपयोगी सिद्ध होंगे। 
सीपी सिंह अंतरराष्ट्रीय भूगोल वेत्ता
भूगोलवेत्ता वरिष्ठ प्रोफेेसर श्री कमल शर्मा ने  प्रो. सी.पी. सिंह मेमोरियल व्याख्यान देते हुए बताया कि प्रो.सिंह सागर विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के विद्यार्थी थे तथा वर्ष 1999 से 2000 तक 12वें विभागाध्यक्ष बनें वह दिल्ली विश्वविद्यालय में व्याख्याता से लेकर प्रोफेसर तक रहकर शिक्षण, शोध के क्षेत्र में अंतर्राष्टीय स्तर पर पहचान बनाई। वह कृषि भूगोल, राजनीतिक, इलेक्ट्राल भूगोल के विषय विशेषज्ञ थे। आज के परिवेश में उनके शोध एवं अनुभव, प्रकाशन पे्ररणादायी हैं। प्रो. शर्मा ने भारत के विकास में लिंग अनुपात में चुनौतियां एवं निदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रो. सिह ने ऐसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी कार्य किया है। उन्होंने अपने शोध पत्र लैंगिक विषमताओं का सम्पोषित विकास पर दुष्प्रभाव विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सम्पोषित से तात्पर्य है कि संसाधनों का उपयोग इस तरह से किया जाना चाहिए कि अगली सन्तति के लिए वह उपयोगी हो सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सन्तति में एक बड़ा हिस्सा महिलाओं का है जिसकी संख्या घटती जा रही है। इस घटती संख्या के साथ उनको समान विकास का लाभ मिलना संभव नहीं है। उन्होने कहा कि समाज में महिलाओं के विकास को सम्मिलित किए बिना संतुलित किया जाना संभव नहीं है यह भी शोध का विषय है। 
वरिष्ठ प्रोफेेसर जवाहर लाल जैन ने अपने व्याख्यान में प्रकाश डालते हुए बताया कि भूगोल के विद्यार्थी सुदूर संबेदन तकनीकी का उपयोग सरलता पूर्वक कैसे कर सकते हैं। यह तकनीक सूक्ष्म वास्तविक अध्ययन के लिए अत्यावश्यक है और भूगोल के विद्यार्थियों के लिए विशेष उपयोगी इसलिए है कि उनके अध्ययन का विषय का धरातल का है। जिसके सूक्ष्म विषय सूचना सुदूर संवेदन में मिलती है जोकि अन्य तरीको से सम्भव नहीं है। 
डाॅ.सरला शर्मा ने ग्रामीण बाजारों की उत्तपत्ति का स्थानिक-कालिक विशलेषण, वैशाली पद्म, डाॅ. बी.तबर ने ग्रामीण बस्ती के विकास पर भौगोलिक कारकों का अध्ययन, राकेश भारती, गुंजन कुम ने ग्रामीण विकास में कृषि पर आधारित उद्योगों की भूमिका पर एक भौगोलिक अध्ययन, रामकुमार सिंह ने ग्रामीण क्षेत्रों पर ग्रामीण से शहरी प्रभाव का प्रवास डी.दीनानाथ ठाकुर ने कृषि भूमि पर उपयोग शहरीकरण का प्रभाव, मनीष कुमार ने जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव सहित जनजाति क्षेत्रों के कृषि एवं पोषण आहर, विपणन, की समस्याऐं एवं चुनौतियों जैसे विषयों पर विस्तृत वैचारिक मंथन हुआ। 
ये रहे उपस्थित
प्रमुख रूप से डाॅ.अनिल तिवारी, संस्थापक कुलपति, एस.व्ही.एन., प्रो. आनंदकर सिंह, ग्वालियर, प्रो.एस.एस.शर्मा, जयपुर, प्रो. श्रीकांत, चंडीगढ, प्रो. आर.के.त्रिपाठी, कानपुर, प्रो. संतोष शुक्ता, प्रो. पी.पी.सिंह, प्रो. रोली कंचन, बडौदरा, प्रो.एस.शिवाकांत, गोरखपुर, प्रो.सी.के.जैन, डाॅ. आर.बी.अनुरागी,संयुक्त सचिव, आयोजन समिति, डाॅ. हेमंत पाटीदार आयोजन समिति सचिव, डाॅ. सतीष सी., डाॅ. निकलेश कुमार, डाॅ.रघुवंशमणी सिंह, डाॅ. पवन शर्मा, डाॅ. आर.के.श्रीवास्त्री, डाॅ. रितु यादव, डाॅ. नीरज उपाध्याय, डाॅ. नीलम थापा, राहुल मिश्रा, कुंदन परमार, कालूराम, जितेन्द्र पटेल, सुरेश मिश्रा, वीरेन्द्र गौतम,  पी.एल.साहू, दुष्यंत नामदेव, शंकर ताम्रकार सहित अनेक शोधार्थी प्रतिभागी उपस्थित थे। 
भारतीय भौगोलिक अधिवेशन का समापन 30 दिसम्बर को
41 वां भारतीय भौगोलिक अधिवेशन का समापन डाॅ. हरिसिंह गौर विश्वविद्याल, सागर के स्वर्ण जयन्ती सभागार में दोपहर 2.00 बजे किया जावेगा। जिसके मुख्य अतिथि स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डाॅ. अजय तिवारी, अध्यक्षता प्रो. राणा प्रताप, बोध गया निर्वाचित अध्यक्ष (नागी) प्रो.एस.सी.राय, सेक्रेटरी जनरल (नागी) एवं कांफे्रंस के समन्वयक प्रो.आर.पी.मिश्रा मंच को सुशोभित करेंगे। इस अवसर पर भूगोल क्षेत्र में किए गए कार्यो पर आधारित प्रमुख पुस्तकों का विमोचन भी किया जावेगा। समापन सत्र के प्रथम सत्र  में 10 तकनीकी सत्र में लगभग 100 से ज्यादा शोध पत्रों का वाचन किया जावेगा जोकि महर्षि कणाद भवन में सम्पन्न होंगे। 
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