वित्तीय घोटालों के लिए परिस्थितियाँ, प्रेरणा एवं व्यक्ति की प्रवृति जिम्मेदार : प्रो. राजेंद्र पी. श्रीवास्तव, यु.एस.ए.
सागर। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की विदेशी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के मूर्धन्य प्राध्यापकों के ज्ञान का लाभ भारतीय छात्रों को प्रदान करने वाली योजना " ग्लोबल इनीशिएटिव ऑफ़ एकेडेमिक नेटवर्किंग "( ज्ञान ) के तहत डॉ हरीसिंग गौर केन्द्रीय विवि सागर के वाणिज्य विभाग द्वारा " वित्तीय विवरणों के प्रकटीकरण के नियम और वित्तीय घोटालों " विषय पर चार दिवसीय कार्यक्रम शुरू हुआ।
इसका शुभारंभअमेरिका के केन्सास विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ बिजनेस के प्रो राजेंद्र पी श्रीवास्तव और कुलपति प्रो आर पी तिवारी ने किया।
वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो डी के नेमा ने स्वागत भाषण दिया | इस ज्ञान कोर्स के समन्वयक प्रो जी एल पुणताम्बेकर ने अमेरिका से पधारे प्रो राजेंद्र पी श्रीवास्तव का अकादमिक परिचय दिया | इसके पश्च्यात प्रो राजेंद्र पी श्रीवास्तव ने कोर्से की महत्ता एवं उपादेयता तथा एक सप्ताह चलने वाले इस कोर्स में शामिल किये जाने वाले विविध विषयों की जानकारी दी |
कुलपति प्रो आर पी तिवारी ने कोर्स के विषय की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसमें शामिल किये गए डिस्कशन सेशन निश्चय ही देश के सभी क्षेत्रों में होने वाले वित्तीय घोटालों के व्यवहारिक समाधान प्रदान करने में मदद करेगी | उन्होंने ज्ञान कोर्स स्वीकृत होने में विश्वविद्यालय की अच्छी स्थिति के लिए विश्वविद्यालय के ज्ञान समन्वयक प्रो देवाशीष बोस को बधाई दी पर विविध विषयों पर विदेशी विद्वानों से संपर्क का लाभ विश्वविद्यालय के गुणवत्तापूर्ण शोध में मिले, इसका प्रयास होना चाहिये |
इस ज्ञान के प्रथम एवं द्वितीय सत्र में प्रो राजेंद्र पी श्रीवास्तव ने उन तीन कारकों की विस्तार से व्याख्या की जो वित्तीय घोटालों को जन्म देते हैं | उन्होंने अपने शोध पत्र के परिणामों के माध्यम से बताया कि घोटालों से मिलाने वाला लाभ ( इंसेंटिव), घोटाला करने की प्रेरणा देने वाली परिस्थितियां और सबसे महत्वपूर्ण तत्व व्यक्ति की प्रवृती वे तत्व हैं जो घोटालों जन्म देते हैं | इन तीन परिस्थितियों में से 2 स्थितियां तो लगभग सभी प्रकरणों में मिल जाती है परन्तु कुछ् प्रकरणों में एकल एक परिस्थिति ही होती है परन्तु व्यक्ति की अनुकूल प्रवृती अन्य परिस्थितियों को निर्मित कर लेती है |
प्रो श्रीवास्तव ने अपने दूसरे व्याख्यान में भारत और दुनिया में इन घोटालों को रोकने के लिए किये गये उपायों को प्रदर्शित करते हुए बड़े ही उपयुक्त उदाहरणों से घोटाले के तीनों तत्वों को नियंत्रित करने के लिए उपाय बताये परन्तु उन्होंने अंत में यह भी कहा कि अभी वित्तीय घोटालों को नियंत्रित करने का कोई फूल –प्रूफ तरीका नही खोजा जा सका है और यही इस ज्ञान कोर्स की आवश्यकता को प्रतिपादित करता है |
इस कोर्स में विश्वविद्यालय के वाणिज्य, अर्थशास्त्र, प्रबंध अध्ययन विभाग के शिक्षक, शहर के चार्टर्ड एकाउंटेनट शोध छात्र और अन्य छात्र के साथ ग्वालियर तथा केरल से भी शिक्षक प्रतिभागी भाग लेने आये हैं | आगामी सत्रों में ज्ञान विषय के विविध आयामों को छुआ जावेगा | इस सम्पूर्ण कार्यक्रम की सफल व्यवस्था डॉ शालिनी चोइथ रानी, मनोहर सिंह, नीतू कुशवाहा और गीतांजली दांगी व अन्य शोध छात्रों ने की |
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