प्रेम व भक्ति के बिना ज्ञान व्यर्थ है:श्री राजेन्द्रदास जी महाराज
आयोजन के दूसरे दिन शंकराचार्य सहित अनेक संतो का हुआ आगमन
सागर । श्रीमद् भागवत सप्ताह के दूसरे दिन शुक्रवार को श्री बाला जी मंदिर परिसर में स्वामी राजेन्द्रदास जी महाराज ने प्रेम और भक्ति को ज्ञान से श्रेष्ठ बताया। उन्होंने कहा कि भगवान के अवतार का उद्देश्य ज्ञानियों के हृदय में प्रेम और भक्ति की स्थापना करना है। प्रेम और भक्ति बिना ज्ञान व्यर्थ होता है।
कथा स्थल पर कोल्हापुर से करपीर पीठाधीश्वर शंकराचार्य सहित देश के कई प्रांतो से अनेक संत पहुंचे। स्वामी जी ने कहा कि सर्व समर्थ भगवान ज्ञानियों को उतनी सुविधापूर्वक प्राप्त नहीं होते, देहवासियों, तपस्वी, कर्मकांडियों और योगियों को भी सुलभ नहीं लेकिन प्रेमी भक्तों को भगवान सदा ही सुलभ होते है। ज्ञानियों के भगवान माखनचोरी नहीं करते किंतु भक्तों के भगवान उखल से भी बंध जाते है। भक्ति साक्षात स्वामिनी है, राधा-सीता है। मुक्तात्मा भी भक्ति पाने लालायित है। भक्त के हृदय में मोक्ष की कामना भी नहीं रहती है। संत एकनाथ का स्मरण करते हुये स्वामी जी ने कहा कि वे कहते थे बिना प्रेम और भक्ति के ज्ञान हमें नहीं चाहिये। ऐसा ज्ञान अभियान उत्पन्न करता है। जैसे विधवा का श्रृंगार व्यर्थ होता है, वैसे ही प्रेम और भक्ति के बिना ज्ञान व्यर्थ है। स्वामी जी ने कहा अनुभवजन्य ज्ञान ही अज्ञान और अविद्या का निवारक होता है। पहाड़ी बाबा की कथा सुनाते हुये उन्होंने बताया कि मृत्यु का सतत स्मरण ही भजन है। कलयुगी मनुष्य चार दोषों से युक्त है। यह दोष जीव का कल्याण नहीं होने देते ये दोष है आलस्य, सुमंदमति, मंद भाग्या और सांसारिक उपद्रव। उन्होंने कहा कि जिस भक्ति में कामना होगी वह दीर्घ कालिक भक्ति नहीं होगी। इसलिये निष्काम भक्ति हो, उसमें मोक्ष की भी कामना नहीं होना चाहिये। इसका आशय यह भी नहीं कि भक्त मुक्त नहीं होता। वास्तविक मुक्ति तो भक्त को ही प्राप्त होती है। कथा के पूर्व शंकराचार्य जी, डाॅ. रामाधार उपाध्याय और रसिया बाबा जी महाराज ने अपने विचार रखे।
भागवत कथा की अध्यक्षता किशोरदास देव जू महाराज ने की ।
ये संत हुए शामिल समागम में
जिनमें प्रमुख रूप से जगत्गुरू शंकराचार्य स्वामी विद्यानृसिंह भारती जी महाराज, स्वामी प्रज्ञानंद जी महाराज जगन्नाथपुरी, श्री महामंडलेश्वर श्री रामप्रवेश दास जी, श्री स्वामी मदनमोहनदास जी, श्री अशोक नारायण दास जी, श्री रसिया बाबा जी, श्री दादा जी धूमि वाले छोटे सरकार, श्री दीन बंधु दास जी, श्री गंगा दास जी, श्री शिवराम दास जी, श्री राघवेन्द्र दास जी, श्री जगन्नाथ दास जी, श्री अर्जुन दास जी, श्री धनंजय दास जी आदि भागवत कथा में उपस्थित रहे।
जनप्रतिनिधियों ने लिया आशीर्वाद
आज भागवत कथा के दूसरे दिन म.प्र. के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव एवं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने भागवत कथा मेें पहुंचकर मुख्य यजमान के रूप में आरती की भागवत कथा में बड़ी संख्या में संतो के साथ हजारों की संख्या में धर्मप्रेमी बंधु एवं कमेटी के पदाधिकारी उपस्थित रहे।
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