एमपी में भाजपा की चमक फीकी करने वाला वर्ष @ देवदत्त दुबे

एमपी में भाजपा की चमक फीकी करने वाला वर्ष
@ देवदत्त दुबे
प्रदेश में 2018 नवंबर तक भाजपा का एक तरफा जलवा था पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक भाजपा के प्रतिनिधि पिछले 15 वर्षों में चुने गए भाजपा सरकार के कामकाज की ब्रांडिंग ऐसी थी कि भाजपा नेता से लेकर कार्यकर्ता तक कांग्रेस मुक्त प्रदेश का नारा दिया करते थे लेकिन 2018 का दिसंबर भाजपा के लिए  फिसल पट्टी पर सवार होने वाला महीना साबित हुआ और वर्ष 2019 तो भाजपा की रही सही चमक को भी फीका करने वाला वर्ष माना जावेगा।
 दरअसल व्यावहारिक जीवन में जैसा कहा जाता है सुख के सब साथी दुख का न कोई ऐसे ही राजनीति क्षेत्र में सत्ता के सब साथी विपक्ष में बिरला ही कोई होय भाजपा के साथ कुछ ऐसा हीहो रहा है लगातार 15 वर्षों तक सत्ता में रहने के कारण भाजपा भाजपा सरकार के खाते में विकास की उपलब्धियां में थी सामाजिक सरोकारों के प्रकल्प भी थे वाहवाही भी खूब बनी लेकिन जबसे से सत्ता गई है तब से भाजपा सरकार के समय के विवादास्पद निर्णय खामियों के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं कांग्रेसी सरकार जैसे भाजपा सरकार क कार्यकाल की पोल खोल अभियान चलाए हुए हैं और जैसा सरकार में बैठे मंत्री भाजपा सरकार की खामियां और भ्रष्टाचार के नाते हैं यदि वास्तव में इन पर कार्रवाई हुई और सच्चाई निकली तो फिर लगातार सत्ता में बने रहने की भाजपा जिसे उपलब्धि बताती थी वही कमजोरी बनकर उभर कर सामने आएगी
 बहरहाल वर्ष 2019 विदा लेने को है और 2020 के स्वागत की तैयारियों जोरों पर है लेकिन राजनैतिक दृष्टि से यदि वर्ष 2019 का आकलन किया जाए तो यह वर्ष कांग्रेश के लिए जहां उत्साह बढ़ाने वाला रहा वही भाजपा के लिए निराशा संशय बढ़ाने वाला साबित हुआ हर जगह चमकती दमकती भाजपा 1 वर्ष में ही सत्ता से बाहर होने के बाद फीकी पड़ने लगी जबकि भाजपा नेता राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियों का बखान करते नहीं थक रहे हैं इसके बावजूद प्रदेश
 प्रदेश में भाजपा शासनकाल को कांगरे सरकार मानो निशाने पर लिए हुए और एक-एक करके पोल खोल अभियान चलाए हुए हनी ट्रैप मामला सरकार के हाथ लग जाने से नेताओं के मुंह बंद करने एवं अधिकारियों पर लगाम लगाने के लिए अच्छा खासा उपयोग किया जा रहा है
: हनी ट्रैप मामला चुकी भाजपा शासनकाल का है इसलिए स्वाभाविक रूप से भाजपा के ही चाहे ते लोग जिनके पास मनी थी वही हनी ट्रैप में सामने आ रहे हैं सरकार बड़े-बड़े लोगों के नाम उजागर ना करके उनको दबाव में लेने की रणनीति पर काम करती हुई दिखाई दे रही है ऐसे लोगों के नाम उजागर किए जा रहे हैं जो सरकार को कोई संकट पैदा नहीं कर सकते हनी ट्रैप में नेताओं से लेकर अधिकारियों और पत्रकारों के नाम आ जाने से सरकार को हर क्षेत्र में पकड़ मजबूत करने का मौका मिल गया है और परतें उखाड़ने से भाजपा का चेहरा खुरदरा होता जा रहा है इस पर प्रादेशिक नेता प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव राष्ट्रीयता का पेंट पोत कर भाजपा की साख बचाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं
कांग्रेस ने चुनाव के समय जो वक्त है बदलाव का नारा दिया था उसका एहसास सबसे ज्यादा भाजपा नेताओं को और उनके चहेते अधिकारियों को हो रहा है क्योंकि ना अब मनमर्जी चल रही है और ना ही वे धंधे जिनसे अनाप-शनाप कमाई हो रही थी ऐसे माहौल में भाजपा के लिए नगरी निकाय चुनाव और पंचायती राज के चुनाव कहीं वाटर लू ना साबित हो इसकी चिंता भी भाजपा नेताओं को सताने लगी है लेकिन राजनीति में उम्मीद है कभी खत्म नहीं होती यही कारण है कि जो भाजपा नेता सक्रिय है उन्हें अपने राष्ट्रीय नेतृत्व पर भरोसा है कि प्रदेश भाजपा कि वे मदद जरूर करेंगे और कभी ना कभी भाजपा अपनी खोई हुई चमक जरूर प्राप्त करेगी जबकि कांग्रेस नेताओं का मानना है कि अभी तो यह शुरुआत है अभी तो एक ही वर्ष हुआ है अभी 4 वर्ष बाकी है देखते जाइए आगे आगे होता है क्या
 कुल मिलाकर वर्ष 2019 में भाजपा की सरकार तो प्रदेश में रही नहीं रही सही कसर घोटाले उजागर करके कांगरे सरकार ने भाजपा की चमक ही नहीं धमक भी कमजोर कर दी है भाजपा के केवल वही नेता अब बोल पा रहे हैं जिनका दामन पाक साफ है अन्यथा अधिकांश नेताओं ने चुप्पी साध ली है क्योंकि सरकार कहीं भाजपा नेताओं के अतिक्रमण हटा रही है तो कहीं उनके कार्यकाल की की जांच करवा रही है

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