रहस्यज्ञाता को संसार आनन्द स्वरूप है:आचार्य ब्रजपाल शुक्ल
सागर। ढाना (सागर) में दीपक तिवारी के निवास पर चल रही राम कथा में व्यास पीठ से आचार्य ब्रजपाल शुक्ल ने बताया कि रहस्य को जानने वाले के लिए तो संसार आनन्द स्वरूप है।उन्होंने प्रवचन में बताया किएक ही समय मे अनेक रूप भगवान की विशेषता है। जीव अपने कर्म के अधीन होकर जिस रूप स्वभाव को प्राप्त करता है मृत्युपर्यंत उसी रूप और उसी स्वभाव में जीता है।वह अपने रूप को बदल ही नही सकता। इस संसार को उतपन्न करने वाले भगवान में ऐसा सामर्थ्य है कि एक ही स्वरूप में अनेक रूपो का दर्शन करा सकते हैं। एक ही क्षण में किसी भी शरीर को धारण कर सकते हैं।
महाराज जनकजी के मंच मे धनुष यज्ञ के समय श्रीराम ने अनेक रूपो में अनेक लोगो को अनेक प्रकार से दर्शन दिए।तुलसीदास जी ने कहा-
जिनके रही भावना जैसी।
प्रभु मूरति तिन्ह देखी तैसी।।
मनुष्यो के मध्य में खड़े हुए रघुनन्दन एक रूप में होते हुए भी मनुष्यो को अवतार के अनुसार एक ही क्षण में अनेक रूपो में दिखाई दे रहे थे।
पन्द्रह वर्ष की आयु के सुकोमल स्वरूप में बड़े-बड़े योद्धाओ को ऐसे दिख रहे थे जैसे साक्षात वीर रस शरीर धारण करके खड़ा है।राजा लोग उनके इस विलक्षण शरीर को देखकर इतने भयभीत हो गए जैसे कोई भयानक मूर्ती खड़ी हो वह मधुर मनोहर मूर्ति दुष्टो को इतनी भयानक दिख रही थी।
उन्होंने बताया कि कुछ असुर राजाओ के वेष में बैठे हुए थे उनको वही श्री राम साक्षात मृत्यु के समान दिख रहे थे।दशरथ नन्दन विश्वामित्र जी के बगल में बैठे हुए विद्वानों को विराट पुरुष के रूप में दिख रहे थे। विद्वानों को श्रीराम के हजारों मुख, हजारो चरण और हजारो नेत्र दिख रहे थे। वह विराट रूप विद्वानों को उसी शरीर मे दिख रहा था।धनुष टूटने के पहले ही महाराज जनक को श्रीराम अपने सगे सम्बन्धी के समान दिख रहे थे। भगवान के भक्तों को श्रीराम में अपने इष्टदेव दिखाई दे रहे थे।संसार के जीव भगवान को अनेक रूपो में मानते हैं लेकिन अपने भगवान को अनेक रूपो में नही जानते हैं जबकि भगवान का ही एक स्वरूप संसार है।
इस विलक्षण संसार मे अनेक शरीर हैं। सभी शरीरो में वही एक ही भगवान रहते हैं किंतु यह जीव शारीरिक सुख के कारण तन, धन, भोजन इन तीन में ही सुख देखता है। जब इनसे सुख नही मिलता तो आजीवन दुःख में ही समय व्यतीत करता है, दुखी होकर ही मरता है।
जिन मनुष्यो को भगवान का रहस्य ज्ञात है वे ही संसार मेआनन्द से निवास करते हुए आनन्दरूप भगवान में प्रवेश करते हैं और मुक्त हो जाते हैं।
कथा को सुनने पहुचे अनेक मीडिया कर्मी
आज की कथा में पूर्व सांसद लष्मीनारायन यादव,वरिष्ट पत्रकार राजेश सिरोठिया,मंगला मिश्र , सुदेश तिवारी,अजय दुबे,लक्मन सिंह,विनोद आर्य,भारत तिवारी, मुकेश जैन, संदीप तिवारी, सुनील भाई पटेल,विवेक तिवारी,नरेंद्र दुबे,विज्ञान मिश्रा, महेश बिदुआ, कोमल यादव,राजकुमार पचौरी,अनुपम पटेरिया,मनुज नामदेव, समर्थ दीक्षित ,नीलेश राय, मनीष दुबे आदि ने कथा श्रवण किया व आचार्य जी का आशीर्वाद ग्रहण किया
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