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निर्बल के बल राम:आचार्य ब्रजपाल शुक्ल कथा के अंतिम दिन पहुचे पूर्व मन्त्री सुरेंद्र चोधरी,भाजपा नेता राजेन्द्र सिंह मोकलपुर

निर्बल के बल राम:आचार्य ब्रजपाल शुक्ल

#कथा के अंतिम दिन पहुचे पूर्व मन्त्री सुरेंद्र चोधरी,भाजपा नेता राजेन्द्र सिंह मोकलपुर
सागर।माखनलाल पत्रकारिता विवि के कुलपति दीपक तिवारी के निवास पर चल रही राम कथा में अंतिम दिवस व्यास पीठ से कथा व्यास ने कहा की संसार का मनुष्य कितना भी समर्थ क्यो न हो किन्तु वह असमर्थ ही होता है। अपने शरीर के प्रति पत्नी और पुत्र के प्रति प्रायः आसक्त ही होता है।इनकी सुरक्षा करते हुए ही निर्बल की कुछ सहायता कर सकता है। कभी कभी वीरता के कारण मनुष्य युद्ध करके प्राण त्याग भी कर देता है।वीरता और उदारता प्रायः सभी मनुष्यों में नही होती हैं। सम्पूर्ण वीरता और सम्पूर्ण उदारता मात्र भगवान में ही होती हैं।
लक्ष्मण तथा जानकी के सहित रामजी अपने पारिवारिक विग्रह के कारण वनवास दुःख में भी दुःखी नही हुए।रामजी को देखकर चित्रकूट में सभी ऋषियों ने आकर श्रीराम जी से निवेदन किया तथा राक्षसों के द्वारा मारे गए लाखों ऋषियों के हड्डियों के समूह को दिखाया और कहाकी संसार मे न तो आपको कोई दुःखी कर सकता है और न तो पराजित कर सकता इसलिए आप ही हम सब की रक्षा करने में समर्थ हैं।
निशिचर निकर सकल मुनि खाये।
सुनि रघुवीर नयन जल छाए।
ऋषियों ने कहा कि हे रघुनन्दन निशाचरों में प्रायः सभी साधन ऋषियों को खा लिया है।
हम लोग जो कुछ बचे हुए हैं उनके आर्त श्वर को सुनकरके रघुनन्दन राम अपना दुःख भूल गए नेत्रों से अश्रु प्रवाह होने लगा।
उन्होंने कहा कि सभी के सामने उन्होंने प्रतिज्ञा की कि इन चौदह वर्षों के वनवास काल मे सम्पूर्ण पृथ्वी को मैं निशाचरों से रहित कर दूंगा।
जब कोई व्यक्ति दूसरे के दुःख को अपना दुःख ममां लेता है तब वह अपनी पूरी शक्ति से दूसरे का दुःख दूर कर सकता है।दूसरे का दुःख दूर करने में कष्ट तो उतना ही पड़ेगा इसीलिए अगस्त्य ऋषि के कहने पर लंकाधिपति रावण से विरोध करने के लिए पंचवटी में निवास करने लगे। यह उन्होंने जान करके किया।
राक्षसों से युद्ध करने का निमित्त निर्माण किया तथा सबसे पहले उन्होंने शूर्पड़खा को ही कुरूप करवाया।इसी का नाम वीरता है दुष्टो का स्वभाव है कि वह अकारण ही सज्जनों को दुःख देते हैं।
इसी प्रकार वीर पुरुष का भी स्वभाव होता है कि वह दुष्टों से युद्ध का कारण बनाकर दुष्टो का संहार करते हैं इसीलिए श्री राम को भगवान कहा जाता है जो सबके दुःख के दूर करके भी दुःखी न हो सबको पराजित करके भी पराजित न हो । 
आज भी संसार मे जिसका कोई नहीं है उसके भगवान ही हैं
सूरदासजी ने कहा निर्बल के बल राम।
निर्बल मनुष्य को चाहिए कि वह भगवान की आराधना करके उनको ही अपना बल मान लें।
कथा में पहुचे ये श्रद्धालु
आज कथा समापन में पूर्व मंत्री सुरेंद्र चौधरी, सुदेश जैन,सुशील तिवारी,राजेन्द्र सिंह 'मोकलपुर', देवदत्त दुबे,राजीव सोनी,विनोद आर्य,त्रिभुवन तिवारी,  विवेक तिवारी,राजेंद्र यादव,अंशुल भार्गव, पप्पू तिवारी,निधीश तिवारी,प्रदीप पाठक,राजेन्द्र दुबे,सुशील पांडेय, संतोष रोहित,एजाज़ खान आदि ने कथा श्रवण कर आचार्य जी से आशीर्वाद ग्रहण किया।
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