भारत वर्ष पवित्र आर्य संस्कृति की धरती : मलूकपीठाधीश्वर डाॅ. राजेन्द्रदास महाराज
सागर।सागर में 14 नबंवर से 20 नबंवर तक बालाजी मंदिर परिसर में श्री श्री जगतगुरू, द्वाराचार्य, मलूकपीठाधीश्वर परम श्रद्धेय भागवत सम्राट डाॅ. राजेन्द्रदास जी महाराज के मुखारविंद से श्रीमद् भागवत कथा प्रारंभ के पहले भागवत सम्राट डाॅ. राजेन्द्रदास महाराज ने संत निवास पर सागर में पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि भारत वर्ष पवित्र देश आर्य संस्कृति की धरती है जिसमें मानवीय संस्कृति बसती है और देश के सभी स्थानों में देवताओं का वास है भारत माता के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश भावना प्रेम, श्रृद्धा की धरती है और मध्यप्रदेश में सागर की धरा आस्था धार्मिक एवं पुण्य भूमि के साथ ही छोटे वृन्दावन के रूप में जाना जाता है। सागर के भक्तप्रेमियों द्वारा कई वर्षो से आग्रह किया जा रहा था कि सागर में संत समागम होना चाहिये भगवान की कृपा से आज हम सभी को मंगलमय अवसर सागर में मिला है जिसमें भारतवर्ष के सभी स्थानों से राष्ट्रीय संतो का सागर आगमन हो रहा है। श्रीमद् भागवत कथा एवं संत समागम आयोजन की तैयारियां कमेटी द्वारा बहुत अच्छी की गई है। जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाये कम है सागर में होने जा रहे श्रीमद् भागवत कथा सद्गुरू कृपारस महोत्सव संत समागम में बड़ी संख्या में सभी धर्मप्रेमी बंधु एवं श्रृद्धालु पहुंचकर भागवत कथा का श्रृवणपान कर राष्ट्रीय संतो का आर्शीवाद लेकर पुण लाभ अर्जित करें। राजेन्द्रदास महाराज जी ने कहा कि मनुष्य का युवाकाल स्वर्णकाल के समान होता है जिसको युवाओं को ध्यान में रखकर घर परिवार समाज राष्ट्र संतो की सेवा करनी चाहिये जिससे मनुष्य का जीवन सारगर्भित होता है। इस अवसर पर वृन्दावन से पधारे कार्यक्रम के मार्गदर्शक रसराज जी महाराज, अर्जुनदास जी महाराज, हरिदास जी महाराज उपस्थित रहे।
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