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भगवान का आनन्द, स्वरूप व्यापक है :आचार्य ब्रजपाल शुक्ल

भगवान का आनन्द, स्वरूप व्यापक है :आचार्य ब्रजपाल शुक्ल
सागर। सागर के ग्राम ढाना में  माखनलाल चतुर्वेदी  पत्रकारिता विश्विद्यालय के कुलपति  दीपक तिवारी के निवास  में चल रही राम कथा के द्वितीय दिवस कथा व्यास आचार्य पंडित बृजपाल शुक्ल  ने सम्पूर्ण आनंद प्राप्ति कैसे हो इसकी विधि बताई।उन्होंने अपने प्रवचन में कहा संसार मे जहा कहीं भी सुख और आनन्द की अनुभूति होती है वह भगवान का निर्गुण स्वरूप है। आनन्द निर्गुण ही होता है। तुलसी दस जी ने कहा है-
अगुन अखण्ड अनन्त अनादि।
जेहि चिन्तहि परमारथवादी।।
मोक्ष में मात्र आनन्द ही होता है दुख नही होता। संसार का ऐसा कोई सुख नही है जिसके पहले औऱ अंत मे दुःख नही होता है।
उन्होंने कहा कि संसार का प्रत्येक सुख-दुख सम्मिलित होता है किन्तु भगवान का आनन्द दुःखरहित होता है क्योंकि वह अगुण है उसमें प्रकृति का एक भी गुण नही होता, अखण्ड है अर्थात सीमारहित है।संसार का आनन्द शरीर के अधीन है इसलिए सीमित है और तृष्णा से भरा हुआ है। भगवान का आनन्द आत्मा से सम्बंधित है आत्मा अखण्ड है इसलिए भगवान का आनन्द भी अखण्ड है।
उन्होंने बताया कि शरीर का आनन्द अंत वाला है नष्ट होने वाला है भगवान का आनन्द अनन्त है। आत्मा अनन्त है संसार का आनन्द आदि वाला है अर्थात संसार का आनन्द किसी आयु भी आयु तक प्राप्त किया जा सकता है।किन्तु आत्मा से सम्बंधित भगवान का आनन्द अनादि है। उसके आनन्द का प्रारम्भ कहा से होगा और कब तक होगा यह प्रश्न ही नही है।संसार का आनन्द, स्थान, समय, वस्तु और शरीर के अधीन होता है किंतु भगवत सम्बन्धी आनन्द सभी स्थानों में, सभी काल मे, सभी वस्तुओं में और सदा ही एक रस होता है और वह आनन्द भगवान के बिना नही आता।जो आनन्द योगियों के लिए बड़ी तपस्या से प्राप्त होता है वही आनन्द भक्ति के कारण कौशिल्या के गोद मे राम के रूप में प्रगट होता है, देवकी की गोद मे कृष्ण के रूप में प्रगट होता है।इसलिए जिन्होंने इस संसार को दुःख रूप में देख लिया है और समझ लिया है वे कभी भी संसार का आनन्द को त्याग करके  भगवदनन्द में प्रव्रत्त हो जाते हैं।
कथा में ये रहे शामिल
आज की कथा में डॉ सुरेश आचार्य, सुशील हजारी (रेहली), वरिष्ट पत्रकार भोपाल नीरज श्रीवास्तव, सुधीर यादव, धीरेन्द्र मिश्र ,  पप्पू  तिवारी,  मयंक तिवारी, सुनील पांडेय (घाटमपुर) व समस्त ग्रामवासियों, क्षेत्र वासियो ने महाराजी से आशीर्वाद लिया व कथा का श्रवण किया ।
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